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शेयर बाज़ार मे स्पलीट करने का मतलब क्या है?

शेयर बाज़ार मे स्पलीट करने का मतलब क्या है?
क्या होता है स्टॉक स्प्लिट

जब किसी कंपनी के शेयर की कीमत काफी अधिक हो जाती है, तो वह एक महंगा शेयर हो जाता है। अधिक महंगा होने के चलते छोटे शेयर ऐसे शेयरों में निवेश नहीं करते हैं। ऐसे में कंपनी अपने शेयरों को छोटे निवेशकों की पहुंच में रखने के लिए शेयर स्प्लिट करने का फैसला लेती है। शेयर स्प्लिट या स्टॉक स्प्लिट से शेयरों की संख्या बढ़ जाती है और शेयर की कीमत घट जाती है। इससे शेयर की कीमत तो कम हो जाती है, लेकिन कंपनी का बाजार पूंजीकरण समान बना रहता है। कंपनियां स्टॉक में लिक्विडिटी को बढ़ाने के लिए शेयर स्प्लिट का फैसला लेती है।

टेस्ला के एक शेयर के हो जाएंगे तीन

टेस्ला के बोर्ड ने 3:1 के अनुपात में स्टॉक स्प्लिट को मंजूरी दी है। अर्थात टेस्ला के मौजूदा शेयरधारकों को एक शेयर के बदले तीन शेयर मिलेंगे। इससे प्रति शेयर कीमत तो घट जाएगी, लेकिन निवेशक का पोर्टफोलियो पहले के समान ही बना रहेगा। शेयर के सस्ता होने से छोटे निवेशक भी आसानी से कंपनी का शेयर खरीद सकेंगे।
LIC Share News : एलआईसी के शेयर में 13 जून के बाद आ सकती है बड़ी गिरावट! यह है वजह
इस तरह लगा सकते हैं पैसा

टेस्ला एक अमेरिकन इलेक्ट्रिक-ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरिंग कंपनी है। यह कंपनी जून 2010 में नैस्डेक स्टॉक एक्सचेंज (Nasdaq Stock Exchange) पर लिस्ट हुई थी। निवेशक घर बैठे अमेरिका के शेयर बाजार में पैसा लगा सकते हैं। लिबरलाइज्ड रेमिटेंड स्कीम (LRS) के तहत ऐसा हो सकता है। एलआरएस के तहत विदेशी शेयर बाजारों, बांड और ईटीएफ आदि में पैसा लगाया जा सकता है। कई सारे बैंक अपने ग्राहकों को यह सुविधा प्रदान करते हैं। इसके जरिए आप ऑनलाइन ही विदेशी शेयर में निवेश कर सकते हैं। एलआरएस के माध्यम से कोई भारतीय निवासी एक वित्त वर्ष में 2.5 लाख डॉलर (करीब 1.88 करोड़ रुपये) निवेश कर सकते हैं।

शेयर बाजार (Share Bazaar)

शेयर बाजार क्या है?
शेयर बाजार यानी इक्विटी मार्केट एक ऐसा प्लैटफॉर्म है, जो कंपनियों और निवेशकों को एक-दूसरे से जोड़ता है। कंपनियां पूंजी जुटाने के लिए शेयर बाजार में लिस्ट होती हैं। शेयर बाजार में लिस्टिंग के बाद निवेशक कंपनियों के शेयरों खरीदते -बेचते हैं।
बीएसई और एनएसई
भारत में दो बड़े शेयर बाजार हैं, बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज यानी बीएसई और नैशनल स्टॉक एक्सचेंज यानी एनएसई। बीएसई एशिया का सबसे पुराना शेयर बाजार है। इसकी स्थापना 1895 में की गई थी। एनएसई भारत का सबसे बड़ा और दुनिया का चौथा सबसे बड़ा शेयर बाजार है।
सेंसेक्स और निफ्टी
सेंसेक्स बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज यानी बीएसई का संवेदी सूचकांक है। सेंसेक्स में बीएसई की टॉप 30 कंपनियां शामिल की जाती हैं इसलिए इसे बीएसई 30 (BSE 30) भी कहते हैं। बाजार शेयर बाज़ार मे स्पलीट करने का मतलब क्या है? पूंजीकरण के हिसाब से सेंसेक्स में शामिल 30 कंपनियां बदलती रहती हैं।

निफ्टी नैशनल स्टॉक एक्सचेंज यानी एनएसई का संवेदी सूचकांक है। निफ्टी दो शब्दों को मिला कर बना है NATIONAL और FIFTY। इससे साफ पता चलता है कि निफ्टी एनएसई की टॉप 50 कंपिनयां शामिल होती हैं।
ट्रेडिंग की शुरुआता
शेयर बाजार में ट्रेडिंग यानी शेयरों की खरीद-बिक्री के लिए बैंक, डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट जरूरत होती है। शेयर डीमैट अकाउंट में जमा होते हैं और ट्रेडिंग अकाउंट के जरिये शेयरों की खरीद-बिक्री की जाती है।

Market पाठशाला-1: बुल मार्केट, बेयर मार्केट सहित शेयर बाजार में बार-बार इस्तेमाल होने वाले शब्दों के मतलब जानिए

 Nifty अपने ऑलटाइम लेवल के करीब ट्रेड कर रही है.

Market पाठशाला-1: भारतीय शेयर बाजार इस समय रिकॉर्ड हाई पर चल रहे हैं. कोरोना काल के बाद शेयर बाजार में जबरदस्त रिकवरी य . अधिक पढ़ें

  • News18Hindi
  • Last Updated : November 23, 2021, 15:33 IST

Market पाठशाला-1: भारतीय शेयर बाजार इस समय रिकॉर्ड हाई पर चल रहे हैं. कोरोना काल के बाद शेयर बाजार में जबरदस्त रिकवरी या तेजी देखने को मिली है. मार्केट की इस तेजी के साथ लाखों नहीं करोड़ों नए रिटेल निवेशक बाजार से जुड़े हैं. पिछले एक साल में रिकॉर्ड संख्या में एक करोड़ से नए रिटेल निवेशकों ने डिमैट अकाउंट खोले हैं.

नए निवेशक बाजार में तो आ गए हैं लेकिन बहुत सारे बेसिक शब्दों का मतलब कम समझते है जबकि इन शब्दों का मार्केट में रोज ब रोज इस्तेमाल होता है. इस कड़ी में आज हम उन कुछ बुनियादी शब्दों का मतलब समझेंगे.

बुल मार्केट (तेजी): अगर किसी को लगता है कि बाजार ऊपर जाएगा और शेयरों की कीमत बढ़ेगी तो, कहा जाता है कि वो तेजी में है. अगर एक तय समय में बाजार लगातार ऊपर की तरफ जाता रहता है तो कहा जाता है कि बाजार बुल मार्केट में है, या फिर बाज़ार में तेजी का माहौल है.

बेयर मार्केट (मंदी): तेजी के माहौल का ठीक उल्टा मंदी का माहौल होता है. अगर आपको लगता है कि आने वाले समय में बाजार नीचे की तरफ जाएगा तो कहा जाता है कि आप उस स्टॉक को लेकर बेयरिश (Bearish) हैं. इसी तरह जब एक लंबे समय तक बाजार नीचे की तरफ जा रहा होता है तो कहा जाता है कि बाजार बेयर मार्केट में है.

ट्रेंड: बाजार की दिशा और उस दिशा की ताकत को ट्रेंड कहा जाता है . उदाहरण के लिए, अगर बाजार तेजी से नीचे जा रहा है तो कहते हैं कि बाजार में गिरावट का ट्रेंड है या अगर बाजार ना उपर जा रहा है ना अधिक नीचे तो उसे “साइडवेज” या दिशाहीन ट्रेंड कहा जाता है.

शेयर की फेस वैल्यू: किसी शेयर की तय कीमत को फेसवैल्यू कहते हैं. इसे कंपनी तय करती है और ये उनके कॉरपोरेट फैसलों के लिए महत्वपूर्ण होता है, जैसे डिविडेंड देने या स्टॉक स्प्लिट करने के समय कंपनी शेयर बाज़ार मे स्पलीट करने का मतलब क्या है? शेयर की फेस वैल्यू को ही आधार बनाती है. उदाहरण के लिए, अगर इन्फोसिस के शेयर की फेस वैल्यू 5 रूपए है और कंपनी ने 65 रूपए का सालाना डिविडेंड दिया तो इसका मतलब है कि कंपनी ने 1260% डिविडेंड दिया. (65÷5)

52 हफ्तों का हाई/लो (52 week high/low) : 52 हफ्ते की ऊँचाई का मतलब है कि स्टॉक की पिछले 52 हफ्तों में सबसे ऊंची कीमत. इसी तरह 52 हफ्तों की निचाई मतलब सबसे निचली कीमत 52 हफ्तों में. 52 हफ्तों की ऊँची या नीची कीमत स्टॉक की कीमत का दायरा बताता है. जब कोई स्टॉक अपने 52 हफ्तों की ऊँचाई के करीब होता है तो कई लोग ऐसा मानते हैं कि स्टॉक तेजी में रहने वाला है, इसी तरह जब स्टॉक अपने 52 हफ्ते के निचले स्तर के करीब होता है तो ऐसा शेयर बाज़ार मे स्पलीट करने का मतलब क्या है? माना जाता है कि स्टॉक मंदी में रहने वाला है.

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Reliance AGM 44th 2021: आज हो सकता है बोनस शेयर का ऐलान…जानिए कैसे और किसे होगा फायदा

Reliance AGM 44th 2021: देश की सबसे बड़ी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज बोनस शेयर का ऐलान कर सकती है. आपको बता दें कि इससे पहले भी एजीएम के दौरान सन 1983, 1997 और 2009, 2017 में बोनस इश्यू का ऐलान हुआ था.

Reliance AGM 44th 2021: आज हो सकता है बोनस शेयर का ऐलान. जानिए कैसे और किसे होगा फायदा

TV9 Bharatvarsh | Edited By: अंकित शेयर बाज़ार मे स्पलीट करने का मतलब क्या है? त्यागी

Updated on: Jun 24, 2021 | 12:49 PM

देश की सबसे बड़ी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज एक बार फिर से अपने शेयरधारकों के लिए बड़ा ऐलान कर सकती है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, स्पेशल डिविडेंड और बोनस इश्यू की घोषणा कर सकती है. इससे पहले रिलायंस ने अपनी एजीएम के दौरान सन 1983, 1997 और 2009, 2017 में बोनस इश्यू का ऐलान किया था.

क्या होता है बोनस शेयर

बोनस शेयर-कंपनी जब निवेशकों को मुफ्त में शेयर देती है तो उसे बोनस शेयर कहा जाता है.निवेशकों को बोनस शेयर खास अनुपात में मिलता है. यानी अगर कोई कंपनी 1:1 का बोनस देती है तो इसका मतलब है कि हर 1 शेयर पर आपको 1 बोनस शेयर मिलेंगे.हालांकि बोनस इश्यू के बाद इक्विटी कैपिटल बढ़ जाता है, लेकिन फेस वैल्यू में कोई बदलाव नहीं होता.फेस वैल्यू में बदलाव नहीं होने से निवेशक को भविष्य में इसका फ़ायदा ज़्यादा डिविडेंड के तौर पर होता है.

क्या होगा शेयरधारकों को फायदा

एक्सपर्ट्स बताते हैं कि बोनस शेयर मिलने के बाद निवेशकों के पास शेयरों की संख्या बढ़ जाती है. अगर आसान शब्दों में कहें तो कोई कंपनी 1 पर 1 बोनस शेयर की घोषणा करती है तो निवेशक के पास शेयरों की संख्या डबल हो जाएगी.

मान लीजिए बोनस से पहले आपके पास 100 शेयर है तो बोनस के बाद वो 200 हो जाएंगे. लेकिन उनकी वैल्यू नहीं बढ़ेगी. क्योंकि बोनस (एक्स बोनस) के बाद शेयर की कीमत आधी हो जाती है.

बोनस और स्टॉक स्प्लिट में क्या अंतर होता है

स्टॉक स्प्लिट को शेयर विभाजन कहा जता है. किसी शेयर की फेस वैल्यू को कम करना शेयर विभाजन कहलाता है यानी 10 रुपये की फेस वैल्यू वाले शेयर की फेस वैल्यू 2 रुपये की जाती है. तो शेयर को 5 हिस्सों में विभाजित करना होगा.

विभाजन के साथ ही रिकॉर्ड डेट पर शेयर का बाज़ार भाव भी 5 हिस्सों में एडजस्ट हो जाएगा. शेयर विभाजन ख़ास तौर पर लिक्विडिटी और वॉल्यूम बढ़ाने के मकसद से किया जाता है. शेयर विभाजन करने का मकसद अधिक से अधिक रीटेल निवेशकों को हिस्सेदार बनाना होता है.

Tesla Share Price : तीन गुना तक सस्ते हो रहे टेस्ला के शेयर, जानिए कैसे खरीद सकते हैं आप

Tesla Share Price : जब शेयर बाज़ार मे स्पलीट करने का मतलब क्या है? किसी कंपनी के शेयर की कीमत काफी अधिक हो जाती है, तो वह एक महंगा शेयर हो जाता है। अधिक महंगा होने के चलते छोटे शेयर ऐसे शेयरों में निवेश नहीं करते हैं। ऐसे में कंपनी अपने शेयरों को छोटे निवेशकों की पहुंच में रखने के लिए शेयर स्प्लिट करने का फैसला लेती है। शेयर स्प्लिट या स्टॉक स्प्लिट से शेयरों की संख्या बढ़ जाती है और शेयर की कीमत घट जाती है।

Tesla share price

तीन गुना तक सस्ता हो रहा टेस्ला का शेयर

क्या होता है स्टॉक स्प्लिट

जब किसी कंपनी के शेयर की कीमत काफी अधिक हो जाती है, तो वह एक महंगा शेयर हो जाता है। अधिक महंगा होने के चलते छोटे शेयर ऐसे शेयरों में निवेश नहीं करते हैं। ऐसे में कंपनी अपने शेयरों को छोटे निवेशकों की पहुंच में रखने के लिए शेयर स्प्लिट करने का फैसला लेती है। शेयर स्प्लिट या स्टॉक स्प्लिट से शेयरों की संख्या बढ़ जाती है और शेयर की कीमत घट जाती है। इससे शेयर की कीमत तो कम हो जाती है, लेकिन कंपनी का बाजार शेयर बाज़ार मे स्पलीट करने का मतलब क्या है? पूंजीकरण समान बना रहता है। कंपनियां स्टॉक में लिक्विडिटी को बढ़ाने के लिए शेयर स्प्लिट का फैसला लेती है।

टेस्ला के एक शेयर के हो जाएंगे तीन

टेस्ला के बोर्ड ने 3:1 के अनुपात में स्टॉक स्प्लिट को मंजूरी शेयर बाज़ार मे स्पलीट करने का मतलब क्या है? दी है। अर्थात टेस्ला के मौजूदा शेयरधारकों को एक शेयर के बदले तीन शेयर मिलेंगे। इससे प्रति शेयर कीमत तो घट जाएगी, लेकिन निवेशक का पोर्टफोलियो पहले के समान ही बना रहेगा। शेयर के सस्ता होने से छोटे निवेशक भी आसानी से कंपनी का शेयर खरीद सकेंगे।
LIC Share News : एलआईसी के शेयर में 13 जून के बाद आ सकती है बड़ी गिरावट! यह है वजह
इस तरह लगा सकते हैं पैसा

टेस्ला एक अमेरिकन इलेक्ट्रिक-ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरिंग कंपनी है। यह कंपनी जून 2010 में नैस्डेक स्टॉक एक्सचेंज (Nasdaq Stock Exchange) पर लिस्ट हुई थी। निवेशक घर बैठे अमेरिका के शेयर बाजार में पैसा लगा सकते हैं। लिबरलाइज्ड रेमिटेंड स्कीम (LRS) के तहत ऐसा हो सकता है। एलआरएस के तहत विदेशी शेयर बाजारों, बांड और ईटीएफ आदि में पैसा लगाया जा सकता है। कई सारे बैंक अपने ग्राहकों को यह सुविधा प्रदान करते हैं। इसके जरिए आप ऑनलाइन ही विदेशी शेयर में निवेश कर सकते हैं। एलआरएस के माध्यम से कोई भारतीय निवासी एक वित्त वर्ष में 2.5 लाख डॉलर (करीब 1.88 करोड़ रुपये) निवेश कर सकते हैं।

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