विदेशी मुद्रा भंडार कमी का कारण

यद्यपि पिछले वित्त वर्ष में देश की अर्थव्यवस्था में बड़ी गिरावट रही है, इसके बावजूद विदेशी निवेशकों द्वारा भारत को एफडीआई के लिए प्राथमिकता दिए जाने के कई कारण हैं। भारत में निवेश पर बेहतर रिटर्न है। भारतीय बाजार बढ़ती डिमांड वाला विदेशी मुद्रा भंडार कमी का कारण बाजार है। भारत के एक ही बाजार में कई तरह के बाजारों की लाभप्रद निवेश विशेषताएं हैं। पूरी दुनिया यह देख रही है कि भारत का शेयर बाजार तेजी से आगे बढ़ रहा है। पिछले वर्ष 23 मार्च, 2020 को जो बाम्बे स्टाक एक्सचेंज (बीएसई) सेंसेक्स 25981 अंकों के साथ ढलान पर दिखाई दिया था, वह इस समय दोगुने से भी अधिक की ऊंचाई पर पहुंच गया है।
देश का विदेशी मुद्रा भंडार दो साल के निचले स्तर पर, 118 अरब डॉलर गिरा
शुक्रवार को आरबीआई द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, 21 अक्तूबर को समाप्त हफ्ते में विदेशी मुद्रा भंडार 524.52 अरब डॉलर रहा है जो सितंबर, 2021 में 642 अरब डॉलर से ज्यादा था। हाल में डॉलर की तुलना में रुपये की कमजोरी को रोकने के लिए आरबीआई ने लगातार डॉलर बेचा है। इसने अब तक 45 अरब डॉलर की विदेशी मुद्रा भंडार कमी का कारण बिक्री की है।
एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का विदेशी मुद्रा भंडार 14 अक्तूबर को समाप्त हफ्ते में 3.85 अरब डॉलर गिर कर 528.37 अरब डॉलर पर चला गया था। पिछले 12 हफ्तों में से 11 हफ्तों में इसमें गिरावट आई थी। 9 हफ्ते तक इसमें लगातार गिरावट के बाद दसवें हफ्ते विदेशी मुद्रा भंडार कमी का कारण में 7 अक्तूबर को सोने के भंडार में तेजी से विदेशी मुद्रा भंडार 20.4 करोड़ डॉलर बढ़ गया था।
विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट के एक प्रमुख कारण विदेशी मुद्रा संपत्तियों (एफसीए) में तेजी से कमी आना है। यह पूरे भंडार में सबसे ज्यादा योगदान करता है। 21 अक्तूबर को समाप्त हफ्ते में यह 465.98 अरब डॉलर था जबकि सोना का भंडार 37.21 अरब डॉलर था।
विदेशी पूंजी भंडार में 5.72 अरब डॉलर की कमी
मुंबई : भारत का विदेशी पूंजी भंडार चार नवम्बर को समाप्त सप्ताह में 5.72 अरब डॉलर घटकर 314.66 अरब डॉलर रह गया। यह गिरावट स्वर्ण भंडार और विदेशी मुद्रा भंडार के मूल्य में कमी के कारण आई। पिछले पांच सप्ताह में पहली बार विदेशी पूंजी भंडार के मूल्य में कमी आई है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा जारी साप्ताहिक आंकड़े के मुताबिक विदेशी विदेशी मुद्रा भंडार कमी का कारण मुद्रा भंडार इस अवधि में 3.87 अरब डॉलर घटकर 280.57 अरब डॉलर रह गया।
विदेशी मुद्रा भंडार के मूल्य को डॉलर में अभिव्यक्त किया जाता है। येन, यूरो और पाउंड जैसी प्रमुख विदेशी मुद्राओं के मूल्य में उतार-चढ़ाव का विदेशी मुद्रा भंडार के मूल्य पर सीधा असर पड़ता है। स्वर्ण भंडार का मूल्य इस अवधि में 1.77 अरब डॉलर घट कर 26.89 अरब डॉलर रह गया
आलोच्य अवधि में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष में मौजूद विदेशी मुद्रा भंडार कमी का कारण भंडार भी 3.2 करोड़ डॉलर घटकर 2.64 अरब डॉलर रह गया। साथ ही विशेष निकासी अधिकार में भी 5.4 करोड़ डॉलर की गिरावट आई और यह 4.55 अरब डॉलर रह गया। (एजेंसी)
भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट, खजाने में बचा 601.057 अरब डॉलर
लगातार दो सप्ताह की वृद्धि के बाद भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट आई है. आरबीआई के अनुसार, 3 जून को समाप्त हुए सप्ताह में भारत का विदेशी मुद्रा (विदेशी मुद्रा) भंडार $ 306 मिलियन गिरकर $ 601.057 बिलियन हो गया.
मुंबई : इंटरनेशनल मार्केट विदेशी मुद्रा भंडार कमी का कारण में पेट्रोल की बढ़ती कीमत और अन्य देशों की करेंसी के अवमूल्यन के कारण देश का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार खाली हो रहा है. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के आंकड़ों के अनुसार 3 जून को खत्म हुए सप्ताह में भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में 30.6 करोड़ डॉलर की कमी आई. फॉरेन करेंसी के खजाने में अब 601.057 अरब डॉलर रह गया गया. इससे पिछले सप्ताह, विदेशी मुद्रा भंडार (Forex reserves) 3.854 अरब डॉलर बढ़कर 601.363 अरब डॉलर हो गया था. 20 मई को खत्म सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार में 4.23 अरब डॉलर की बढ़ोतरी हुई थी.
श्रीलंका में विदेशी मुद्रा भंडार ढहा, 420 रुपये पेट्रोल तो 400 रुपये लीटर बिक रहा है डीजल
श्रीलंका की अर्थव्यवस्था डांवाडोल है. विदेशी मुद्रा भंडार ढह गया है. देश राजनीतिक संकट के साथ ही आर्थिक संकट से भी जूझ रहा है. देश में खाद्यान संकट के साथ जरूरी चीजों की कमी से जूझ रहा है. चीजों की कीमतें आसमान छू रही हैं. श्रीलंका ने मंगलवार को पेट्रोल की कीमतों में 24.3 प्रतिशत और डीजल की कीमतों में 38.4 प्रतिशत की बढ़ोतरी की. श्रीलंका विदेशी मुद्रा भंडार की कमी के कारण भीषण आर्थिक संकट का सामना कर रहा है, जिसके चलते यह बढ़ोतरी की गई.
पड़ोसी देश में 19 अप्रैल के बाद ईंधन कीमतों में यह दूसरी बढ़ोतरी है. इसके साथ ही सबसे अधिक इस्तेमाल किए जाने वाले ऑक्टेन 92 पेट्रोल की कीमत 420 रुपये (1.17 डॉलर) प्रति लीटर और डीजल की कीमत 400 रुपये (1.11 डॉलर) प्रति लीटर होगी, जो अब तक का उच्चतम स्तर है.
विदेशी मुद्रा भंडार से देश को संबल
हाल ही में रिज़र्व बैंक द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक 25 जून को देश का विदेशी मुद्रा भंडार 609 अरब डॉलर की ऐतिहासिक रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया और भारत दुनिया में चौथा सबसे बड़ा विदेशी विदेशी मुद्रा भंडार कमी का कारण मुद्रा भंडार रखने वाला देश बन गया है। ऐसे में उपयुक्त होगा कि कोरोना काल के बीच दयनीय स्थिति में दिखाई दे रहे देश के स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत बनाने की तरफ बढ़ें। साथ ही चीन व पाकिस्तान से मिल रही रक्षा चुनौतियों के मद्देनजर आधुनिकतम अस्त्र-शस्त्रों की पर्याप्त मात्रा में खरीद तथा एंटी-ड्रोन टेक्नोलॉजी के लिए विदेशी मुद्राकोष के एक भाग को व्यय करने की डगर पर रणनीतिक रूप से आगे बढ़ा जाए।
गौरतलब है कि देश के विशाल आकार के विदेशी मुद्रा भंडार से जहां भारत की वैश्विक आर्थिक साख बढ़ी है, वहीं इस भंडार से देश की एक वर्ष से भी अधिक की आयात जरूरतों की पूर्ति की जा सकती है। देश का विदेशी मुद्रा भंडार देश के अंतर्राष्ट्रीय निवेश की स्थिति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया विदेशी मुद्रा भंडार कमी का कारण है। साथ ही विदेशी मुद्रा भंडार के मामले में देश का तीन दशक पहले का परिदृश्य पूरी तरह बदल गया है। वर्ष 1991 में हमारे देश की आर्थिक स्थिति बेहद खराब थी। हमारी अर्थव्यवस्था भुगतान संकट में फंसी हुई थी। उस समय के गंभीर हालात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि देश का विदेशी मुद्रा भंडार 1.1 अरब डॉलर ही रह गया था। इतनी कम रकम करीब दो-तीन हफ्तों के आयात के लिए भी पूरी नहीं थी। ऐसे में रिज़र्व बैंक ने 47 टन सोना विदेशी बैंकों के पास गिरवी रख कर कर्ज लिया था।