दो डीमैट खाते होने के फायदे

पहिले के टाइम क्या होता था सारे काम पेपर वर्क में हुआ करते थे जैसे की,शेयर को इश्यू करने के बाद शेयरहोल्डर (मतलब शेयर खरीदने वाला आदमी) दो डीमैट खाते होने के फायदे को शेयर सर्टिफिकेट दिया जाता था.और ये शेयर सर्टिफिकेट सबूत था आपके ओनरशिप का.इसलिए इन सर्टिफिकेट को संभाल कर रखना भी एक चैलेंजिंग काम भी था.
दो डीमैट खाते होने के फायदे
बोनांजा पोर्टफोलियो में एसोसिएट फंड एवं वेल्थ मैनेजर हीरेन ढाकन कहते हैं कि हाल तक ब्रोकिंग कंपनियों से ग्राहक इस तरह की पूछताछ करते रहे हैं कि वे अपने निष्क्रिय डीमैट खाते को फिर से कैसे चालू करा सकते हैं? उन्होंने लंबे समय से कोई खरीद-बिक्री नहीं की है लेकिन अब जबकि इक्विटी और प्रारंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) बाजार में फिर से तेजी आई है तो वे ऐसा करना चाहते हैं। ढाकन का कहना है, 'हम तीन साल तक डीमैट खाते को निष्क्रिय रहने देते हैं और फिर इन्हें स्थायी रूप से निष्क्रिय बना लेते हैं। हालांकि कुछ ऐसी ब्रोकिंग कंपनियां हैं जो इन खातों को पूरी तरह निष्क्रिय घोषित करने दो डीमैट खाते होने के फायदे से पहले पांच साल तक इंतजार करती हैं।' हालांकि इस बारे में कोई तय नियम नहीं है कि किसी डीमैट खाते को निष्क्रिय घोषित करने से पहले कितने समय तक इस खाते में लेन-देन नहीं होना चाहिए। यह इस पर निर्भर करता है कि डिपोजिटरी पार्टिसिपेंट (डीपी), बैंक या ब्रोकर और ग्राहक के बीच किस तरह का करार हुआ है? आमतौर पर यह इस पर निर्भर करता है कि खाते के रखरखाव का शुल्क किस तरह वसूला जाता है।
अपने बचत खाते का कैसे ज्यादा से ज्यादा फायदा उठा दो डीमैट खाते होने के फायदे सकते हैं आप?
बिलों का भुगतान
सेविंग बैंक अकाउंट का इस्तेमाल कोई व्यक्ति अपने कैश मैनेजमेंट सिस्टम की तरह कर सकता है. इसकी मदद से बिजली-पानी के बिलों का भुगतान, टैक्स का पेमेंट, लोन की ईएमाआई और इंश्योरेंस का प्रीमियम आसानी से दिया जा सकता है. कई इंटरनेट बैंकिंग पोर्टल ग्राहकों को स्नैपशॉट मुहैया कराते हैं. इसमें उनके खाते दो डीमैट खाते होने के फायदे दो डीमैट खाते होने के फायदे से जुड़े सभी निवेशों को देखा जा सकता है.
टैक्स कम्प्लायंस
कोई कितना कमाता है या खर्च करता है, इसका पूरा लेखाजोखा सेविंग बैंक अकाउंट में होता है. इसकी मदद से आप आसानी से पता लगा सकते हैं कि किसी एसेट ने कैसा प्रदर्शन किया. सालाना बैंक स्टेटमेंट में कमाई और खर्च का पूरा रिकॉर्ड दिया जाता है. लिहाजा, इसका इस्तेमाल आईटीआर फाइल करने के लिए किया जा सकता है.
शेयर मार्केट में निवेश: डीमैट अकाउंट खोलते समय ट्रांजेक्शन और मेंटेनेंस चार्ज सहित इन 5 बातों का रखें ध्यान, इससे आपको मिलेगा ज्यादा फायदा
अगर आप शेयर मार्केट में निवेश का प्लान बना रहे हैं तो इसके लिए आपको डीमैट अकाउंट खोलना होगा। इसके बिना आप शेयर मार्केट में ट्रेडिंग नहीं कर सकते हैं। कहीं भी डीमैट अकाउंट खोलने से पहले इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि जिस ब्रोकेज हाउस में आप डीमैट अकाउंट खोल रहे हैं वो आपको कौन-कौन सी सुविधाएं देता और आपसे इसके बदले में कितना चार्ज लेगा। हम आपको ऐसी 5 बातों के बारे में बता रहें हैं जिनका ध्यान आपको डीमैट अकाउंट खोलते समय रखना चाहिए।
ब्रोकरेज और ट्रांजेक्शन फीस
भारत में ब्रोकरों के बीच डीमैट अकाउंट खोलने और ब्रोकरेज चार्ज अलग-अलग हैं। जबकि उनमें से ज्यादातर आजकल मुफ्त डीमैट खाते खोल रहे हैं। वे इक्विटी खरीदने और बेचने पर आपसे लेनदेन (ट्रांजेक्शन) फीस ले सकते हैं। डीमैट अकाउंट की फीस के अलावा सालाना मेंटेनेंस चार्ज और ट्रांजेक्शन फीस की भी जांच करें, कि आपके डीमैट अकाउंट का सालाना खर्च कितना है। ट्रांजेक्शन फीस को लेकर ब्रोकरों के बीच बड़ा अंतर हो सकता है।
. लेकिन काफी नहीं है डीमैट खाता
शेयरों में डायरेक्ट निवेश के लिए आपके पास तीन तरह के खाते होने जरूरी हैं। बैंक अकाउंट, ट्रेडिंग अकाउंट और डीमैट खाता शामिल। ट्रेडिंग अकाउंच के बिना डीमैट खाता अधूरा दो डीमैट खाते होने के फायदे है। डीमैट खाते में आप सिर्फ डिजिटल रूप में शेयरों को रख सकते हैं, जबकि ट्रेडिंग अकाउंट के साथ आप शेयर, IPO, म्यूचुअल फंड और गोल्ड में निवेश कर सकते हैं। डीमैट में शेयरों के रखरखाव का काम डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट (DPs) करते हैं।
कैसे ट्रांसफर होती है रकम?
-डीमैट खाते का इस्तेमाल बैंक की तरह होता है जहां शेयरों दो डीमैट खाते होने के फायदे को जमा किया जाता है।
-सबसे पहले आपके सेविंग्स बैंक अकाउंट से ट्रेडिंग अकाउंट में रकम आती है।
-ट्रेडिंग अकाउंट की एक आईडी होती है, इस
अकाउंट के जरिए शेयरों को खरीदा-बेचा जा सकता है।
-जितने शेयर खरीदे या बेचे जाते हैं, यह डीमैट खाते में दिखाई देता है।
ब्रोकरेज हाउस की फीस जरूर देखें
डीमैट खाते से जुड़ी तमाम तरह की फीस के बारे में जानकारी जरूर रखें। इसके साथ कई चार्ज जुड़े होते हैं। मसलन आपको इस खाते की ऐनुअल मेन्टिनेंस फईस के तौर पर कुछ अमाउंट देना होता है और जैसे ही डीमैट खाता ऐक्टिव होता है ट्रांजैक्शन फीस देनी होती है। अगर साल के बीच में यह खाता बंद हो जाता है तो मेन्टिंनेंस फीस क्वॉर्टर के आधआर पर प्रपोर्शनेटली ली जाती है। बहरहाल DP अकाउंट बंद करने या एक से दूसरे DP को होल्डिंग्स ट्रांसफर करने पर भी कोई चार्ज नहीं लगता।
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Conclusion
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