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तकनीकी विश्लेषण पर पुस्तकें

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राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन

उचित उपायों के साथ, उद्योग में तकनीकी वस्त्र निर्माण के लिए एक वैश्विक केंद्र के रूप में उभरने की क्षमता है और साथ ही अगले कुछ वर्षों में सरकार की 5 ट्रिलियन अमरीकी डॉलर अर्थव्यवस्था बनने की दृष्टि में महत्वपूर्ण योगदान देता है।

अनहद कृति साहित्य आश्रय 2 0 2 0 !

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दिल्ली एनसीआर व बिहार तथा राजस्थान में पढे जाने वाले “आफ्टर ब्रेक” साप्ताहिक समाचार पत्र में पिछले वर्ष कोविड-19 वैश्विक आपदा पर अपनी पैनी निगाह रखते हुए कवि लेखक पत्रकार अवधेश सिंह के नियमित प्रकाशित बाईस आलेखों को संग्रह कर बनी पुस्तक “दुनिया जब ठहर गयी” जिम्मेदार और निष्ठा से जुड़ी पत्रकारिता का एक उदाहरण है । जनवरी 2021 में हार्ड कवर के साथ अमेज़न पर आन लाइन बिक्री के लिए पुस्तक को ए.आर पब्लिशिंग कंपनी दिल्ली द्वारा आई.एस.बी.एन. कोड- 978-93-88130-59-2 के द्वारा उपलब्ध किया गया है जिसका मूल्य ₹ 275 है और छूट के साथ ₹195 में है ।

भारत सरकार में वरिष्ठ मीडिया अधिकारी तकनीकी विश्लेषण पर पुस्तकें के रूप में सकारात्मक पत्रकारिता पर अपनी गहरी पकड़ रखने वाले पुस्तक के लेखक अवधेश सिंह ने कहा कि ऑफ द रिकार्ड तथ्यात्मक आलेखों पर नयी पुस्तक “दुनिया जब ठहर गयी” एक संदर्भ ग्रंथ है जिसमें कोविड-19 की वैश्विक तबाही पर बदलते घटनाक्रम से जुड़े तमाम सामाजिक सांस्कृतिक और आर्थिक बदलाव का सटीक विश्लेषण है। इसमें 15 अप्रैल, 2020 से 30 सितंबर, 2020 तक, यानि लॉक डाउन-1 से लॉक डाउन-4 तक, वहीं उल्टी गिनती यानि अनलॉक-1 से अनलॉक-4 तक की सम्पूर्ण सिलसिलेवार अलिखित सच्ची–रोचक-तथ्यात्मक देश दुनिया की वह खोजी रिपोर्ट है, जिसे कई बार जिम्मेदार मीडिया द्वारा अनदेखा किया गया है। यह पुस्तक “दुनिया जब ठहर गयी” कोविड-19 वायरस जनित कोरोना महामारी का आलोचनात्मक अध्यन ही नहीं बल्कि राजनैतिक, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक बदलाव की सच्ची दास्तान का विषय पूरक पक्का दस्तावेज़ है।

कोविड -19 वैश्विक आपदा के कारण सामाजिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक बदलावों का आलोचनात्मक अध्ययन प्रस्तुत कर रही पुस्तक के विषय में अनिल कुमार शर्मा “जोशी” जो कि हिन्दी
भाषा व प्रवासी साहित्य लेखन की दुनिया के ख्यातिप्राप्त कवि लेखक हैं व वर्तमान में उपाध्यक्ष, केंद्रीय हिंदी शिक्षण मंडल,शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार के पद पर हैं, ने स्पष्ट किया कि सामाजिक कार्यकर्ता एवं कवि लेखक अवधेश सिंह की पुस्तक ‘दुनिया जब ठहर गयी’, हमें एक ऐसी त्रासदी से परिचित कराती है जिसके अंधेरों से हम गुज़रे तो हैं पर जिसके विभिन्न आयामों, सूत्रों को हम समझ नहीं पा रहे। आख़िरकार, तूफान-सी भागती ये दुनिया क्यों ठहर गई। यह ठहराव किन बातों या ख़तरों का सूचक है? यह कब तक ठहरी रहेगी? इसके ठहरने के परिणाम क्या है? क्या इस त्रासदी में मानवता के लिए कोई संदेश है? क्या इसके निहितार्थ बहुत गहरे हैं और हमारी नियति की ओर गंभीर संकेत कर रहे हैं? . एक साथ भोक्ता और दृष्टा होना कठिन है। परंतु, अवधेश जी ने इस त्रासदी से गुज़रे विभिन्न स्रोतों के माध्यम से इस त्रासदी की अंतरकथा/अंतर्दृष्टि हमारे सामने प्रस्तुत की है। फिर भी हमें कुछ मौलिक और मूल प्रश्नों पर विचार करना होगा ?
वर्तमान में बिहार की राजनीति में तकनीकी विश्लेषण पर पुस्तकें महत्वपूर्ण सामाजिक भूमिका निभा रहे उमेश कुमार जो कि प्रतिष्ठित मैनेजमेंट प्रोफ़ेशनल, डॉक्युमेंटरी फ़िल्मकार, टीवी टिप्पणीकार हैं, ने कहा कि पुस्तक में विशिष्ट एवं क्लिष्ट विषय की बोधगम्य प्रस्तुति पाठकों को सहज ही चमत्कृत कर देगी लगभग सौ साल पहले स्पैनिश फ़्लू के भयानक प्रकोपके दौरान सिर्फ़ भारत में डेढ़ करोड़ (तत्कालीन आबादी का पांच प्रतिशत से अधिक) लोग काल के गाल में समा गये थे, सौ साल के अंतराल के बाद फिर से पूरी दुनिया को दहला देनेवाली महामारी कोविड-19 के संत्रास के विविध पक्षों को तकनीकी विश्लेषण पर पुस्तकें उजागर करने के साथ-साथ आपदा की घड़ी में मानवीय मूल्यों को संबल देने वाले प्रसंगों की सुखद चर्चा को भी प्रमुखता से स्थान देना लेखक की सकारात्मक सोच का परिचायक है।
ऐसी महामारी जिसके कारण दुनिया की आबादी में तीन करोड़ की कमी होने के अंदेशा की वर्ष 2015 में अमेरिकन उद्योगपति एवं सॉफ़्टवेयर सेक्टर की अगुआ कंपनी माइक्रोसॉफ़्ट के संस्थापक बिल गेट्स की पेशनग़ोई का वर्ष 2020 में बतौर क्रूर वास्तविकता दरपेश होना बेशक दुःखद है, किंतु कौतूहल का विषय भी है। कौतूहल इस बाबत कि बिल ने अनागत महामारी की आहट पांच साल पहले ही किस विधि महसूस कर ली। इतना तो निश्चित है कि बिल की भविष्यवाणी न तो ज्योतिष-विद्या-आधारित थी, न ही जन्नत के फ़रिश्तों ने उन्हें इस महामारी के मुतअल्लिक अग्रिम सूचना दी थी। फिर उन्होंने कोविड-19 की पदचाप पांच साल पहले ही कैसे महसूस कर ली?
मुमकिन है पिछली मुख़्तलिफ़ महामारियों के मिज़ाज-ओ-फ़ितरत के बरअक्स सेहत और साफ़-सफ़ाई के मामलात में विश्व-स्तर पर बरती जा रही लापरवाही एवं अन्य विसंगतियों के डिजिटल-तकनीक आधारित वैज्ञानिक विश्लेषण से सॉफ़्टवेयर-कप्तान ऐसे निष्कर्ष पर पहुंच सके, जिसका संकेत स्वयं बिल ने टॉक के दौरान दिया था। इस पुस्तक में शामिल एक लेख में बिल गेट्स की भविष्यवाणी के साथ-साथ उनके द्वारा प्रस्तुत तकनीकी, आर्थिक एवं व्यापारिक मसलात से वाबस्ता जटिल तथ्यों और आंकड़ों की भी अवधेश जी के द्वारा सधे अंदाज़ में सरलीकृत प्रस्तुति निश्चय ही क़ाबिल-ए-तारीफ़ है, जिसकी अनदेखी नहीं की जा सकती, क़तई नहीं।

पुस्तक “दुनिया जब ठहर गयी”:
लेखक :अवधेश सिंह
कोरोना आपदा पर आंखो को खोलने वाला आलोचनात्मक अद्भुत दस्तावेज़

रचनाकार परिचय

रचनाकार का नाम: अवधेश सिंह
ईमेल पता: [email protected]
जन्म तिथि: 4 जनवरी 1959
जन्मस्थान: इलाहाबाद
शिक्षा: पोस्ट ग्रेजुएट

प्रकाशित: प्रकाशित किताबें- 1. प्रेम कविताओं पर आधारित संकलन "छूना बस मन" [2013 ] 2. सामाजिक विघटन ,मूल्यों -आस्थाओं पर कविताओं का संग्रह "ठहरी बस्ती ठिठके लोग " [2014]

लेखन: सामाजिक संस्था अशोक क्लब की वार्षिकी सामाजिक गृह पत्रिका अनुभूति के संपादन व प्रकाशन कार्य 1979 से 1981 तक किया , मीडिया अधिकारी के रूप में लगातार 1990 से 1995 तक सम्बंधित नगरों की डायरी सूचना प्रसारण मंत्रालय हेतु प्रस्तुत की. गीत एवं नाटक प्रभाग भारत सरकार हेतु महिला एवं बाल कल्याण के लिए नाट्य - नृत्य मंचन हेतु स्क्रिप्ट आदि पर कार्य किया । दूरसंचार विभाग की विभागीय प्रकाशन गृह पत्रिका गंतव्य कानपुर 1995 से 1998 तक, विभागीय प्रकाशन गृह पत्रिका हिमदर्शन शिमला 2000 से 2002 तक में सम्पादकीय सहयोग का कार्य किया इसके अतिरिक्त दूरदर्शन शिमला ,आकाशवाणी तथा स्थानीय मंचों पर काव्य पाठ के साथ विभागीय राज-भाषा कार्यों में सतत संलग्नता आज भी बदस्तूर जारी है प्रकाशाधीन पांडुलिपियाँ : आवारगी (गजल संग्रह ) , नन्हें पंक्षी (बाल कविताओं का संगह ) सम्पादन : अंतर्जाल साहित्यक सांस्कृतिक पत्रिका – www.shabdsanchar.in अन्य संपर्क : मैं और मेरी अनुभूतियाँ - वेब साइट : www.hellohindi.com

सम्प्रति: सम्प्रति : वर्तमान में ग्रेड - ई 5 सीनियर एक्जीक्युटिव अधिकारी पद पर भारत संचार निगम लिमिटेड के कार्पोरेट आफिस नयी दिल्ली में कार्यरत हैं। प्रतिनियूक्ति पर भारतीय सूचना सेवा के वरिष्ठ मीडिया अधिकारी के पद पर भारत सरकार के सूचना प्रसारण मंत्रालय के डी.ए.वी.पी. [DAVP] , डी.ऍफ़. पी [DFP] के प्रमुख रहे व पी आई बी [PIB] , समाचार प्रभाग दूरदर्शन तथा आकाशवाणी विभागों से सम्बद्ध रहे [1989 तकनीकी विश्लेषण पर पुस्तकें -1995]

सृजन: "मेरी रचनाये पाठकों को उनकी अपनी कहानी सी लगे, मेरे शब्द संसार पाठकों की अनुभूतियों को कुरेदने को बाध्य कर उन्हें विचार की नयी दिशा दें व व्यथित पलों में अचूक मलहम का कार्य करें एवं निराशा में नयी उर्जा का संचालन करें इस भावना से मेरी समस्त रचनाएँ, सृजन प्रिय सुधी पाठकों को साभार समर्पित हैं। "

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