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ADR क्या है?

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ADR Report: यूपी के 35% विधायकों पर गंभीर आपराधिक केस, ऐसे 140 में से 106 विधायक BJP के

यूपी चुनाव से पहले एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने यूपी के विधायकों से जुड़े कई अहम खुलासे किए हैं. अपनी रिपोर्ट में ADR ने यूपी के मौजूदा विधायकों पर दर्ज आपराधिक केस लेकर उनकी संपत्ति और शिक्षा का खुलासा किया है.

ADR Report on UP's MLA's: उत्तर प्रदेश चुनाव से पहले चुनाव व्यवस्था और नेताओं पर नजर रखने वाली संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने यूपी के विधायकों से जुड़े कई अहम खुलासे किए हैं. अपनी रिपोर्ट में ADR ने यूपी के मौजूदा विधायकों पर दर्ज आपराधिक केस लेकर उनकी संपत्ति और शिक्षा का खुलासा किया है. आइए देखते हैं उत्तर प्रदेश के मौजूदा 396 विधायकों की कैसी है कुंडली.

- यूपी के 140 विधायकों यानि 35% MLAs पर आपराधिक मामले (Criminal Case) दर्ज हैं

- ये गंभीर आपरधिक केस हैं जैसे हत्या, लूट, डकैती और दंगे

- अकेले बीजेपी (BJP) के 106 विधायकों पर गंभीर ADR क्या है? आपराधिक केस दर्ज

- सपा के 18 विधायकों पर केस, BSP के 2 पर तो कांग्रेस के 1 विधायक पर केस दर्ज

सबसे अमीर विधायकों (Richest MLA's) की बात करें तो,

- यूपी के मौजूदा 396 विधायकों में से 313 यानी 79 फीसदी विधायक करोड़पति हैं

- सबसे ज़्यादा 235 करोड़पति विधायक (Crorepati MLAs) BJP के हैं

- हर विधायक की औसत संपत्ति 5.85 करोड़ ADR क्या है? है

विधायकों की शिक्षा की बात करें तो कुल 396 विधायकों में से

- 290 विधायक ग्रेजुएट हैं

- 95 विधायक 8वीं से 12वीं पास हैं

एडीआर ने 2017 चुनाव और उपचुनाव के दौरान उम्मीदवारी पेश करते वक्त दाखिल किए गए विधायकों के शपथ पत्र के आधार पर ये रिपोर्ट जारी की है.

Mediation Bill: क्या है मध्यस्थता कानून? कम हो जाएगा कोर्ट कचहरी का चक्कर

कानून में ऐसे प्रावधान हैं कि विवादों का निपटारा ऑनलाइन भी हो सकता है

Mediation Bill: क्या है मध्यस्थता कानून? कम हो जाएगा कोर्ट कचहरी का चक्कर

राज्यसभा में 20 दिसंबर, 2021 को मध्यस्थता बिल, 2021 (Mediation Bill, 2021) पेश किया गया. मध्यस्थता एक किस्म का ऑल्टर्नेटिव डिस्प्यूट रिजॉल्यूशन (ADR) होता है यानी वैकल्पिक विवाद समाधान जिसमें एक स्वतंत्रत व्यक्ति (मध्यस्थ) की मदद से अलग-अलग पक्ष अपने विवादों को निपटा सकते हैं. भारत में पहले से ही आर्बिट्रेशन और कंसीलिएशन एक्ट, 1996 लागू है लेकिन अब ये बिल मीडिएशन यानी मध्यस्थता के नाम से होगा.

मध्यस्थता की सारी प्रक्रिया अदालत के बाहर होती है. इस बिल में ऑनलाइन मध्यस्थता को बढ़ावा देने के लिए भी प्रावधान किए गए हैं.

हमेशा होता ये है कि दो पार्टियों के बीच मतभेद होने पर वो सीधे कोर्ट पहुंच जाते हैं, कोर्ट पर पहले से ही कई सारे पेंडिंग मामले हैं, मध्यस्थता कानून उन दोनों पार्टियों को कोर्ट जाने से बचने का विकल्प देता है. दोनों पार्टी किसी तीसरी स्वतंत्र पार्टी के जरिए कोर्ट के बाहर मामला सुलझा सकते हैं. फिर भी बात नहीं बने तो अदालत जा सकते हैं. इससे कोर्ट पर पड़ने वाला भार हल्का हो सकता है.

मध्यस्थता कानून कई देशों में प्रचलित हैं. खासकर ये कमर्शियल मामलों को सुलझाने में काम आता है. भारत में मध्यस्थता के नाम से पहली बार कानून बनने जा रहा है. इससे पहले भी ऐसा कानून बना है लेकिन उसमें कई पेंच हैं.

इस कानून के पीछे का उद्देश्य है कि अंतरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय, प्रादेशिक विवादों को सुलझाने में मध्‍यस्‍थता के प्रयोग को बढ़ावा दिया जाए. इस अधिनियम में कुल 86 धाराएं हैं जिसे अलग-अलग भागों में बांटा गया है.

इसके पहले जो मध्‍यस्‍थता अधिनियम 1940 था उसमें अंतरराष्ट्रीय मध्‍यस्‍थता संबंधी कोई प्रावधान नहीं था. उसके अनुसार केवल भारत के अंदर के मसले ही मध्‍यस्‍थता के जरिए सुलझाए जा सकते थे. आगे चल कर इसमें संशोधन हुए लेकिन कई पेंच के साथ.

ADR ने राजनीतिक पार्टियों की संपत्ति के बारे में जारी की रिपोर्ट, जानिए किस पार्टी के पास सबसे अधिक पैसा

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (Association for Democratic Reforms) द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2019-20 के लिए सात राष्ट्रीय राजनीतिक दलों द्वारा घोषित कुल 6,988.57 करोड़ रुपये की संपत्ति में से 69% या 4,847.78 करोड़ रुपये बीजेपी ने घोषित किए हैं.

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gnttv.com

  • नई दिल्ली,
  • 29 जनवरी 2022,
  • (Updated 29 जनवरी 2022, 4:39 PM IST)

बीजेपी की संपत्ति में हुई 67 फीसदी की बढ़ोतरी

साल 2018-19 सपा के पास थी सबसे अधिक संपत्ति

देश में चुनाव का माहौल है ऐसे में सभी पार्टियों दम खम दिखाने के लिए तैयार हैं. इसी बीच एडीआर की एक रिपोर्ट आई है, जिसमें इस समय सबसे अमीर पार्टी कौन है उस पर खुलासा किया गया है. रिपोर्ट के अनुसार भारतीय जनता पार्टी देश की सबसे अमीर पार्टी में से एक है.

तीसरे स्थान पर खिसकी कांग्रेस
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (Association for Democratic Reforms) द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2019-20 के लिए सात राष्ट्रीय राजनीतिक दलों द्वारा घोषित कुल 6,988.57 करोड़ रुपये की संपत्ति में से 69% या 4,847.78 करोड़ रुपये बीजेपी ने घोषित किए हैं. वहीं 698.33 करोड़ रुपये की संपत्ति के साथ बसपा दूसरे और कांग्रेस 588.16 करोड़ रुपये की संपत्ति के साथ तीसरे स्थान पर है.

लगातार बढ़ी पार्टियों की संपत्ति
शुक्रवार को जारी की गई रिपोर्ट में सात पार्टियों की संपत्ति में काफी बढ़ोतरी देखी गई. पार्टियों की कुल संपत्ति में साल 2016-17 में 3,260.81 करोड़ रुपये से 2017-18 में 3,456.65 ADR क्या है? करोड़ रुपये, 2018-19 में 5,349.25 करोड़ रुपये और 2019-20 में 6,988.57 करोड़ रुपये का इजाफा देखा गया. भाजपा, बसपा, कांग्रेस, सीपीएम, एआईटीसी, भाकपा और राकांपा प्रमुख सात दल हैं.

बीजेपी की संपत्ति में हुई 67 फीसदी की बढ़ोतरी
भाजपा ने 2018-19 में 2,904.18 करोड़ रुपये की संपत्ति की घोषणा की थी. साल 2019-20 में बीजेपी की संपत्ति में 67% की वृद्धि के साथ 4,847.78 करोड़ रुपये का इजाफा देखा गया. कांग्रेस ने इसी अवधि में अपनी संपत्ति को 928.84 करोड़ रुपये से 588.16 करोड़ रुपये तक गिरते हुए देखा जबकि बसपा की संपत्ति 738 करोड़ रुपये से बढ़कर 698.33 करोड़ रुपये हो गई. राजनीतिक दलों द्वारा घोषित संपत्ति छह प्रमुख शीर्षों के अंतर्गत आती है, जिसमें अचल संपत्ति, ऋण और अग्रिम, एफडीआर / जमा, टीडीएस, निवेश और अन्य संपत्ति शामिल हैं.

साल 2018-19 सपा के पास थी सबसे अधिक संपत्ति
रिपोर्ट के अनुसार, 2019-20 में 44 क्षेत्रीय दलों ने कुल 2,129.38 करोड़ रुपये की संपत्ति घोषित की थी, जिसमें शीर्ष 10 क्षेत्रीय दलों का हिस्सा 95.27% था. रिपोर्ट में कहा गया,“वित्त वर्ष 2019-20 में क्षेत्रीय दलों में समाजवादी पार्टी द्वारा सबसे अधिक संपत्ति घोषित की गई, जिसकी कीमत 563.47 करोड़ रुपये थी. इसके बाद तेलंगाना राष्ट्र समिति की संपत्ति 301.47 करोड़ रुपये और अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम की संपत्ति 267.61 करोड़ दर्ज की गई थी.”साल 2018-19 में क्षेत्रीय दलों के बीच सबसे अधिक संपत्ति सपा (₹572.21 करोड़), बीजू जनता दल (₹232.27 करोड़) और अन्नाद्रमुक (₹206.75 करोड़) द्वारा घोषित की गई थी.

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ADR के मुताबिक बहुजन समाज पार्टी के 56 प्रत्याशियों में से 19 और आम आदमी पार्टी के 52 उम्मीदवारों में से आठ लोगों ने खुद के आपराधिक मामले घोषित किया है। इससे साफ है कि सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने आपराधिक मामलों वाले उम्मीदवारों पर दांव लगाया है।

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प्रतीकात्मक तस्वीर

चुनाव सुधारों की वकालत करने वाले समूह एडीआर की एक रिपोर्ट के मुताबिक यूपी विधानसभा चुनाव के पहले चरण में 46 फीसदी उम्मीदवार करोड़पति हैं। बता दें कि इनकी औसत संपत्ति 3.72 करोड़ रुपये के आसपास आंकी गई है। इस फेज के 615 प्रत्याशियों में से 156(25% उम्मीदवार) करोड़पति हैं।

किस पार्टी में कितने दागदार: इसके अलावा इनमें 121 उम्मीदवारों ने खुद पर हत्या सहित गंभीर अपराधिक मामले घोषित किये हैं। बता दें कि एडीआर ने कहा है कि प्रमुख दलों के उम्मीदवारों में सपा के 28 उम्मीदवारों में से 21, आरएलडी के 29 उम्मीदवारों में से 17 प्रत्याशी, भाजपा के 57 उम्मीदवारों में से 29 और कांग्रेस के 58 उम्मीदवारों में से 21 उम्मीदवारों ने अपने हलफनामे में अपने खिलाफ आपराधिक मामलों की पुष्टि की है।

वहीं बहुजन समाज पार्टी के 56 उम्मीदवारों में से 19 और आम आदमी पार्टी के 52 उम्मीदवारों में से आठ ADR क्या है? लोगों ने भी खुद के आपराधिक मामले घोषित किए हैं।

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करोड़पति कितने: बता दें कि पश्चिमी यूपी की 58 विधानसभा सीटों के 615 उम्मीदवारों में 280 प्रत्याशियों ने खुद को हलफनामे में करोड़पति बताया है। इसमें रालोद के पास एक करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति वाले 28 उम्मीदवार हैं। जबकि भाजपा के पास 55, बसपा 50, सपा 23, कांग्रेस 32 और आप के 22 उम्मीदवार हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि चुनावों में धनबल की भूमिका इस तथ्य ADR क्या है? से स्पष्ट होती है कि सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने धनी उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है।

गौरतलब है कि एडीआर के अनुसार 12 उम्मीदवार ऐसे भी हैं जिनपर ‘‘महिलाओं के खिलाफ अपराध’’ से संबंधित मामले दर्ज हैं। इनमें से एक ने अपने हलफनामे में बलात्कार (भादंसं की धारा 376) से संबंधित मामल घोषित किया है। वहीं एडीआर ने कहा कि कुल 623 उम्मीदवारों में से आठ प्रत्याशी ऐसे रहे जिनके हलफनामों को इस रिपोर्ट में शामिल नहीं किया जा सका। क्योंकि वे या तो स्कैन नहीं किए गए थे या फिर अधूरे थे।

एडीआर रिपोर्ट: चुनावी न्यासों से भाजपा को 82% राशि

चुनावी न्यास गैर लाभकारी संगठन है जिनकी स्थापना भारत में राजनीतिक दलों के लिए उद्योगों और व्यक्तियों से व्यस्थित तरीके से चंदा (योगदान) प्राप्त करने के लिए की गई है।

एडीआर रिपोर्ट: चुनावी न्यासों से भाजपा को 82% राशि

सात चुनावी न्यासों (इलेक्टरल ट्रस्ट) को कुल 258.49 करोड़ रुपए की राशि कारपोरेट जगत और व्यक्तियों से बतौर दान में मिली जिनमें से 82 फीसद से अधिक राशि अकेले भारतीय जनता पार्टी को दी गई। यह जानकारी चुनाव अधिकार निकाय एडीआर ने दी है।

चुनावी न्यास गैर लाभकारी संगठन है जिनकी स्थापना भारत में राजनीतिक दलों के लिए उद्योगों और व्यक्तियों से व्यस्थित तरीके से चंदा (योगदान) प्राप्त करने के लिए की गई है। इसका उद्देश्य चुनाव संबंधी खर्चों के लिए राशि के इस्तेमाल में पारदर्शिता लाना है। द एसोसिएशन फार डेमोक्रेटिक रिफार्म (एडीआर) ने अपनी नवीनतम रिपोर्ट में कहा कि 23 में से 16 चुनावी न्यासों ने वित्त वर्ष 2020-21 में अपने योगदान की विस्तृत जानकारी निर्वाचन आयोग को सौंप दी है जिनमें से केवल सात ने ही राशि मिलने की घोषणा की है।

रिपोर्ट में कहा गया कि सात चुनावी न्यासों ने वित्त वर्ष 2020-21 के लिए मिली राशि की घोषणा की है जिन्होंने उद्योग घरानों और व्यक्तियों से कुल 258.49 करोड़ रुपए की राशि प्राप्त की है और इनमें से विभिन्न राजनीतिक दलों को 258.43 करोड़ (प्राप्त राशि का 99.98 फीसद) वितरित किए हैं। एडीआर के मुताबिक इन सात न्यासों को प्राप्त दान में से 212.05 करोड़ रुपए भाजपा को प्राप्त हुए जो कुल राशि का 82.05 फीसद है जबकि जनता दल यूनाइटेड (जदयू) को 27 करोड़ रुपए मिले हैं जो कुल राशि का 10.45 फीसद है।

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रिपोर्ट के मुताबिक 10 अन्य पार्टियों जिनमें कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, अन्नाद्रमुक, द्रमुक, ADR क्या है? राष्ट्रीय जनता दल, लोक जनशक्ति पार्टी, भाकपा, माकपा और लोकतांत्रिक जनता दल शामिल हैं, को कुल मिलाकर 19.38 करोड़ रुपए की राशि इन सात न्यासों से मिली है। केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए नियम के मुताबिक चुनावी न्यासों को वित्त वर्ष में मिली राशि का 95 फीसद हिस्सा राजनीतिक दलों में वितरित करना होता है। एडीआर की रिपोर्ट में जनवरी 2013 के बाद गठित किए गए सात चुनावी न्यासों के दानकर्ताओं और उनके जरिये राजनीतिक दलों को दिए गए कोष का विश्लेषण किया गया।

देश में पंजीकृत 23 चुनावी न्यासों में से 14 नियमित रूप से अपनी जानकारी निर्वाचन आयोग को दे रहे हैं। अन्य आठ चुनावी न्यासों ने घोषणा की है कि उन्हें कोई दान नहीं मिला है या उन्हें मिले दान की रिपोर्ट पंजीकरण के बाद से ही कभी निर्वाचन आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध नहीं हुई। रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान 159 व्यक्तियों ने चुनावी न्यास में अंशदान किया।

इनमें से दो व्यक्तियों ने साढ़े तीन करोड़ का दान प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट में ADR क्या है? किया जबकि 153 व्यक्तियों ने 3.20 करोड़ रुपए का दान स्माल डोनेशंस इलेक्टोरल ट्रस्ट में किया। तीन व्यक्तियों ने पांच लाख रुपए का योगदान आइंजिगर्टिग इलेक्टोरल ट्रस्ट में किया जबकि एक व्यक्ति ने 1,100 रुपए का योगदान इंडिपेंडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट में किया।

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