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ब्‍लॉकचेन टेक्‍नोलॉजी क्‍या है

ब्‍लॉकचेन टेक्‍नोलॉजी क्‍या है
Blockchain

What is blockchain in Hindi | ब्लॉकचैन क्या है | ब्लॉकचैन कैसे काम करता है।

ब्लॉकचैन नाम आपने जरूर सुना होगा, या तो इंटरनेट का इस्तेमाल करते समय, अपने किसी जानने वाले से या फिर किसी करीबी मित्र से, क्योंकि यह नाम आज कल हर जगह दिखाई या सुनाई दे जाता है। तो आज के इस लेख में हम बिलकुल सरल शब्दो में आपको Blockchain समझाने की कोशिश करेंगे, ताकि आपको पता चल सके की आखिर Blockchain क्या है, What is Blockchain in Hindi और इसकी कार्यप्रणाली क्या है।

आपने Bitcoins का नाम तो जरूर सुना होगा यह एक cryptocurrency है, यानि डिजिटल पैसा, तो bitcoin क्रिप्टोकरेंसी का लेन-देन Blockchain technology पर आधारित है, यानि बिटकॉइन करेंसी के आने के बाद ब्लॉकचैन टेक्नोलॉजी को इस करेंसी के लेन-देन के लिए बनाया गया था। ब्लॉकचैन टेक्नोलॉजी सबसे पहले 1991 ब्‍लॉकचेन टेक्‍नोलॉजी क्‍या है में सामने आई थी, जिसमे इसका डिज़ाइन Stuart Haber और उनके सहकर्मी W.Scott Stornetta द्वारा बनाया गया था, यह दोनों ही गणिततज्ञ थे।

इसके बाद एक जापानी व्यक्ति Satoshi Nakamoto द्वारा Blockchain पर काम करके कुछ बदलाव किये गए और इसकी सुरक्षा को भी बढ़ाया गया और फिर 2008 में यह टेक्नोलॉजी दुनिया के सामने आ पाई। इसके बाद 2009 में Satoshi Nakamoto ने bitcoin cryptocurrency का आविष्कार किया था।

Blockchain क्या है | What is Blockchain in Hindi

ब्लॉकचैन एक ऐसी टेक्नोलॉजी है, जिसके द्वारा transactions की entries को save कर के रखा जाता है, यानि यह एक डिजिटल बहीखाता है। जब भी कोई ब्‍लॉकचेन टेक्‍नोलॉजी क्‍या है डिजिटल लेन-देन होता है, तो उसकी पूरी जानकारी एक ब्लॉक के रूप में save हो जाती है (पहले ब्लॉक को Genesis कहा जाता है) ब्लॉक के अंदर डाटा को Cryptography technology द्वारा Encode करके रखा जाता है, जिसे Hash कहते हैं।

यह एक प्रकार की हाई सिक्योरिटी होती है, जिसके द्वारा डाटा को सुरक्षित रखा जाता है, ऐसे ही बढ़ती हुई transactions के साथ ब्लॉक भी बढ़ते चले जाते हैं, और फिर यह सभी ब्लॉक्स एक दूसरे से जुड़ जाते हैं। जब यह सभी ब्लॉक्स एक दूसरे से क्रमबद्ध तरीके से जुड़ते चले जाते हैं, तो ब्लॉक्स की एक चैन बन जाती है, जिसे Blockchain कहा जाता है।

Blockchain में कोई भी केंद्रीयकृत अधिकरण (Centralized System) नहीं होता है, यानि क्रेता और विक्रेता दोनों ही बिना किसी बिचौलिए यानि (बैंक) के लेन-देन कर सकते हैं।

विकेन्द्रीयकृत बहीखाता (Decentralized ledger) होने से इसमें ब्‍लॉकचेन टेक्‍नोलॉजी क्‍या है transparency होती है, जिससे नेटवर्क में जुड़े सभी nodes यानि कम्प्यूटर्स तक बहीखाते की कॉपी पहुँच जाती है, और एक बार बहीखाते में एंट्री होने के बाद उसे बदलना या उस से छेड़-छाड़ करना बहुत मुश्किल होता है।

ब्लॉकचैन कैसे काम करता है | How Blockchain works

चलिए एक उदहारण द्वारा समझते हैं, मान लीजिये आप एक किटी पार्टी का हिस्सा हैं, जिसमे हर महीने सभी सदस्यों द्वारा कुछ पैसे जमा किये जाते हैं, और जमा किये गए पैसो का हिसाब पार्टी के किसी एक सदस्य द्वारा लिखित रूप में रखा जाता है। आप समझ सकते हैं, लिखित हिसाब में बदलाव या उस से छेड़खानी कभी भी की जा सकती है, यानि हमेशा गड़बड़ी की आशंका बनी रहती है।

सोचिये यदि यहाँ पर Blockchain technology का इस्तेमाल किया जाता है, तो क्या होगा। जैसे ही किसी नए सदस्य ने पैसे जमा कराए तो उसकी डिजिटल एंट्री हो जाएगी और उस ट्रांसेक्शन से जुड़ी एंट्री की पूरी जानकारी ब्लॉक के जरिये ledger में भी save हो जाएगी। इसके बाद नई एंट्री की कॉपी जुड़े हुए सभी सदस्यों तक पहुँच जाएगी, जिसे एक बार करने के बाद बिना सभी सदस्यों के मंजूरी के बदलना मुश्किल है, और नए -पुराने सभी डाटा ब्लॉक्स भी हमेशा के लिए इसमें save हो जाएंगे।

Blockchain technology को digital currency यानि bitcoin के लिए बनाया गया था, जिसमे bitcoin transactions से जुड़ी सारी जानकारी Public ledger यानि ब्लॉकचैन द्वारा रखी जाती है।

डिजिटल currency का लेन-देन सीधे तोर पर बिना किसी बिचोलिये (बैंक) के किया जाता है, जैसे ही एक Node (Computer) से कॉइन ट्रांसफर किया जाना है, तो उसकी जानकारी नेटवर्क से जुड़े सभी nodes तक पहुँच जाती है, फिर उसे सभी nodes द्वारा परखा जाता है, और transaction verify की जाती है।

उसके बाद verified transaction के डाटा को Cryptography technology द्वारा एनकोड करके ब्लॉक्स के माध्यम से save कर लिया जाता है, और फिर ऐसे ही बहुत से ब्लॉक्स क्रमबद्ध ब्‍लॉकचेन टेक्‍नोलॉजी क्‍या है तरीके से मिलकर public ledger यानि Blockchain बनाते हैं।

पब्लिक और प्राइवेट ब्लॉकचैन में फर्क | Difference between Public and Private blockchain in Hindi

Blockchain technology द्वारा आने वाले समय में Data security में क्रन्तिकारी बदलाव होने जा रहे हैं, जिससे कार्यो में पारदर्शिता रहेगी और समय थता पेसो की भी बचत की जा सकेगी। मुख्य रूप से दो प्रकार के ब्लॉकचैन टेक्नोलॉजी हैं, Public और Private तो आईये दोनों ब्‍लॉकचेन टेक्‍नोलॉजी क्‍या है के बीच के फर्क को समझते हैं।

Public Blockchain:-Public Blockchain एक खुला हुवा नेटवर्क है, जिसमे कोई भी जुड़ सकता है, और जुड़ते ही बाकि nodes की तरह नेटवर्क में हो रही सारी गतिविधि पड़ या देख सकता है, और वह होने वाली किसी भी transaction का हिस्सा भी बन सकता है। पब्लिक ब्लॉकचैन में नेटवर्क पर किसी का भी कंट्रोल नहीं होता और एक बार डाटा validate होने के बाद उसमे बदलाव करना बहुत मुश्किल होता है। पब्लिक ब्लॉकचैन का उदहारण Bitcoin (BTC) और Ethereum (ETH) हैं, और यह एक सुरक्षित ब्लॉकचैन कहलाता है।

Private Blockchain :-Private Blockchain एक केंद्रीयकृत (Centralized) नेटवर्क है, जिसे एक ग्रुप द्वारा बनाया या चलाया जाता है, और इसमे जुड़े हुए nodes को अलग-अलग permission और restriction दी जाती है। इसमें किसी नए node को जुड़ने के लिए, पहले से जुड़े हुए node से permission लेनी पड़ती है। प्राइवेट ब्लॉकचैन का उदहारण Ripple और Hyper ledger हैं, इस ब्लॉकचैन को कम सुरक्षित माना जाता है।

ब्लॉकचैन कितना सुरक्षित है | How secure is Blockchain

अगर सुरक्षा की बात की जाए तो निसंदेह यह टेक्नोलॉजी सुरक्षित है, जिस तरह से शुरुवात में इसे काफी सुरक्षित माना जाता था, जिसे hack करना लगभग नामुमकिन था।

लेकिन टेक्नोलॉजी हमेशा दोनों पक्षों के लिए बदलती रहती है, यहाँ पर hackers द्वारा भी नई hacking technology को विकसित करके ब्लॉकचैन में गड़बड़ी करने की काफी खबरे सामने आई हैं, तो सुरक्षा एक लगातार चलने वाली प्रक्रिया है, जो ब्लॉकचैन में भी विक्षित की जा रही है, ताकि दूसरे क्षेत्रों में भी इस टेक्नोलॉजी का अधिक इस्तेमाल किया जा सके।

ब्लॉकचैन के लाभ | Advantage of Blockchain in Hindi

  • यह टेक्नोलॉजी बिना किसी 3rd पार्टी के कार्य को verify करने की अनुमति देती है।
  • इसमें एक बार डाटा save हो जाने के बाद उसमे कोई भी बदलाव या छेड़-छाड़ करना मुश्किल है।
  • Digital ledger को सुरक्षित रखने के लिए cryptography encoded टेक्नोलॉजी इस्तेमाल की जाती है।
  • इसमें किसी भी transaction की कॉपी नेटवर्क में जुड़े सभी nodes के पास होती है।

ब्लॉकचैन के नुक्सान | Disadvantage of Blockchain in Hindi

  • इस टेक्नोलॉजी का सिस्टम इस तरह का है, जिसमे electricity का बहुत ज्यादा इस्तेमाल होता है, क्योकि इसका डिजिटल process होता है, जिसमे nodes यानि कम्प्यूटर्स हजारो लाखो की गिनती में Real-time data पर काम करते हैं।
  • इसमें nodes की आपसी सहमति से transaction होती है, जिसमे government org की कोई भूमिका नहीं होती, जिससे fraud की संभावना बड़ जाती है।
  • इसका system काफी जटिल है जिसके कारण एक आम user का इसे समझना मुश्किल हो जाता है।

निष्कर्ष

आपने पड़ा Blockchain क्या है, What is blockchain in Hindi और कैसे यह टेक्नोलॉजी cryptocurrency से शुरू हुई, और आज इसका इस्तेमाल दूसरे कार्य क्षेत्रों में भी किया जा रहा है, साथ ही इसकी सुरक्षा को और अधिक बढ़ाने के लिए भी काम किए जा रहें हैं। कोई नई बात नहीं होगी यदि आने वाले समय में ब्लॉकचैन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर एक आम आदमी भी इसका लाभ उठा सकेगा।

ब्लॉकचेन तकनीक क्या हैं ?- सम्पूर्ण जानकारी इन हिंदी (Blockchain)

ब्लॉकचेन एक विशेष प्रकार की विकेन्द्रीकृत तकनीक है, जिसमें आँकड़ों का ब्लॉक की एक शृखला होती है, यह जटिल क्रिप्टोग्राफी तकनीक, पारदर्शी तथा सभी के लिए उपलब्धता जैसी विशेषताओं के कारण यह इस समय दुनिया में ब्लॉकचेन तेजी से अपनाई जाने वाली तकनीक बनती जा रही चली जा रही है।

blockchain ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी इन हिंदी

ब्लॉक – ब्लॉकचेन की सबसे छोटी इकाई है प्रत्येक ब्लॉक में किसी ब्‍लॉकचेन टेक्‍नोलॉजी क्‍या है समय विशेष पर हुए लेन-देन का लेखा-जोखा होता जमा रहता है एक ब्लॉक में मुख्यतः 5 जानकारियों जमा होती हैं. ब्लॉक संख्या, वर्तमान ब्लॉक का विशिष्ट नम्बर (हैश संख्या), पिछले ब्लॉक का नम्वर, ब्लॉकचेन में इसके जुड़ने का समय और डेटा (ट्रांजेक्शन अथवा आंकडे). किसी भी ब्लॉकचेन के सबसे पहले ब्लॉक को जेनेसिस ब्लॉक कहा जाता हैं, जो अन्य ब्लॉक से थोडा अलग होता है।

ब्लॉक ऊँचाई-जेनेसिस ब्लॉक के बाद कोई ब्लॉक किस नम्बर पर चेन में जुड़ा है. इससे लॉकचेन सम्बन्धी गणनाएं करने में आसानी होती है उदाहरणार्थ बिटकॉइन ब्लॉकचेन में प्रत्येक 10 मिनट पर एक या अधिक ब्लॉक जोड़े जाते हैं. इसी तरह इथोरियम ब्लॉकचेन के लिए लॉक समय 10-20 सेकण्ड होता है, अतः ब्लॉक ऊँचाई की सहायता से ब्लॉकचेन की कुल लम्चाई या दूसरी जानकारी प्राप्त की जा सकती है।

माइनिंग-इस प्रक्रिया में दो तरह के कार्य होते ब्‍लॉकचेन टेक्‍नोलॉजी क्‍या है ब्‍लॉकचेन टेक्‍नोलॉजी क्‍या है हैं पहला, ब्लॉकचेन में जोड़ने के लिए नए ब्लॉक का सृजन और दूसरा, प्रत्येक लेन-देन के सफल होने के लिए किसी अन्य ब्लॉक की वैधता की जाँच करना, जिसे तकनीकी भाषा में प्रूफ ऑफ वर्क (पीओडब्ल्यू) कहते हैं, बिटकॉइन ब्लॉकचेन में नए ब्लॉक के सृजन पर माइनर को प्रोत्साहन राशि के तौर पर बिटकॉइन मिलते हैं। वर्तमान में यह राशि 12.5 बिटकॉइन प्रति ब्लॉक है, जो फरवरी 2020 से घटकर 6.25 बिटकॉइन प्रति ब्लॉक हो जाएगी |

सार्वजनिक और अनुमति प्राप्त ब्लॉकचेन में अन्तर–सार्वजनिक ब्लॉकचेन व्यवस्था में प्रत्येक ब्लॉक की वैधता के लिए कोई भी व्यक्ति माइनर की तरह जुड़ सकता है, जिसके बदले उसे एक प्रोत्साहन राशि मिलती है, वहीं, अनुमति प्राप्त ब्लॉकचेन में इसकी पहुँच एक निर्धारित समूह तक सीमित रहती है।
स्मार्ट कॉन्ट्रेक्ट-स्मार्ट कॉन्ट्रेक्ट ब्लॉकचेन पर संग्रहित विशिष्ट नियमों और शर्तों के तहत दो पार्टियों के बीच होने वाला एक समझौता है. एक बार हस्ताक्षर होने के बाद इसे बदला नहीं जा सकता |

सुरक्षा का स्तर-प्रत्येक ब्लॉक का एक विशिष्ट हैश नम्बर होता है, जिसे शा-256 नामक प्रोग्रामिक एल्गोरिदम से बनाया जाता है, लॉकचेन तकनीक में सभी ब्लॉक एक दूसरे से जुड़े होते हैं. लाखों-अरबों गणनाएं करके यदि किसी विशेष ब्लॉक में बदलाव किया जाता है तो उस ब्लॉक का हैश नम्बर बदल जाएगा, परन्तु अगले ब्लॉक में पहले से ही उस ब्लॉक का होश नम्बर दर्ज रहता है और वह नए बदलाव को अस्वीकार कर देता है. इसीलिए एक बार आँकड़े दर्ज हो जाने के बाद इसमें बदलाव करना लगभग नामुमकिन है. यही जटिल क्रिप्टोग्राफी तकनीक इसकी सुरक्षा करती है।

क्या बिटकॉइन और ब्लॉकचेन को लेकर आप भी कनफ्यूज हैं? आइए जानते हैं दोनों में क्या संबंध है

दुनिया में कई देश ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी का फायदा उठाने को कोशिश कर रहे हैं। कई प्रोसेसेज के लिए इसका इस्तेमाल किया जा रहा है।

ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर बिटकॉइन पहला प्रोजेक्ट है। ब्लॉकचेन एक डिस्ट्रिब्यूटेड लेजर टेक्नोलॉजी है। यह दो पार्टी के बीच हुए ट्रांजेक्शन को रिकॉर्ड करता है।

पिछले कुछ सालों में ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी (Blockchain Technology) का इस्तेमाल बढ़ा है। टेक्नोनलॉजी और आईटी कंपनियां अपने बिजनेस प्रोसेस के ऑटोमेशन के लिए ब्लॉकचेन का इस्तेमाल कर रही हैं। इसके फायदे को देखते हुए अब ट्रेडिशनल बिजनेसेज भी बाजार में अपनी बढ़त बनाए रखने और तेजी से बढ़ती कस्टमर डिमांड पूरी करने के लिए ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल शुरू कर रहे हैं। कई लोग ब्लॉकचेन और बिटकॉइन (Bitcoin) को लेकर कनफ्यूज रहते हैं। हम आपको ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी और बिटकाइन से इसके संबंध के बारे में बता रहे हैं।

क्रिप्टोकरेंसी एक डिजिटल करेंसी है। पिछले कुछ सालों में इसकी लोकप्रियता तेजी से बढ़ी है। इसने दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाओं के सामने बड़ा चैलेंज पेश किया है। बिटकॉइन सबसे मशहूर क्रिप्टोकरेंसी है। कई लोग बिटकॉइन और ब्लॉकचेन को एक ही चीज समझते हैं। लेकिन दोनों के बीच बहुत अंतर है। हालांकि, दोनों एक दूसरे से संबंधित हैं। ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर बिटकॉइन पहला प्रोजेक्ट है। ब्लॉकचेन एक डिस्ट्रिब्यूटेड लेजर टेक्नोलॉजी है। यह दो पार्टी के बीच हुए ट्रांजेक्शन को रिकॉर्ड करता है।

बिटकॉइन दुनिया की पहली और सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी है। बिटकॉइन के अलावा कई दूसरी क्रिप्टोकरेंसीज भी मौजूद हैं। बिटकॉइन ट्रांजेक्शंस डिस्ट्रिब्यूटेड लेजर के इस्तेमाल से स्टोर और टांसफर किए जाते हैं। ब्लॉकचेन वह टेकनोलॉजी है, ब्‍लॉकचेन टेक्‍नोलॉजी क्‍या है जो बिटकॉइन ट्रांजेक्शन लेजर को मेंटेन करती है। बिटकॉइन के इस्तेमाल से बिजनेसेज ट्राजेक्शन बहुत जल्द पूरा कर सकते हैं। क्रिप्टो बिजनेसेज को ऐसे एल्गोरिद्म के इस्तेमाल का मौका देता है, जिससे फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन रियल टाइम में हो सकते हैं। जिस तरह से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस दुनिया को बदल रही है, उसी तरह ब्लॉकचेन और बिटकॉइन बिजनेस में बड़ा बदलाव ला सकते हैं।

ब्लॉकचेन तकनीक क्या है: भारत का पहला ब्लॉकचेन जिला

Blockchain Technology

Blockchain Technology

ब्लॉकचेन तकनीक की खोज किसने की ?

Blockchain की खोज Satoshi Nakamoto ने 2008 में की ओर इसका यूज़ करने के लिये उन्होंने बिटकॉइन बनाया। ऐसा माना जाता रहा है कि Satoshi Nakamoto एक काल्पनिक नाम है

क्योकि इसका को कोई वजूद नही मिला साथ ही ये भी कहा जाता है। कि 2011 में यह व्यक्ति अचानक गयाब हो गया। इसी लिये इसे एक काल्पनिक नाम कहा जाता है।

ब्लॉकचेन तकनीक कैसे काम करती है ?

ब्लॉकचैन टेक्नोलॉजी Distributed Ledger Technology (DLT) के सिद्धांत पर काम करती है।

इसमे ऑनलाइन लेजर में यूजर्स की इन्फॉर्मेशन स्टोर की जाती है। इसका एक सीधा सा सिद्धान्त यह है की किसी भी इन्फॉर्मेशन को Decentralization विकेंद्रीकरण करना आज के वक़्त डेटा लोकल स्टोरेज में स्टोर किया जाता है जैसे Mysql डेटाबेस इन डेटा बेस को कोई भी आसानी से चेंज कर कसता है। पर हम Blockchain की बात करे तो ये data एक कंप्यूटर की जगह लाखो कंप्यूटर्स में स्टोर होता है और इसे किसी को चेंज करना हो तो सब कंप्यूटर्स में चेंज करना होगा।

इसी लिये ब्लॉकचैन एक कारगर ब्‍लॉकचेन टेक्‍नोलॉजी क्‍या है तकनीक है।

ब्लॉकचैन की नींव ट्रस्ट पर आधारित है।

What is Blockchain technology in simple words and how it works यही हम आसान भाषा में समझे तो यह एक ऐसा सिस्टम है जोकि किसी एक संस्थान, व्यक्ति, साकार द्वारा नही चलाके हर उस शक़्स के जरिये चलाया जाता है जोकि इस सिस्टम से जुड़ा हुआ है इमसें किसी भी ट्रांसक्शन या इन्फॉर्मेशन को कई लोगो द्वारा सत्यापित किया जाता है।

ब्लॉकचेन तकनीक के यूज़ क्या है

ब्लॉकचैन का यूज़ फाइनेंसियल ट्रांसक्शन, एडुकेशन, हेल्थ, टेक्नोलॉजी, एग्रीकल्चर, बैंकिंग सेक्टर आदि में किया जाता है। इन सभी सेक्टर्स में ब्लॉकचैन एक पारदर्शिता का काम करेगा जिससे किसी को भी पता रहेगा कि कोनसा transaction किसे किया और कब किया किया, साथ ही साथ इनका रिकॉर्ड रखना और भी आसान होगा।

बैंकिंग सेक्टर में ब्लॉकचेन तकनीक

बैंकिंग सेक्टर में ब्लॉकचैन का यूज़ किसी सिंगल transaction पर देखने को मिलेगा। जैसे अभी हम किसी को भी पैसा ट्रांसफर करते है तो उसकी प्रॉसेसिंग में समय लगता है और इसके चार्जेज भी चुकाने पड़ते है जोकि RBI के सेंट्रल सिस्टम से जुड़े होते है। पर यही बैंकिंग सेक्टर में ब्लॉकचैन का यूज़ किया जाए तो इसमे लगने वाला समय कम हो जाएगा और इसके चार्जेज भी काफी कम होंगे क्योकि यह transaction decentralize विकेंद्रीकरण transaction होगा इसमे एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को सीधे transaction कर सकता है। और इसका रिकॉर्ड DTL ledger में रहेगा इसमे लगेने वाला समय और कॉस्ट काफी कम हो जाएगी।

कृषि में ब्लॉकचेन तकनीक

ब्लॉकचैन किशानो के लिये भी काफी फायदेमंद होगी। भारत में 12 करोड़ किसान है उनसभी को सुविधाएं नही मिलने की वजह से उनको परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कल्पना कीजिए कि 10 किसानो के बीच एक ट्रेक्टर रहेगा सभी किसान उस एक ट्रैक्टर के मालिक होंगे और अपनी अपनी जरूरत के हिसाब से उसका यूज़ करेंगे और इसका डेटा ब्लॉकचैन के लेजर में स्टोर रहेगा। ब्लॉकचैन से किसानो को कृषि संसाधनों और उनको मिलने वाले लाभ उन किसानो को भी समान रूप से मिलेगा जो इनसे वंचित रह जाते है।

स्वास्थ्य सेवा में ब्लॉकचेन तकनीक का यूज़

स्वस्थ्य सेवाओं में ब्लॉकचैन का एक बड़ा योगदान है इसमे किसी भी व्यक्ति से सम्बंधित बीमारी का लेख जोखा डॉक्टरों के पास आसानी से उपलब्ध होगा। साथ ही इसमे होने वाले ख़र्च ओर मेडिसन का रिकॉर्ड ऑनलाइन ब्लॉकचैन के माध्यम से रखा जा सकेगा।

भारत का पहला ब्लॉकचेन जिला हैदराबाद ब्‍लॉकचेन टेक्‍नोलॉजी क्‍या है है ब्लॉकचेन जिला क्या है? हैदराबाद ओर तेलंगाना के बीच ब्लॉकचैन सिस्टम से भूमि का लेखा जोखा रखा जाता है। क्योकि भूमि का रिकॉर्ड कागजो में होंना सुरक्षित नही है हर कागज का एक जीवन चक्र होता है वो कभी भी खराब हो सकता है। साथ ही उसे किसी के भी जरिये चुराया या उसमे बदलाव किए जा सकते है। इसी लिये भूमि का रिकॉर्ड ब्लॉकचैन के माध्यम से ऑनलाइन लेजर में स्टोर किया गया ताकि यह डेटा पब्लिक डोमेन में रहे और सुरक्षित भी रहे।

ब्लॉकचैन से भविष्य में होने वाले बदलाव

कल्पना कीजिये कि जैसे इंटरनेट ने कितनी चीज़े आसान करदी ठीक वैसे ही ब्लॉकचैन हर सेक्टर में उसे होने से आप किसी भी पेट्रोल पंप पर बिना किस व्यक्ति के पेट्रोल ले सकते है इसमे मशीन से मशीन के बीच ट्रांसक्शन होगा ठीक ऐसे ही कई जगह व्यक्ति विशेष का होना अनिवार्य नही होगा ब्लॉकचैन के माध्यम से सारे काम आसान हो जाएंगे।

क्या ब्लॉकचैन सुरक्षित है?

जी हां ब्लॉकचैन एकदम सूरक्षित है क्योकि इसको हैक करने पाना लगभग नामुमकिन है। साथ है इसमे स्टोर डेटा को किसी दूसरे व्यक्ति के जरिए बदल पाना मुश्किल है। इसमे स्टोर डेटा वो वही बदल सकता है जिसका वो डेटा है। और इसमे पूरी पारदर्शिता रखी जाती है।

सारांश:

इसमे आपने जाना कि ब्लॉकचैन क्या है और यह कैसे काम करता है। इससे आमजन को होने वाले फायदे और साथ ही इसका यूज़ किन किन क्षेत्रों में किया जा सकता है। भारत में जैसे UPI ट्रांसक्शन की वजह से बहुतसी चीज़े आसान हुई है ठीक उसी तरह ब्लॉकचैन से भविष्य में डिजिटल ट्रांसक्शन में एक क्रांति आने वाली है। ओर हर ट्रांसक्शन में पारदर्शिता होगी।

ब्लॉकचेन क्या है? सबसे आसान भाषा में समझिए

Blockchain

ब्लॉकचेन को हम अलग-अलग ब्लॉक की एक शृंखला कह सकते हैं, इन ब्लॉक्स में सूचनाएं छिपी रहती हैं। ब्लॉकचेन के इस्तेमाल का मकसद डिजिटल दस्तावेज़ों को एक खास समय पर फिक्स करना करना होता है ताकि उन्हें बैकडेट करना या उनके साथ छेड़छाड़ करना संभव नहीं हो सके। ब्लॉकचेन की तकनीक हमें सेंट्रल सर्वर का इस्तेमाल किए बिना दो रिकॉर्ड की समस्या से भी निजात दिला सकती है।

ब्लॉकचेन तकनीक का इस्तेमाल कर बैंक, सरकार या किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की आवश्यकता के बिना धन, संपत्ति, समझौते आदि वस्तुओं का आसानी से आदान-प्रदान किया जा सकता है। इस तकनीक की खासियत यह है कि एक बार जब कोई डेटा एक ब्लॉकचेन के अंदर दर्ज हो जाता है, तो उसे बदलना मुश्किल ही नहीं लगभग-लगभग नामुमकिन ही हो जाता है।

एक आसान उदाहरण से समझिए क्या है ब्लॉकचेन?

मान लिजिए आप किसी मॉल में शॉपिंग कर रहे हैं। जैसे ही आप काउंटर पर अपनी खरीदी हुई चीज का भुगतान करने जाते हैं आपको पता चलता है कि आपका डेबिट या क्रेडिट कार्ड काम नहीं कर रहा है। आपको यह सूचना मिलती है कि आपके बैंक के सर्वर में खराबी के कारण उस बैंक का कोई भी ग्राहक जिसमें आप भी शामिल हैं अपने कार्ड का इस्तेमाल नहीं कर सकता है। तब आप क्या करेंगे? जाहिर सी बात है अगर ऐसी स्थिति में आप कभी फंसते हैं तो आपको परेशानी होगी।

अब एक दूसरे पहलू पर गौर कीजिए। मान लिजिए आप जिस मॉल में खरीदारी कर रहे हों उसके पास किसी ऐसे डेटा या लेजर का एक्सेस हो जो आपके डेबिट और क्रेडिट कार्ड से होने वाली हर लेन-देन को अपडेट कर सकता हो चाहे उस बैंक का सर्वर काम करे या न करे। अगर ऐसा होता है तो आप अपने बैंक का सर्वर डाउन रहने के बावजूद अपने कार्ड्स का इस्तेमाल कर पाएंगे। क्योंकि, मॉल अपने डेटा में आपकी खरीदारी की राशि को अपडेट कर देगा और जब आपके बैंक का सर्वर ठीक हो जाएगा यह वहां भी अपडेट हो जाएगा। ऐसे में आप बिना की किसी परेशानी के सर्वर डाउन रहने की स्थिति में भी खरीदारी कर पाएंगे। यही ब्लॉकचेन तकनीक है।

ब्लॉकचेन का वो उदाहरण जिसका हम इस्तेमाल करते हैं?

हम में से ज्यादातर लोगों ने कभी ना कभी Google स्प्रेडशीट का इस्तेमाल किया है। अगर हम सोचकर देखें तो पाएंगे कि हम जिस गूगल स्प्रेडशीट का इस्तेमाल कर रहे हैं वह एक ऐसा दस्तावेज या लेजर है जो दुनिया के हर कंप्यूटर पर साझा की जा सकती है और इंटरनेट से जुड़ी होती है। हम अगर इस स्प्रेडशीट में कोई भी बदलाव करते हैं तो वह इसकी एक पंक्ति में दर्ज हो जाता है।

मोबाइल डिवाइस या कंप्यूटर इस्तेमाल करने वाला कोई भी व्यक्ति इंटरनेट के माध्यम से इस स्प्रेडशीट से कनेक्ट हो सकता है और इसके डेटा तक पहुंच सकता है। इंटरनेट से जुड़ा कोई भी व्यक्ति इस स्प्रैडशीट में दर्ज किए गए आंकड़ों को देख सकता है पर इसमें पहले से मौजूद आंकड़ों को बदल नहीं सकता है। मूल रूप से यही ब्लॉकचेन तकनीक है। फर्क सिर्फ इतना है कि जहां स्प्रेडशीट में अलग-अलग पंक्तियों में आंकड़े होते हैं वहीं ब्लॉकचेन में अलग-अलग ब्लॉक्स में आंकड़े संग्रहित किए जाते हैं।

ऐसे में हम निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि ब्लॉकचेन का एक ब्लॉक सूचनाओं का एक संग्रह है जिसमें कई छोटे-छोटे ब्लॉक्स में डेटा या सूचनाएं एकत्र कर उन्हें chronological तरीके से एक के बाद रखकर जोड़ा जाता है। जब कई ब्लॉक आपस में जुड़ जाते हैं तो एक शृंखला बन जाती है तो इसे ही ब्लॉकचेन कहते हैं।

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