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भारत में निवेश के ins और बहिष्कार

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रक्षा संयत्र उत्पाद निवेश नीति: मध्यप्रदेश

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सही निवेश विक्लप चुनने के लिए अपनाएं ये तरीके, होगा फायदा

पैसा बनाना एक दिन का काम नहीं है। यह एक लम्बी प्रक्रिया है। इसके लिए बड़े ध्यान से फायदेमंद विकल्प चुनने पड़ते हैं। यदि आप निवेश कर रहे हैं तो यह देखना जरूरी है कि आप यह किसी सही वजह से कर रहे हैं। निवेश हमेशा एक उद्देश्य के आधार पर निवेश करना चाहिए। एक उद्देश्य निर्धारित होने से सिर्फ वांछित परिणाम पाने में ही नहीं बल्कि अन्य कमियों को पूरा करने में भी मदद मिलती है।

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बाहर निकलने के बारे में जानें: यदि निवेश उत्पाद कोई निवेश आपके लिए फायदेमंद साबित नहीं हो रहा है तो आपको उससे बाहर निकल जाना चाहिए। निवेश से पहले निकलने का तरीका पता होना चाहिए।

भुगतान क्षमता तय करें

अपने उद्देश्य को पूरा करने के लिए, आपको अपनी आमदनी में से कुछ पैसे अलग रखने होंगे। आप अपने उद्देश्य को पूरा करने के लिए हर महीने, या हर तीन महीने पर, या हर साल कुछ पैसे अलग रख सकते हैं। उदाहरण के लिए, आपको लगता है कि अपना घर खरीदने के लिए 30 लाख रुपए इकठ्ठा करने के लिए आपको हर महीने 15,000 रुपए निवेश करने पड़ेंगे। आपकी रोजमर्रा की जरूरतों और खर्चों पर इस निवेश का असर नहीं पडऩा चाहिए, और आपको बिना किसी परेशानी के इस पैसे को अलग रखने में सक्षम होना चाहिए।

रिटर्न का पता लगाएं

हर निवेश उत्पाद में अलग-अलग रिटर्न मिलता है। जो लोग जोखिम उठाना नहीं चाहते हैं वे लोग फिक्स्ड डिपोजिट, पीपीएफ, नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट्स, डेब्ट म्युच्यूअल फंड्स, इत्यादि निवेश उत्पादों में निवेश करना पसंद करते हैं। जिन लोगों को जोखिम उठाना पसंद है वे लोग इक्विटी म्युच्यूअल फंड्स, स्टॉक्स, गोल्ड, इत्यादि में निवेश करना पसंद करते हैं। आपको यह समझना चाहिए कि ये रिटर्न, आपके उद्देश्य को पूरा करने में कैसे आपकी मदद करेंगे।

टैक्स की बचत के बारे में जानकारी लें

निवेश से मिलने वाले किसी रिटर्न पर टैक्स लगता है तो किसी पर बहुत मामूली टैक्स लगता है। टैक्स जितना कम लगेगा, आपका उद्देश्य उतनी जल्दी पूरा होगा। उदाहरण के लिए, पीपीएफ में निवेश करने पर उससे मिलने वाले रिटर्न पर बिल्कुल भी टैक्स नहीं लगता है। लेकिन एफडी से मिलने वाले रिटर्न पर टैक्स लगता है। इक्विटी म्यूच्यूअल फंड्स के पूंजी लाभ पर एक साल तक कोई टैक्स नहीं लगता है।

जोखिमों के बारे में पहले पता करें

हर निवेश में कोई न कोई जोखिम तो होता ही है जिसे समझना बेहद जरूरी है। उदाहरण के लिए, एक एंडोमेंट प्लान में हर साल 40,000 निवेश करने पर 15 साल बाद 10 लाख रुपए मिलते हैं। यह सुनने में तो बहुत मजेदार लगता है जब तक आप अपने रिटर्न की दर की गणना नहीं करते हैं। जो कि ज्यादा से ज्यादा लगभग 6 फीसदी होता है। इसलिए निवेश से पहले मिलने वाले रिटर्न और अपना उद्देश्य जरूर देख लें।

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60 की उम्र के बाद चिंतामुक्त रहने के लिए रिटायरमेंट प्लानिंग बहुत जरूरी है. उम्र के इस मोड़ पर होने वाले मेडिकल खर्चों के लिए, महंगाई को मात देने के लिए, अचानक आए खर्च से निपटने के लिए और अपने सपनों को पूरा करने के लिए रिटायरमेंट प्लानिंग जरूर होनी चाहिए. आइए कुछ ऐसे तरीकों को समझते है कि जिसे फॉलो करके हम अपने निवेश पर ज्यादा रिटर्न पा सकते हैं.

  • News18Hindi
  • Last Updated : January 19, 2022, 08:00 IST

Investment: अक्सर लोगों के साथ ऐसा होता है कि वे अपने निवेश पर बेहतर रिटर्न नहीं बना पाते. क्या आपके साथ ही ऐसा होता है. आइए कुछ ऐसे तरीकों को समझते है कि जिस फॉलो करके हम अपने निवेश पर ज्यादा रिटर्न पा सकते हैं.

60 की उम्र के बाद चिंतामुक्त रहने के लिए रिटायरमेंट प्लानिंग बहुत जरूरी है. उम्र के इस मोड़ पर होने वाले मेडिकल खर्चों के लिए, महंगाई को मात देने के लिए, अचानक आए खर्च से निपटने के लिए और अपने सपनों को पूरा करने के लिए रिटायरमेंट प्लानिंग जरूर होनी चाहिए.

रिटायरमेंट के समय निवेश उत्पाद आपके पास कितनी होनी चाहिए जमा पूंजी?
रिटायरमेंट प्लानिंग का पहला कदम है, यह तय करना कि रिटायर होने के बाद आपको अपनी जिंदगी आसानी से गुज़ारने के लिए कितने पैसों की ज़रूरत होगी. इसी से पता चलेगा कि हर महीने उतनी रकम हासिल करने के लिए आपको कितना फंड या कॉर्पस जुटाना चाहिए. इसके लिए आप किसी फाइनेंशियल प्लानर या इंटरनेट पर उपलब्ध रिटायरमेंट प्लानिंग कैलकुलेटर्स की मदद ले सकते हैं. एक आसान फॉर्मूला यह भी है कि आप अपने सालाना खर्च की कम से कम 20 गुना रकम रिटायरमेंट कॉर्पस के तौर पर जुटाएं.

महंगाई को माते देने वाले उत्पाद में निवेश
महंगाई के असर की गणना किए बिना खर्च का अनुमान लगाने की वजह से भी आपको सीमित फंड में काम चलाने में मुश्किलें आती हैं. इससे बचने के लिए रिटायरमेंट से पहले ऐसे निवेश माध्यम में निवेश करना चाहिए जो महंगाई को मात देने में सक्षम हो. इसके लिए इक्विटी और म्यूचुअल फंड का सहारा लेना चाहिए. अगर आपका फिलहाल हर महीने 50,000 रुपये का खर्चा है तो मंथली खर्च 25 साल बाद 8 फीसदी की महंगाई की दर से यही खर्चा बढ़कर 3.5 लाख रुपये महीना हो जाएगा.

पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाइड करें
रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए सबसे जरूरी है कि आप अपने निवेश पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाई करें. आप अगर 35 साल की उम्र से रिटायरमेंट प्लानिंग शुरू करते हैं तो अपनी बचत का 50 फीसदी रकम रिटायरमेंट प्लानिंग को ध्यान में रखकर करें. आप इक्विटी, इपीएफ, म्यूचुअल फंड जैसे निवेश माध्यम को चुन सकते हैं. ये निवेश उत्पाद महंगाई को मातदेकर बेहतर रिटर्न दिलाने का काम करेंगे.

अगर आपने 25 साल की उम्र में रिटायरमेंट प्लानिंग शुरू की है तो आपके पास आपके पास रिटायरमेंट लिए 60-25=35 साल हैं. रिटायरमेंट पर आपके पास 4 करोड़ रुपये का कॉर्पस चाहिए और 4 करोड़ हासिल करने के लिए म्यूचुअल फंड में हर महीने 4000-4500 रुपये निवेश करना होगा.

रिटायरमेंट के बाद डेट निवेश
डेट में निवेश सुरक्षित लेकिन महंगाई को मात देने वाला नहीं होता है. बढ़ती महंगाई, कम होती ब्याज दरों से अच्छी मासिक आय जुटाना मुश्किल होता है. इसलिए रिटायरमेंट पर इकट्ठा पैसे को डेट के साथ इक्विटी में भी डालें. रिटायरमेंट के बाद 20 साल तक के लिए इक्विटी निवेश सही रहता है.

स्वास्थ्य बीमा जरूर लेकर रखें
रिटायरमेंट के बाद वित्तीय जोखिम को कम करने के लिए स्वास्थ्य बीमा जरूर लेकर रखें. उम्र बढ़ने के साथ परेशानी बढ़ती है. इलाज खर्च बहुत तेजी से बढ़ा है. यह आपकी गाढ़ी कमाई को खत्म करने का काम कर सकता है. इससे बचने के लिए स्वास्थ्य बीमा कवर जरूर लेकर रखें. यह बाद के दिनों में बड़ी मदद करने का काम करेगा.

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