निवेशक सुरक्षा कोष

पारस्परिक कोष से आप क्या समझते हैं?
इसे सुनेंरोकेंपारस्परिक निधि या म्युचुअल फंड एक संगृहीत निवेशों की पेशेवर रूप से सुप्रबंधित फर्म है जो कई निवेशकों से धन इकठ्ठा करती है और इसे शेयर बाजार, बोंड्स, छोटी अवधि के मुद्रा बाजार उपकरण और/या अन्य प्रतिभूति में डालती है।
कोश शब्द का क्या अर्थ है?
इसे सुनेंरोकेंकोश वह पुस्तक है, जिसमें सामान्यतया वर्णानुक्रम से किसी भाषा के शब्दों अथवा विशेष या फिर लेखक आदि के संबंध में अध्ययन होता है। कोश वह ग्रंथ है, जिसमें अर्थ एवं पर्याय सहित शब्द इकट्ठे किए गए हों। कोश वह ग्रंथ है जिसमें विशेष क्रम से शब्द दिए हों और उनके आगे अर्थ दिए हों।
कैसे सेबी निवेशकों के हितों की रक्षा कर रहा है?
इसे सुनेंरोकेंसेबी द्वारा निवेशक सुरक्षा उपाय म्यूचुअल फंड और उद्यम जैसी निवेश योजनाओं को पंजीकृत करनाराजधानी धन, और उनके कामकाज को विनियमित करना। स्व-नियामक कंपनियों का प्रचार और नियंत्रण। प्रतिभूति निवेशक सुरक्षा कोष बाजार से संबंधित धोखाधड़ी और अनुचित व्यापारिक तरीकों पर नजर रखना। कंपनियों के प्रमुख लेनदेन और टेक-ओवर का अवलोकन और विनियमन।
संविभाग निवेश से क्या आशय है?
इसे सुनेंरोकेंनिधि प्रबंधक (fund manager), संविभाग प्रबंधक के रूप में भी जाना जाता है, सुरक्षा के अंतर्गत आने वाले फंड्स का निवेश और व्यापार करता है, किसी लाभ या हानि का ध्यान रखते हुए किसी व्यक्तिगत निवेशक के लिए प्रक्रिया जारी करता है। वर्तमान में, विश्व भर में मुचुअल फंड्स का कुल मूल्य है $२६ खरब .
विनियोग क्या है इसके उद्देश्य क्या है?
इसे सुनेंरोकेंनिवेश या विनियोग (investment) का सामान्य आशय ऐसे व्ययों से है जो उत्पादन क्षमता में वृद्धि लायें। यह तात्कालिक उपभोग व्यय या ऐसे व्ययों संबंधित नहीं है जो उत्पादन के दौरान समाप्त हो जाए। निवेश शब्द का कई मिलते जुलते अर्थों में अर्थशास्त्र, वित्त तथा व्यापार-प्रबन्धन आदि क्षेत्रों में प्रयोग किया जाता है।
विनियोग के प्रकार क्या है?
इसे सुनेंरोकेंस्वायत्त निवेश (विनियोग) (Autonomous Investment)- स्वतंत्र निवेश आय, लाभ व उत्पादन में होने वाले परिवर्तनों से प्रभावित नहीं होता। आय या लाभ का चाहे जो भी स्तर हो परन्तु निवेशकर्ताओं के निवेश-सम्बन्धी निर्णयों में कोई परिवर्तन नहीं होता।
निवेश कितने प्रकार के होते है?
दीर्घकालीन निवेश कहाँ और कितने समय तक कर सकते है?
- स्टॉक
- बांड
- म्यूच्यूअल फण्ड
- प्रॉपर्टी निवेश
- सोने में निवेश
- शेयर मार्केट
- फिक्स्ड डिपाजिट
- PPF में निवेश
निवेश के कितने प्रकार है?
इसे सुनेंरोकेंआमतौर पर इन्वेस्टमेंट को चार टाइप में बांटा गया है। आप अपनी जरूरत, रिस्क, फायदे और और विशेषताओं के आधार पर इन्वेस्टमेंट का चयन कर सकते हैं। आमतौर पर इन्वेस्टमेंट को चार टाइप में बांटा गया है।
सेबी ने NSE पर लगाया 625 करोड़ रुपये का जुर्माना, 6 महीने तक नहीं ला सकेगा डेरिवेटिव प्रोडक्ट
एनएसई को 624.89 करोड़ रुपये और उसके साथ उस पर 1 अप्रैल 2014 से 12 प्रतिशत सालाना ब्याज दर सहित पूरी राशि सेबी द्वारा स्थापित निवेशक सुरक्षा और शिक्षा कोष (आईपीईएफ) में भरनी होगी.'
By: एजेंसी | Updated at : 30 Apr 2019 11:19 PM (IST)
नई दिल्लीः शेयर बाजार रेगुलेटर सेबी ने मंगलवार को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) को एक खास जगह स्थापित एक्सचेंज के कुछ सर्वर को कारोबार में कथित रूप से वरीयता देने (को-लोकेशन) के मामले में 625 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि सेबी के एक विशेष कोष में जमा कराने के आदेश दिए हैं. इसके अलावा कंपनी के दो पूर्व प्रमुखों पर भी कार्रवाई की गई है.
एनएसई की को-लोकेशन सुविधा के माध्यम से उच्च आवृति वाले कारोबार में अनियमितता के आरोपों की जांच के बाद सेबी ने यह आदेश दिया है.
आदेश में कहा गया है, 'एनएसई को 624.89 करोड़ रुपये और उसके साथ उस पर 1 अप्रैल 2014 से 12 प्रतिशत सालाना ब्याज दर सहित पूरी राशि सेबी द्वारा स्थापित निवेशक सुरक्षा और शिक्षा कोष (आईपीईएफ) में भरनी होगी.'
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने इस मामले में एनएसई के दो पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी और प्रबंध निदेशक रवि नारायण और चित्रा रामकृष्ण को एक अवधि विशेष के दौरान प्राप्त वेतन के 25 प्रतिशत हिस्से को वापस करने के लिए भी कहा है. सेबी ने इन दोनों पूर्व अधिकारियों पर पांच साल तक किसी सूचीबद्ध कंपनी या बाजार ढांचा चलाने वाले संस्थान या बाजार में बिचौलिए का काम करने वाली इकाई के साथ काम करने पर भी रोक लगायी है.
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आदेश के मुताबिक सेबी ने दोनों को छह महीने के लिए प्रतिभूति बाजार में सीधे या परोक्ष रूप से कारोबार करने से भी रोक दिया है.
साल 2015 में एक शिकायत के बाद एनएसई की को-लोकेशन सुविधा नियामकीय जांच के घेरे में आई.
इस मामले में आदेश जारी करते हुए सेबी ने कहा कि एनएसई ने टिक- बाय-टिक (टीबीटी) डेटा रूपरेखा के संबंध में आपेक्षित प्रयास नहीं किया.
टीबीटी डेटा फीड ऑर्डर बुक में हुए हर बदलाव के बारे में जानकारी देता है. इसे पारेषण नियंत्रण प्रोटोकॉल/इंटरनेट प्रोटोकॉल के जरिए प्रसारित किया जाता है. इस प्रोटोकॉल के तहत एक-एक करके सूचनाएं प्रेषित होती हैं.
सेबी के पूर्ण कालिक सदस्य जी महालिंगम ने आदेश में कहा 'इसमें कोई संशय नहीं है कि शेयर बाजार ने टीबीटी रूपरेखा को लागू करने के समय आपेक्षित परिश्रम नहीं किया. इसके चलते एक ऐसा कारोबारी माहौल बना, जिसमें सूचनाओँ का प्रसार असमान था. जिसे निष्पक्ष और उचित और न्यायसंगत नहीं माना जा सकता. "
वहीं , दूसरी तरफ सेबी ने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज को अगले छह महीने तक कोई भी नया डेरिवेटिव उत्पाद पेश नहीं करने के लिए कहा है.
Published at : 30 Apr 2019 11:19 PM (IST) Tags: penalty SEBI NSE हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Business News in Hindi
वित्तीय समावेश सरकार की शाीर्ष प्राथमिकता: अनुराग ठाकुर
नयी दिल्ली, तीन जून (भाषा) केंद्रीय मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने बृहस्पतिवार को कहा कि वित्तीय समावेश सरकार के लिये शीर्ष प्राथमिकता है और वित्तीय शिक्षा को बढ़ावा देने से सामूहिक क्षमता को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी। आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार वित्त और कॉरपोरेट मामलों के राज्यमंत्री ने ‘हिसाब की किताब’ शीर्षक से निवेशक शिक्षा और सुरक्षा कोष प्राधिकरण (आईईपीएफए) की लघु फिल्मों के छह मॉड्यूल पेश करने के मौके पर आयोजित ‘ऑनलाइन’ कार्यक्रम में यह बात कही। आईईपीएफए कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय के अंतर्गत आता है। मंत्री ने कहा कि आईईपीएफए को ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में विभिन्न संबद्ध पक्षों
आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार वित्त और कॉरपोरेट मामलों के राज्यमंत्री ने ‘हिसाब की किताब’ शीर्षक से निवेशक सुरक्षा कोष निवेशक सुरक्षा कोष निवेशक शिक्षा और सुरक्षा कोष प्राधिकरण (आईईपीएफए) की लघु फिल्मों के छह मॉड्यूल पेश करने के मौके पर आयोजित ‘ऑनलाइन’ कार्यक्रम में यह बात कही।
आईईपीएफए कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय के अंतर्गत आता है।
मंत्री ने कहा कि आईईपीएफए को ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में विभिन्न संबद्ध पक्षों के बीच निवेशक जागरूकता पैदा करने की जिम्मेदारी मिली हुई है। डिजिटलीकरण के कारण, भारत में शहरी-ग्रामीण विभाजन कम हो रहा है। फिर भी गांवों में रहने वाली आबादी में निवेश और दीर्घकालिक वित्तीय नियोजन के संबंध में व्यवहार परिवर्तन में बदलाव लाने की आवश्यकता है।
कॉरपोरेट मामलों के सचिव राजेश वर्मा ने कहा कि सीएससी ई-गॉव ने लघु फिल्मों का एक दिलचस्प प्रारूप में तैयार किया है। इससे ग्रामीण आबादी को बजट, बचत, सरकार की विभिन्न बुनियादी अवधारणाओं को समझने के साथ पोंजी योजनाओं जैसे निवेश की गलत योजनाओं से खुद को बचाने में मदद मिलेगी।
साल 2022 में चुनौतीपूर्ण श्रम सुधार और सामाजिक सुरक्षा कोष के गठन पर रहेंगी नजरें
देश में चार श्रम संहिताओं को लागू करके सुधारों की एक बड़ी लहर की शुरुआत, अनौपचारिक क्षेत्र के 38 करोड़ से अधिक श्रमिकों को दायरे में लाने के लिए राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा कोष का गठन और कारोबारी.
देश में चार श्रम संहिताओं को लागू करके सुधारों की एक बड़ी लहर की शुरुआत, अनौपचारिक क्षेत्र के 38 करोड़ से अधिक श्रमिकों को दायरे में लाने के लिए राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा कोष का गठन और कारोबारी सुगमता को बढ़ाना नए साल में श्रम मंत्रालय के एजेंडे में सबसे ऊपर होगा। अनौपचारिक क्षेत्र के 38 करोड़ से अधिक श्रमिकों का राष्ट्रीय डेटाबेस बनाने के लिए मंत्रालय ने एक बड़े कदम के तौर पर 26 अगस्त, 2021 को ई-श्रम पोर्टल लॉन्च किया था। यह अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों को विभिन्न सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के लाभ सुनिश्चित करने में सरकार की मदद करेगा।
श्रम संहिताओं को आगे बढ़ाने में अब तक काफी प्रगति हुई है। अधिकांश राज्य चार श्रम संहिताओं के लिए मसौदा नियमों के साथ तैयार हैं और केंद्र सरकार ने फरवरी 2021 में अपनी ओर से इन नियमों को मजबूत किया है। यह नई संहिता को लागू करने के लिए जरूरी है। श्रम संहिता को 2022 में लागू करने के सवाल पर केंद्रीय श्रम मंत्री भूपेंद्र यादव ने पीटीआई-भाषा से कहा, ''हम उस पर काम कर रहे हैं। हम सामाजिक सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम श्रमिकों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध हैं। उस उद्देश्य के लिए, जो कुछ भी (जरूरी) होगा, हम करना चाहते हैं।''
इन संहिताओं को अनौपचारिक क्षेत्र के कामगारों के लिए काफी अहम माना जा रहा है। अब तक अनौपचारिक क्षेत्र के 17 करोड़ से अधिक श्रमिकों ने ई-श्रम पोर्टल पर अपना पंजीकरण कराया है। केंद्र सरकार ने चार श्रम संहिताएं अधिसूचित की हैं। वेतन संबंधी संहिता 2019 को 8 अगस्त, 2019 को अधिसूचित किया गया था। वहीं औद्योगिक संबंध संहिता 2020, सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020 और व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्य स्थिति संहिता 2020 को 29 सितंबर, 2020 को अधिसूचित किया गया था।
सामाजिक सुरक्षा संहिता एक सामाजिक सुरक्षा कोष बनाने का प्रावधान करती है जो अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा के साथ-साथ कल्याणकारी योजनाओं के अंतर्गत लाने में मदद करेगी। यादव ने उम्मीद जताई कि 2022 में अनौपचारिक क्षेत्र के सभी श्रमिक ई-श्रम पोर्टल निवेशक सुरक्षा कोष पर पंजीकृत हो जाएंगे।
उन्होंने कहा, ''हमने कई पहल की हैं जो दिखाती हैं कि हमारी सरकार गरीबों की देखभाल करती है। विशेष रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्त्व में हमारे मंत्रालय द्वारा शुरू किए गए ई-श्रम पोर्टल को तगड़ी प्रतिक्रिया मिली है। इसका उद्देश्य असंगठित श्रमिकों के डेटा को पंजीकृत करना है और सामाजिक सुरक्षा संहिता के तहत यह जरूरी है। मुझे इस बात की भी खुशी है कि सभी श्रम संगठनों ने इस मिशन का तहेदिल से समर्थन किया है।'' हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि श्रम संहिताओं को लागू करना उतना आसान नहीं होगा। इसकी वजह यह है कि ट्रेड यूनियनों के साथ-साथ उद्योग जगत में भी इस पर मतभेद हैं।
प्रमुख मुद्दों में से एक मजदूरी की परिभाषा के बारे में है जो भत्ते को 50 प्रतिशत पर सीमित करता है और भविष्य निधि एवं ग्रेच्युटी की ज्यादा कटौती का प्रावधान करता है। इसका मतलब होगा कि इसके लागू होने के बाद अंततः कर्मचारियों को हाथ में मिलने वाला वेतन कम हो जाएगा और नियोक्ताओं को भी वेतन संरचना के पुनर्गठन की आवश्यकता होगी।
इसके अलावा औद्योगिक संबंध संहिता में एक प्रावधान है कि 300 श्रमिकों तक की किसी भी इकाई को बंद करने, छंटनी करने के लिए सरकार से अनुमति लेने की जरूरत नहीं होगी। वर्तमान में यह सीमा 100 श्रमिकों की है।
इसके अलावा, ट्रेड यूनियनों का यह भी दावा है कि ऐसे अन्य प्रावधान हैं जो ट्रेड यूनियनों के गठन को थोड़ा बोझिल बनाते हैं। यादव ने कहा, 'हम त्रिपक्षीय (व्यवस्था) के तहत इन मुद्दों पर बात करने के लिए तैयार हैं। कई मंच पहले से ही सक्रिय हैं।
श्रम मंत्री के मुताबिक, कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) और कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) की बैठकों को नियमित कर दिया गया है। उन्होंने कहा, ''मानव संसाधन प्रबंधन, अवसंरचना, आईटी, क्षमता निर्माण और जन शिकायतों के लिए, हमने पहले ही ईपीएफओ के साथ-साथ ईएसआईसी के तहत उप-समितियां नियुक्त की हैं। यह मंत्रालय के कामकाज को मजबूत करेगा।''
2022 में साक्ष्य-आधारित नीति निर्माण के संबंध में मंत्री ने प्रवासी श्रमिकों, घरेलू कामगारों पर चार सर्वेक्षण और दो संस्था सर्वेक्षणों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा, ''ये रिपोर्ट 2022 में आएंगी और निश्चित रूप से प्रधानमंत्री के विचारों और मिशन को पूरा करेंगी, जो कि साक्ष्य-आधारित नीति और अंतिम व्यक्ति तक लक्षित वितरण प्रणाली है। मुझे लगता है कि इसके साथ ऐसा होगा। इसके अलावा हम अपने एनसीएस (नेशनल करियर सर्विस) पोर्टल को भी मजबूत कर रहे हैं।''
28 दिसंबर तक एनसीएस मंच पर लगभग 1.7 लाख सक्रिय नियोक्ता दर्ज हैं और लगभग 2.21 लाख सक्रिय रिक्तियां दर्ज हैं। नौकरी की तलाश कर रहे करीब 1.34 करोड़ लोगों ने इस पर अपना नाम दर्ज कराया है।2021 में ईएसआई योजना का विस्तार 52 जिलों में किया गया, जिसमें 2,31,495 कर्मचारियों को उनके परिवार के सदस्यों के साथ लाया गया। यह योजना अब देश के 592 जिलों में उपलब्ध है और 2022 तक इस योजना को देश के सभी जिलों में विस्तारित करने का प्रस्ताव है। आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना (एबीआरवाई) के तहत 18 दिसंबर तक 1,20,697 प्रतिष्ठानों के माध्यम से 42,82,688 लाभार्थियों को कुल 2,966.28 करोड़ रुपये का लाभ दिया गया है।
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