विश्लेषिकी और प्रशिक्षण

एक Price Gap क्यों बनता हैं?

एक Price Gap क्यों बनता हैं?

Uric Acid In Hindi – यूरिक एसिड बढ़ने से हो सकती है ये दो बीमारियाँ

दीपांकर शर्मा, 36, को पिछले कुछ दिनों से दोनों पैरों की एड़ियों में एक अजीब सा दर्द होने लगा था (heel pain cause of uric acid in hindi)| यह दर्द तब उठता एक Price Gap क्यों बनता हैं? था जब वह चलने के लिए अपने पैर ज़मीन पर रखते थे |

“जब जब मैं चलने लगता तब तब मेरे एड़ियों में एक चुभन सी होती थी | उन पर थोड़ा सा दबाव पड़ने पर भी दर्द बढ़ जाता था” दीपांकर ने अपनी स्तिथि को समझाते हुए कहाँ | उनको कई दिनों से पेट के निचले हिस्से और पीठ के बीच वाली जगह पर भी दर्द हो रहा था | अल्ट्रासाउंड कराने पर पता चला की उनके किडनी में एक छोटी सी पथरी है |

यह जानने पर दीपांकर की पत्नी ने उन्हें सीताराम भरतिया के डॉ. मयंक उप्पल के पास जांच के लिए जाने को कहाँ |

डॉ. मयंक उप्पल ने उनके लक्षणों को सुन कर उन्हें एक ब्लड टेस्ट कराने को कहाँ जिससे उनके शरीर में यूरिक एसिड (uric acid in hindi) की मात्रा पता चल सके | साथ में उन्होंने दीपांकर को एक Price Gap क्यों बनता हैं? सीरम यूरिक एसिड और 24 घंटों वाली Urinary Uric acid टेस्ट कराने को भी कहाँ |

जांच के पश्चात डॉ. मयंक ने कहाँ – “मेरा शक सही था | आपके खून और पेशाब में अधिक मात्रा में यूरिक एसिड पाया गया है जिससे यह साबित होता है कि आपको गाउट का दौरा पड़ा है | आपको किडनी स्टोन भी इसी कारण से हुआ है |”

दीपांकर को यूरिक एसिड या गाउट के बारे में बिलकुल भी जानकारी नहीं थी इसीलिए डॉक्टर ने उनको समझाया |

क्या है यूरिक एसिड (uric acid in hindi)?

यूरिक एसिड एक ऐसा केमिकल है जो शरीर में तब बनता है जब शरीर प्यूरिन (purine) नामक केमिकल का संसाधन करता है यानि उसको छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ता है | प्यूरिन केमिकल हमारे शरीर में भी बनते है और कुछ खाद्य पदार्थों में भी पाए जाते है |

“इस क्रिया में बना हुआ यूरिक एसिड रक्त में मिल जाता है और किड्नीस तक पहुँच जाता है | हमारे किड्नीस रक्त से इस केमिकल को छान लेते है और पेशाब द्वारा शरीर से बाहर निकाल देते है” डॉ. मयंक उप्पल ने कहाँ |

“परन्तु जब शरीर अधिक से ज़्यादा यूरिक एसिड बनाने लगता है या फिर किड्नीस सही मात्रा में इस केमिकल को शरीर से बाहर नहीं निकाल पाते है तब रक्त में इसकी मात्रा बढ़ती जाती है जिससे शरीर में फिर परेशानियाँ पैदा हो सकती है | इस स्तिथि को hyperuricemia कहते है |”

शरीर में ज़्यादा यूरिक एसिड (uric acid in hindi) से क्या हानि हो सकती है ?

डॉ. मयंक उप्पल समझतें हैं – “रक्त में ज़्यादा यूरिक एसिड होने के कारण समय के साथ साथ उसके नोकीले क्रिस्टल्स बनने लगते है | ये क्रिस्टल्स या तो शरीर के किसी भी हिस्से के जोड़ पट्टी में एक Price Gap क्यों बनता हैं? या फिर किड्नीस में जा कर जमने लगते है | जोड़ पट्टी में जमने पर ये गाउट जैसी बीमारी का कारण बनते है | किड्नीस में जमने पर ये किडनी स्टोन्स या पथरी बनाने लगते है | दोनों ही हमारे शरीर के लिए हानिकारक है |”

“यह अच्छी बात है की आपने अपने दर्द को नज़रअंदाज़ न करके जांच के लिए आ गए | अगर शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा लम्बे समय के लिए अधिक हो और उसका इलाज न किया जाए तो आगे चल के यह हड्डियों को भारी नुक्सान पहुँचा सकता है एक Price Gap क्यों बनता हैं? | और तो और यह किड्नीस और दिल रोगों के भी कारण बन सकता है |”

किन कारणों से शरीर में यूरिक एसिड (uric acid in hindi) की मात्रा बढ़ सकती है ?

Hyperuricemia कई कारणों से हो सकता है जैसे की –

  • वे खाद्य पदार्थ खाने से जिसमें प्यूरिन की मात्रा अधिक हो जैसे की – चिकन का लीवर, एन्कोवी (नमकीन स्वाद की छोटी मछली, सार्डीन मछली, सूखे बीन्स और मटर, मशरुम
  • बहुत ज़्यादा शराब पीना
  • कमज़ोर किड्नीस जो सही मात्रा में यूरिक एसिड छान कर शरीर से नहीं निकाल पाते

यूरिक एसिड (uric acid in hindi) के बारे में समझने के पश्चात दीपांकर ने गाउट और किडनी स्टोन्स की बीमारी के बारे में जानना चाहा |

किडनी स्टोन – लक्षण और इलाज

जब पेशाब में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ जाती है तब उसके क्रिस्टल्स बनने लगते है जो इकट्ठा होकर किडनी स्टोन्स या पथरी बनाने लगते है |

“अक्सर कम पानी पीने के कारण हमारा पेशाब गाढ़ा हो जाता है जिससे इन क्रिस्टल्स से पथरी बनने की संभावना बढ़ जाती है |”

अगर आपको किडनी स्टोन है तो आपको इन लक्षणों का सामना करना पड़ सकता है –

  • बार बार पेशाब आना
  • पेशाब करने पर जलन महसूस होना
  • अचानक से पेशाब करने की इच्छा उत्पन्न हो जाना
  • पीठ में या पेट के पास असहनीय दर्द
  • दर्द जो बार बार घटता – बढ़ता रहता है
  • पेशाब में रक्त (Blood in urine)

“ज़रूरी यह है की इनमे से किसी लक्षण का सामना करने पर आप जाँच के लिए आएं क्योंकि ज़्यादा तेर तक अगर पथरी शरीर के अंदर रहा हो तो बढ़ा हो सकता है | यह कभी कभार मूत्रनली में फिसल भी सकता है जिससे ये पेशाब की धारा रोक कर एक आपातकालीन समस्या खड़ी कर सकता है |”

जहाँ तक किडनी स्टोन के इलाज की बात है, यह उसके माप पर निर्भर करता है | अगर स्टोन छोटा है (5-6 mm) तो आराम से पेशाब द्वारा निकाला जा सकता है | बड़े किडनी स्टोन्स अगर दवाइयों से निकाले न जा सके तो ऐसी परिस्तिथि में सर्जरी को उपयोग भी किया जा सकता है |

गाउट की बीमारी – इसके लक्षण और इलाज

डॉ. मयंक उप्पल ने कहाँ – “गाउट एक तरह का कष्टदायक आर्थराइटिस है जो शरीर के जोड़ो में यूरिक एसिड क्रिस्टल्स के जमने से होता है | यह एक ऐसी बीमारी है जिसमे अचानक से ही शरीर के किसी भी जोड़ पट्टी में दर्द और सूजन हो जाती है | अक्सर ही यह पैर की सबसे बड़ी ऊँगली को आघात पहुंचाता है और उसमे दर्द पैदा करता है |”

पैर की बड़ी ऊँगली के अलावा यह आम तौर पर घुटनों, एड़ियों, कोहनियों और कलाइयों पर होता है | गाउट होने पर उस अंग के जोड़ को हिलाना मुश्किल और पीड़ाजनक हो जाता है |

यह सुन कर दीपांकर को समझ आया कि क्यों उनकी एड़ियों में चुभने वाला दर्द हो रहा था जो उनका चलना मुश्किल कर रहा था | “इसको कैसे ठीक किया जा सकता है (uric acid ka ilaaj)?” उन्होंने फिर पुछा |

गाउट के लक्षणों को कम करने के लिए सबसे पहला कदम होता है शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा कम करना | यह दवाइयों से किया जा सकता है |

“ऐसी बहुत सी दवाइयाँ मौजूद है जिनसे शरीर के यूरिक एसिड को घोल कर उसको ख़त्म किया जा सकता है | इससे वह जोड़ पट्टी के दर्द को कम कर देता है और आने वाले दिनों में गाउट का दौरा नहीं पड़ने देता | किड्नीस के यूरिक एसिड को शरीर से बाहर निकालने की क्षमता को भी दवाइयों से बढ़ाया जा सकता है | गाउट के दर्द को कम करने के लिए दवाइयाँ भी मौजूद हैं |”

दीपांकर ने डॉक्टर के दिए हुए सभी दवाइयों के बारे में ध्यान से समझा और उन्हें समय पर लेने का प्रण लिया | इसके साथ-साथ उन्होंने यह भी पुछा – “Uric acid me kya khana chahiye?”

Home remedies for uric acid in hindi

प्राकृतिक रूप से यूरिक एसिड (uric acid in hindi) की मात्रा कम करने के लिए अपने खान-पान पर ध्यान रखना बहुत ज़रूरी है |

Hyperuricemia को कम करने लिए आप निम्नलिखित उपाय अपना सकते है –

  • शराब का सेवन करना बिलकुल ही कम कर दें
  • प्यूरिन से भरे खाद्य पदार्थों से परहेज़ करे जैसे की – लाल मांस, लीवर, समुद्री खाद्य और चिकन के अन्य अंगों का मांस
  • अपने डाइट में उन खाद्य पदार्थों को अपनाएं जिनमें प्यूरिन कम मात्रा एक Price Gap क्यों बनता हैं? में पाई जाती है जैसे की – निर्मल अनाज, ब्रेड और आटा, दूध, अंडे, हरी सब्ज़ियाँ, फल और पीनट बटर
  • ज़्यादा पानी पीएं | दिन में कम से कम तीन से चार लीटर पानी पीएं
  • रोज़ व्यायाम करके अपना वज़न घटाने की कोशिश करे और एक स्वस्थ BMI रखें

दीपांकर ने इन सभी सुझावों को मन में बैठा लिया और यह वादा किया कि अपने यूरिक एसिड की मात्रा कम करने के लिए हर संभव कोशिश करेंगे |

Diastema: दांतों के बीच गैप होने की ये है 4 प्रमुख वजह, डेंटिस्ट से जानिए उपचार का प्राकृतिक और वैज्ञानिक तरीका

दांतो के बीच में गैप होना एक आम समस्या है, जिसके कई कारण हो सकते हैं। यह बच्चों और बड़ों दोनों को हो सकता है। इसके बारे में विस्तार से समझने के लिए हमने बात की डॉ नम्रता रूपानी से; जिन्होंने डायस्‍टेमा (दांतों के बीच गैप) के बारे में हमें विस्तार से जानकारी दी है।

Written by Atul Modi | Updated : July 12, 2021 4:30 PM IST

अक्सर आपने देखा होगा की बच्चों और बड़ों के दांतों के बीच में काफी गैप (Danto Ke Beech Gap) बन जाते हैं यानी दो दांतों के बीच में फासला बढ़ जाता है, जो चेहरे की खूबसूरती को बिगाड़ देता है। दांतों में गैप (Diastema) होने के कई कारण होते हैं जैसे मसूड़ों के रोग और बचपन की बुरी आदतें आदि। हालांकि इसे ठीक भी किया जा सकता है।

दरअसल, आजकल ओरल हाइजीन पर जागरूकता बढ़ने के साथ, डायस्‍टेमा (दांतों के बीच मौजूद गैप्‍स) जैसी दांतों की समस्‍याओं पर भी प्रमुखता से ध्‍यान दिया जाने लगा है। लोग दांतों की खराबियों को क्‍या समझते हैं, इस पर भी धारणाएं बन रही हैं। डायस्‍टेमा आपके दांतों के बीच के गैप्‍स (रिक्‍तता) का दूसरा नाम है। वर्ष 2012 में हुआ एक अध्‍ययन पुराने परिणामों की पुष्टि करता है कि डायस्‍टेमा लगभग दो-तिहाई बच्‍चों में हो सकता है, जिनके ऊपरी जबड़े के सामने के दो सपाट दांत निकल आये हों।

डायस्‍टेमा या दांतों के बीच गैप होने के कारण - Diastema Cusess In Hindi

आइये, हम डायस्‍टेमा के कुछ आम कारणों पर नजर डालें।

1. असामान्‍य वृद्धि

ज्‍यादातर मामलों में, डायस्‍टेमा तब होता है, जब दांतों के बीच सामान्‍य वृद्धि में रूकावट आती है और कैनाइन बनने तक एक खालीपन आ जाता है। ऐसे मामले भी हैं, जिनमें दांतों की असामान्‍य स्थिति और आकृति तथा आकारों में अंतर से दांत प्रभावित होते हैं और धीरे-धीरे एक-दूसरे से दूर हो जाते हैं।

2. मसूड़ों के रोग

मसूड़ों के रोग से भी डायस्‍टेमा हो सकता है, क्‍योंकि वह दांतों को सहारा देने वाले टिश्‍यूज और हड्डियों को क्षतिग्रस्‍त कर देता है। पेरियोडोंटिटिस से दांत ढीले हो सकते हैं और दांतों के बीच खालीपन आ सकता है। मसूड़ों के रोगों के आम लक्षणों में से कुछ हैं मसूड़ों में सूजन, मसूड़ों से खून आना, चबाते समय दर्द होना, दांत ढीले होना और सांसों की दुर्गंध।

3. फ्रेनम टिश्‍यूज की भूमिका

लैबियल फ्रेनम एक टिश्‍यू है, जो ऊपरी होंठ के भीतर से आगे के दांतों के ऊपर मसूड़े तक जाता है। आपके ऊपरी आगे के दांतों और मसूड़े की रेखा के बीच एक बड़े लैबियल फ्रेनम टिश्‍यू की मौजूदगी से भी आपके दांतों के बीच खालीपन आ सकता है। डायस्‍टेमा तब बन सकता है, अगर वहां अतिरिक्‍त दांत हैं या बेबी टीथ नहीं गिरे हैं।

4. बचपन की आदतें

बचपन में पड़ी कुछ आदतें भी दांतों के बीच खालीपन ला सकती हैं । यह आदतें हैं अंगूठा या उंगली चूसना, या ऊपर और नीचे के दांतों के बीच कोई धातु, लकड़ी या किसी अन्‍य कठोर चीज का टुकड़ा डालना। ऐसी आदतों से दांतों पर अनावश्‍यक दबाव आता है और उन्‍हें नुकसान पहुंचता है और वे एक-दूसरे से दूर हो जाते हैं। डायस्‍टेमा ऊपर या नीचे के सामने वाले दांतों पर ज्‍यादा दबाव डालने वाली अंगूठे की हरकत से भी हो सकता है। जीभ के इस दबाव (टंग प्रेशर) को जीभ का धक्‍का (टंग थ्रस्‍ट) भी कहा जाता है और यह दांतों के बीच खालीपन ला सकता है।

डायस्‍टेमा या दांतों में गैप का इलाज - Daanto ke Beech Gap Ka Ilaj Hindi

डायस्‍टेमा के कारणों की तरह, अधिकांश मामलों में इसका इलाज भी चुनौती वाला नहीं होता है। कई लोग इस खालीपन को कॉस्‍मेटिक की नजर से देखते हैं। हालांकि, दांतों के बीच खालीपन को रोकना और अच्‍छी आदतें डालना ज्‍यादा महत्‍वपूर्ण है, ताकि आपके ओरल हेल्‍थ को मजबूती मिले। आइये, हम डायस्‍टेमा को ठीक करने के लिये उपलब्‍ध इलाजों पर सरसरी तौर से नजर दौड़ाएं।

A. प्राकृतिक रूप से गैप्‍स का भरना

दांतों के बीच गैप्‍स को भरने की संभावना ज्‍यादा प्राकृतिक होती है, यदि यह गैप 2 मिलीमीटर से कम हो। हालांकि, यदि गैप 2 मिलीमीटर से ज्‍यादा है, तो ज्‍यादा उन्‍नत तरीकों को अपनाया जा सकता है। बच्‍चों को उंगली या बाहरी चीजें चूसने से रोकना आगे के दांतों की लाइनिंग पर गैर-जरूरी दबाव पड़ने से बचाने में मदद करता है।

B. ब्रेसिज

डायस्‍टेमा को ठीक करने के सबसे आम और स्‍वीकृत तरीकों में से एक है ब्रेसिज। ब्रेसिज में एप्‍लीकेटर्स का इस्‍तेमाल होता है, जैसे ब्रेकेट्स, वायर्स और स्‍ट्रेंथ बैण्‍ड्स, जो दांतों को सही ढंग से खिसकाते और बैठाते हैं। सही स्थिति में नहीं आने तक धीरे-धीरे दबाव डाला जाता है। कुछ मामलों में परमानेंट रिटेनर जरूरी हो सकता है, यदि रिटेनर हटाने के बाद भी दाँत हिलता रहे।

C. प्रोथेसेस और रेजिन्‍स

परमानेंट या रिमूवेबल इंप्‍लांट्स, क्राउंस या वेनीर्स (डायरेक्‍ट बॉन्‍डेड या सिरेमिक) का इस्‍तेमाल भी दांतों के बीच खालीपन को कवर करने में किया जा सकता है। आमतौर पर यह विधि ऑर्थोडोंटिक ट्रीटमेंट के फॉलो-अप के रूप में अपनाई जाती है। लंबे समय तक काम आने वाली एक अन्‍य विधि भी है, जिसमें खालीपन को भरने के लिये कम्‍पोजिट रेजिन्‍स या डेंटल बॉन्‍डींग मटेरियल्‍स का इस्‍तेमाल एक Price Gap क्यों बनता हैं? होता है, जो प्राकृतिक दाँत जैसे दिखते हैं।

D. मसूड़ों के रोगों को ठीक करना

अगर मसूड़े के किसी रोग के कारण दांतों के बीच खालीपन आता है, तो डेंटिस्‍ट के साथ अपॉइंटमेंट जरूरी हो जाता है और उस रोग को जल्‍दी से जल्‍दी ठीक करने की जरूरत होती है। डेंटिस्‍ट द्वारा रोग की पहचान के बाद उसे ठीक करने की विधि का निर्णय होगा। अगर मसूड़े का रोग बहुत उन्‍नत अवस्‍था में नहीं है, तो डेंटिस्‍ट कम कठिन उपायों और उपचारों की अनुशंसा कर सकता है। अगर मसूड़े का रोग बैक्‍टीरिया के संक्रमण से हुआ है, तो डेंटिस्‍ट तेज और आसान उपचार के लिये एंटीबायोटिक्‍स की अनुशंसा कर सकता है। ओरल एंटीबायोटिक्‍स भी कुल्‍ला करने वाली उन दवाइयों या जेल्‍स की तरह मदद कर सकते हैं, जिन्‍हें दांतों और मसूड़ों के बीच डाला जाता है।

E. फ्लैप सर्जरी से स्‍केलिंग और रूट प्‍लानिंग

स्‍केलिंग एक अन्‍य विधि है, जिसमें बैक्‍टीरिया को आपके दांतों और मसूड़ों से हटाया जाता है, जबकि रूट प्‍लानिंग में डेंटिस्‍ट आपके दांतों की जड़ की सतहों को चिकना कर देता है। इस प्रकार दांतों को बैक्‍टीरिया और टार्टर (दांतों का मैल) के जमने से सुरक्षा मिलती है। फ्लैप सर्जरी में छोटे चीरे लगाकर मसूड़े का एक छोटा भाग निकालने से स्‍केलिंग और रूट प्‍लानिंग की प्रक्रिया में सहायता मिलती है, क्‍योंकि इसमें जड़े स्‍पष्‍ट दिखती हैं और लंबे समय के परिणाम देने वाला उपचार प्रभावी ढंग से पूरा किया जाता है।

F. स्टिम्‍युलेटिंग जेल्‍स

दांतों की रोगग्रस्‍त जड़ों पर टिश्‍यू स्टिम्‍युलेटिंग जेल्‍स लगाने से ठीक होने और क्षतिपूर्ति की प्रक्रिया तेज हो जाती है। यह जेल्‍स प्रभावित एरिया में स्‍वस्‍थ हड्डी और टिश्‍यूज के विकास को बढ़ावा देते हैं।

G. हड्डी और सॉफ्ट टिश्‍यू की ग्राफ्टिंग

मसूड़ों के रोग डायस्‍टेमा की चुनौती को और गंभीर बना देते हैं और इसलिये, रोग को ठीक करने की उन्‍नत विधियाँ जरूरी हो जाती हैं। हड्डी की ग्राफ्टिंग तब जरूरी होगी, जब रोग हड्डी के घिराव को नष्‍ट कर देगा। जड़ों को कवर करने के लिये मुख के ऊपरी भाग से सॉफ्ट टिश्‍यूज निकाले जाएंगे और मध्‍यवर्ती चरण के तौर पर क्षतिग्रस्‍त टिश्‍यूज को मजबूत बनाया जाएगा।

H. सर्जरी

अगर खालीपन का कारण बड़ा फ्रेनम या सिस्‍ट की मौजूदगी है, तो सर्जरी की जरूरत होगी। सर्जरी के बाद ऑर्थोडोंटिक ट्रीटमेंट बढ़ाया जा सकता है। यह ध्‍यान रखना महत्‍वपूर्ण है कि डायस्‍टेमा को भरने के लिये सर्जरी प्राकृतिक उपचारों से बेहतर होगी।

डायस्‍टेमा का उपचार उचित एक Price Gap क्यों बनता हैं? रूप एक Price Gap क्यों बनता हैं? से सकारात्‍मक है और उपरोक्‍त विधियों की सफलता दर अच्‍छी है। डायस्‍टेमा का इलाज तो हो ही सकता है, लेकिन अच्‍छी ओरल हाइजीन रखकर बच्‍चों और वयस्‍कों में इसकी रोकथाम की जा सकती है। डेंटिस्‍ट को नियमित तौर पर दिखाने से डायस्‍टेमा के शुरूआती लक्षणों की पहचान और स्‍वस्‍थ दांतों तथा मसूड़ों के लिये पर्याप्‍त सहायता लेने में मदद मिल सकती है।

इनपुट्स: डॉ. नम्रता रूपानी, दंत रोग विशेषज्ञ और फाउंडर व सीईओ, कैप्‍चर लाइफ डेंटल केयर।

4 प्रकार के प्राइस गैप जो एक ट्रेडर को पता होना चाहिए

महत्वपूर्ण बिंदु:

  • Price Gaps सामान्य पैटर्न होते है जो डे ट्रेडर्स और पोजीशनल ट्रेडर्स दोनों के ही द्वारा ट्रेडिंग रणनीति के तौर पर उपयोग किए जाते है׀
  • एक गैप तब बनता है जब पिछले दिन के क्लोजिंग प्राइस और अगले दिन के ओपनिंग प्राइस में अलग-अलग प्राइस लेवल होता है׀
  • गैप को कॉमन गैप, ब्रेकअवे गैप, एग्जॉशन गैप और रनअवे गैप में वर्गीकृत किया जा सकता है׀
  • ट्रेडर्स बनने वाले गैप के प्रकार के आधार पर ट्रेडिंग रणनीति बना सकते है׀

क्या आपने कभी पिछले दिन के ओपनिंग प्राइस और क्लोजिंग प्राइस के बीच में एक ब्रेक देखा है?

यदि हां, तो इन दो ट्रेडिंग सेशन के बीच के ब्रेक को Price Gaps के रूप में जाना जाता है׀

गैप सामान्य पैटर्न होते हैं जो डे ट्रेडर्स और पोजीशनल ट्रेडर्स दोनों के ही द्वारा ट्रेडिंग रणनीति के तौर पर उपयोग किये जाते है׀

इस ब्लॉग में, हम गैप की मूल बातों के साथ-साथ आमतौर पर ट्रेडिंग में उपयोग किये जाने वाले 4 प्रकार के गैप के बारे में चर्चा करेंगे׀

Price Gaps क्या होता हैं?

एक गैप तब बनता है जब पिछले दिन के क्लोजिंग प्राइस और अगले दिन के ओपनिंग प्राइस में अलग-अलग प्राइस लेवल होता है׀

यह गैप मुख्य रूप से ट्रेडिंग सेशन के बाद उस एक विशेष स्टॉक में किसी भी समाचार के कारण बनता है

उदाहरण के लिए, यदि कंपनी की कमाई उम्मीद से अधिक है, तो अगले दिन स्टॉक की गैप बढ़ जाएगी׀

एक Price Gap क्यों बनता हैं?

एक गैप आमतौर पर तब बनता है जब मार्केट में लिक्विडिटी कम होती है׀ उस स्टॉक का ट्रेड करने के लिए पर्याप्त खरीदार या विक्रेता नहीं होते है׀

यह तब भी हो सकता है जब उस स्टॉक में हाई वॉल्यूम होता है׀

अर्निंग रिलीज़ होने और कंपनी से सम्बंधित समाचारों जैसे महत्वपूर्ण इवेंट जो स्टॉक के क्लोज होने के बाद बाज़ार के सेंटिमेंट एक Price Gap क्यों बनता हैं? को प्रभावित करते है, जब स्टॉक अगले दिन खुलता है तो ये स्टॉक की कीमतों में गैप बनने का नेतृत्व करते हैं׀

4 प्रकार के Price Gaps:

Price Gaps को मुख्य रूप से 4 समूहों में वर्गीकृत किया जा सकता है:

price-gaps

1. कॉमन Price Gaps:

कॉमन गैप को कभी-कभी ट्रेडिंग गैप या एरिया गैप भी कहा जाता है׀

यह गैप नर्वस मार्केट में होता है और आमतौर पर कुछ दिनों में बंद हो जाता है׀ जब वॉल्यूम कम होता है, तब पूर्व-लाभांश में जाने वाले स्टॉक के कारण यह गैप बन सकता है׀

एक कॉमन गैप एक ट्रेडिंग रेंज में प्रकट होता है और उस समय में स्टॉक में उत्साह की कमी की स्पष्ट पुष्टि करता है׀

इस प्रकार के गैप के बारे में जानना अच्छा है, लेकिन आमतौर पर यह संदेहपूर्ण होता है कि वे ट्रेडिंग अवसरों को उत्पन्न करेंगे׀

बाजार विशेषज्ञों द्वारा टेक्निकल ट्रेडिंग अब हुआ आसान के साथ ट्रेडिंग की मूल बातें जानें

2. ब्रेकअवे Price Gaps:

ब्रेकअवे गैप आमतौर पर शुरू में नहीं भारती हैं׀

एक ब्रेकअवे गैप तब बनता है जब एक स्टॉक गैप की कीमत सपोर्ट या रेजिस्टेंस लेवल से अधिक होता है׀ यह एक ब्रेकआउट पैटर्न की तरह होता है, लेकिन यहाँ वास्तविक ब्रेकआउट एक गैप के रूप में होता है׀

इस तरह के गैप मजबूत गति के संकेत देते है और कीमत एक ब्रेकअवे गैप के बाद ट्रेंड करता रहता है׀

इसके अलावा, ब्रेकअवे गैप जितना अधिक होगा, गैप के बाद की कैंडल उतनी ही मजबूत होगी, और प्रचलित ट्रेंड भी उतना ही मजबूत होगा׀

3. रनअवे/ कंटिन्यूएशन Price Gaps:

रनअवे गैप को मेजरिंग गैप के रूप में भी संदर्भित किया जाता है׀

एक अपट्रेंड में रनअवे गैप उन ट्रेडर्स को प्रदर्शित करता है जो अपट्रेंड की शुरुआत के दौरान ट्रेड में अन्दर नहीं आये थे और कीमत में एक रिट्रेसमेंट की प्रतीक्षा करते समय, वे यह तय करते है कि यह होने वाला ही नहीं था׀

वहां अचानक खरीदी की रूचि में वृद्धि हुई है׀ इस प्रकार का रनअवे गैप ट्रेडर्स में लगभग पैनिक स्थिति को प्रदर्शित करता है׀

रनअवे गैप महत्वपूर्ण समाचार इवेंट के कारण भी हो सकते है जो स्टॉक में नयी रूचि को उत्पन्न कर सकते है׀

एक डाउनट्रेंड में, रनअवे खरीदारों के द्वारा स्टॉक के लिक्विडेशन में वृद्धि को प्रदर्शित करता है जो कि किनारे पर खड़े होते हैं׀

निफ्टी के दैनिक चार्ट में हम रनअवे गैप का एक उदाहरण देख सकते है:

runaway price gaps

4. एग्जॉशन Price Gaps:

एग्जॉशन गैप आमतौर पर भर जाते है और एग्जॉशन गैप को ट्रेड करने का सबसे अच्छा तरीका अटकले लगाना नहीं बल्कि पैटर्न के आसपास सही एंट्री और एग्जिट टाइम की जानकारियों का उपयोग करना है׀

एक एग्जॉशन गैप आमतौर पर एक ट्रेंड के अंत में या एक महत्वपूर्ण सपोर्ट और एक Price Gap क्यों बनता हैं? रेजिस्टेंस लेवल पर बनता है׀

ट्रेंड की दिशा में पहला गैप एक रनअवे गैप की तरह लग सकता है लेकिन दी हुई कैंडल आमतौर पर एक दोजी पैटर्न के बाद होता है जो प्राइस लेवल की अनिर्णय या अस्वीकृति को दर्शाता है׀

हम नीचे दिए गए निफ्टी के दैनिक चार्ट में एग्जॉशन गैप का एक उदाहरण देख सकते हैं:

exhausion gap

गैप के साथ खेलना:

ट्रेडर्स बनने वाले गैप के प्रकार के आधार पर ट्रेडिंग रणनीति बना सकते है׀

थम्ब रूल के अनुसार, नीचे कुछ बिंदु दिए गए है जिन पर ट्रेडर्स को विचार करने की आवश्यकता है जब ट्रेडिंग गैप:

  • कॉमन गैप को आमतौर पर विपरीत दिशा में ट्रेड करना चाहिए, क्योंकि बाज़ार में गैप होने के बाद वे भर जाते है׀
  • कंटिन्यूएशन गैप एक मजबूत ट्रेंड का सिग्नल देता है, और एक कंटिन्यूएशन गैप होने के बाद ट्रेडर्स ट्रेंड की दिशा में एंट्री कर सकते है׀
  • एग्जॉशन गैप ट्रेंड रिवर्सल का सिग्नल देता है और ट्रेडर्स को इस गैप का पता लगने के बाद विपरीत ट्रेंड में एंट्री करनी चाहिए׀

ऊपर दिए गए थम्ब रूल्स की मदद से, दोनों डे ट्रेडर्स और पोजीशनल ट्रेडर्स चार्ट में गैप का एनालिसिस कर सकते है और इसके अनुसार ट्रेड कर सकते है׀

आप स्टॉकएज एप, जो वेब वर्जन में भी उपलब्ध है, का उपयोग करके अगले दिन ट्रेडिंग के लिए, स्टॉक को फ़िल्टर करने के लिए टेक्निकल स्कैन का उपयोग कर सकते है׀

नीचे कमेंट करके बताएं की क्या आपको यह प्राइस पैटर्न इंट्रेस्टिंग लगा׀

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अगर दांतों में है गैप तो उसे लकी न समझें, जबड़ा चैक कराएं

दांतों में गैप को लोग अक्सर लकी मानते हैं लेकिन असल में यह जबड़े, दांतों या पायरिया से जुड़ी समस्या हो सकती है। यह गैप दूध के दांतों में नहीं बल्कि परमानेंट दांतों में होता है। आइए जानते हैं इससे जुड़े तथ्यों के बारे में।

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इसलिए होता है गैप -
आमतौर पर हमारे नीचे वाले दांतों की तुलना में ऊपर के दांतों में स्पेस होता है। यह एक Price Gap क्यों बनता हैं? स्पेस दांतों का साइज छोटा व जबड़े का साइज बड़ा होने से हो सकता है।

दांतों का आकार सामान्य लेकिन जबड़े का साइज अत्यधिक होने से भी दांतों के बीच में गैप आ जाता है।
सभी दांतों का आकार बहुत छोटा होने पर। सभी 32 दांतों में से 2-4 दांत कम आने से भी गैप हो जाता है।
लंबे समय तक जब व्यक्ति पायरिया का इलाज नहीं कराता तो दांत अपनी जगह से खिसकने लगते हैं जिससे खाली जगह बनने लगती है।
लेट्रल इंसाइजर (सामने के दांतों से सटा दांत) का आकार सामान्य से बहुत छोटा होने पर भी दांतों में गैप आ जाता है।

सर्जरी से हो सकते हैं ठीक :

विनियर्स लेमिनेट्स -
इस सर्जरी में दांतों की इनेमल लेयर को घिसकर पतली-पतली दो परत बनाई जाती हैं जिन्हें गेप वाले दांतों के ऊपर लगा दिया जाता है। इसके लिए आधे घंटे की 2-3 सीटिंग लेनी पड़ती है और 5-8 हजार का खर्च आता है।

जैकेट क्राउन -
जब दांतों के बीच का गैप 4 मिलिमीटर से ज्यादा होता है तो दांतों को चारों तरफ से पूरी तरह से घिसकर उन पर कैप लगा दी जाती है।

कॉम्पॉजिट विनियर्स ट्रीटमेंट -
अगर सेंट्रल इंसाइजर (सामने के दो दांत) में कम गैप होता है तो इस ट्रीटमेंट से दांतों की चौड़ाई बढ़ाकर गैप कम किया जाता है। इसमें कॉम्पॉजिट मैटीरियल (दांतों के रंग से मिलती-जुलती) फिलिंग इस्तेमाल होती है। यह आधे घंटे की एक सिटिंग में ही हो जाता है।

ध्यान रखें : अगर आपको किसी मैटीरियल (रेसिन/सिरेमिक) से एलर्जी है तो इसके बारे में अपने डेंटिस्ट को पहले ही बता दें।

एक इंजेक्शन और तीन महीने तक गर्भ से छुट्टी

सांकेतिक तस्वीर

"बिस्तर पर लेटे मेरे पति जब भी मुझे गर्भ निरोधक गोली लेते हुए देखते हैं, उनकी आंखों में संदेह तैर जाता है. उनकी आंखों का संदेह कहीं न कहीं उनकी दिलचस्पी पर भी असर डालता है और उनके इस बर्ताव से मैं भी सोच में डूब जाती हूं."

हर रात डिम्पी को होने वाले इस एहसास में एक दर्द भी है और एक सवाल भी.

ये सवाल वो अपने आप से पूछती थी. क्या गर्भधारण के लिए वो तैयार है?

उसकी पिछले साल नई-नई शादी हुई है. लेकिन कुछ ही महीने बाद उसे लगने लगा है कि अगर ख़ुशहाल जीवन के लिए सेक्स अहम है तो गर्भनिरोधक का इस्तेमाल कहीं न कहीं उसे प्रभावित तो करता है ही.

इसी उधेड़बुन में डिम्पी ने गाइनोकॉलजिस्ट से सम्पर्क किया. वहां उसे महिलाओं द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले गर्भनिरोधक इंजेक्शन के बारे में पता चला.

क्या है गर्भ निरोधक इंजेक्शन?

महिलाएं गर्भ धारण से बचने के लिए हर तीन महीने में इसका इस्तेमाल कर सकती हैं.

इसका नाम DMPA इंजेक्शन है.

DMPA का मतलब है डिपो मेड्रोक्सी प्रोजेस्ट्रॉन एसीटेट.

यानी इस इंजेक्शन में हॉर्मोन प्रोजेस्ट्रॉन का इस्तेमाल किया जाता है.

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गाइनोकॉलजिस्ट (स्त्री रोग) डॉ. बसब मुखर्जी के मुताबिक ये इंजेक्शन तीन तरीके से काम करता है.

सबसे पहले इंजेक्शन का असर महिला के शरीर में बनने वाले अंडाणु पर पड़ता है. फिर बच्चेदानी के मुंह पर एक दीवार बना देता है जिससे महिला के शरीर में शुक्राणु का प्रवेश मुश्किल हो जाता है. इन दोनों वजहों से बच्चा महिला के शरीर में ठहर नहीं पाता.

इसकी कीमत 50 रुपए से लेकर 250 रुपए तक है.

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गर्भ निरोधक इंजेक्शन से जुड़ी ग़लतफ़हमियां

दुनिया के दूसरे देशों में इसका इस्तेमाल बहुत सालों से चल रहा है. भारत में भी 90 के दशक में इसके इस्तेमाल की इज़ाजत मिल गई थी.

इसके बाद भी भारत सरकार के परिवार नियोजन के लिए दिए जाने वाले किट में इसका इस्तेमाल नहीं हो रहा था.

वजह? इसके इस्तेमाल को लेकर मौजूद ग़लतफ़हमी.

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गर्भ निरोधक इंजेक्शन के इस्तेमाल से महिलाओं में हड्डियां कमजोर हो जाती हैं, कैंसर का ख़तरा बढ़ जाता है. ऐसी ग़लतफ़हमियों की वजह से महिलाएं इससे बचती थीं.

लेकिन डब्लूएचओ की रिपोर्ट ने इस तरह की ग़लतफ़हमियों पर से पर्दा उठा दिया.

डब्लूएचओ की रिपोर्ट के हवाला देते हुए डॉ. रवि आंनद कहती हैं, "महिलाओं में इंजेक्शन के लंबे इस्तेमाल से हड्डियां कमज़ोर होती हैं. ये बात सही है, लेकिन इसका इस्तेमाल बंद करते ही वापस सामान्य हो जाती हैं."

इतना ही नहीं डॉ. रवि आंनद के मुताबिक इससे महिलाओं में कैंसर का ख़तरा भी कम हो जाता है.

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गर्भ निरोध इंजेक्शन के फ़ायदे

स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ बसब मुखर्जी के मुताबिक गर्भ निरोधक इंजेक्शन के इस्तेमाल के कई फ़ायदे हैं.

इसको गोली की तरह हर ऱोज लेने की झंझट नहीं है.

इसको इस्तेमाल करने से गर्भ धारण करने का ख़तरा न के बराबर है.

बच्चा होने के तुरंत बाद भी इसका इस्तेमाल शुरू किया जा सकता है क्योंकि इसमें प्रोजेस्ट्रॉन होता है.

कुछ लोग ज गर्भ निरोधक के इस्तेमाल को प्राइवेट रखना चाहते हैं, वो इस तरीके को ज़्यादा बेहतर मानते हैं.

इंजेक्शन के इस्तेमाल के बाद कुछ महिलाओं में ब्लीडिंग बहुत कम हो जाती है. डॉक्टर इसे अच्छा मानते हैं क्योंकि इससे महिलाओं में एनीमिया का ख़तरा कम हो जाता है.

सबसे अहम बात ये कि गर्भनिरोधक इंजेक्शन का इस्तेमाल करने वाली महिलाओं में गर्भ धारण करने की संभावना न के बराबर है.

इतना ही नहीं इसमें समय सीमा का बहुत ज़्यादा बंधन भी नहीं हैं. तीन महीने पूरे होने के चार हफ्ते बाद तक इसे लिया जा सकता. बीच में गर्भधारण का ख़तरा भी नहीं होता.

गर्भनिरोक इंजेक्शन और प्रजनन दर

नेशनल फ़ैमली हेल्थ सर्वे-4 के आंकड़ों के मुताबिक देश में 145 ज़िले ऐसे हैं जहां प्रजनन दर यानी महिलाओं में बच्चा पैदा करने की दर तीन या उससे ज़्यादा है.

मतलब ये कि देश के 145 ज़िलों में महिलाएं तीन से ज़्यादा बच्चे पैदा करती हैं जो कि 'हम दो हमारे दो' की पॉलिसी के ख़िलाफ़ है.

ये 145 ज़िले देश के सात राज्यों में है. ये राज्य हैं बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान, झारखंड, और छत्तीसगढ़.

इसलिए केन्द्र सरकार ने इन राज्यों में मुफ्त में बांटे जाने वाले गर्भ निरोधक किट में इंजेक्शन वाले गर्भनिरोध को डाला है.

रिपोर्ट के मुताबिक महिलाओं में इस्तेमाल होने वाले गर्भनिरोधक इंजेक्शन की सफलता की दर 99.7 फ़ीसदी है.

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