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द्विक लोलक

द्विक लोलक
यूनियनपीडिया एक विश्वकोश या शब्दकोश की तरह आयोजित एक अवधारणा नक्शे या अर्थ नेटवर्क है। यह प्रत्येक अवधारणा और अपने संबंधों का एक संक्षिप्त परिभाषा देता है।

सूची लोलक

द्विक लोलक

किसी खूंटी से लटके ऐसे भार को लोलक (साँचा:Lang-en) कहते हैं जो स्वतंत्रतापूर्वक आगे-पीछे झूल सकता हो। झूला द्विक लोलक इसका एक व्यावहारिक उदाहरण है।

साँचा:चिरसम्मत यांत्रिकी दोलन करता हुआ लोलक किसी एक बिन्दु जितने समय बाद पुनः वापस आ जाता है उसे उसका 'आवर्तकाल' कहते हैं। यदि लोलक का आयाम कम हो तो इसका आवर्तकाल आयाम पर निर्भर नहीं करता बल्कि केवल लोलक की लम्बाई और गुरुत्वजनित त्वरण के स्थानीय मान पर निर्भर होता है। लोलक का आवर्तकाल लोलक के द्रव्यमान पर भी निर्भर नहीं करता।

T \approx 2\pi \sqrt\frac \qquad \qquad \qquad \theta_0 \ll 1 \qquad (1)\,

जहाँ L लोलक की लम्बाई है, तथा g उस स्थान पर गुरुत्वजनित त्वरण का मान है।

इस सूत्र से साफ है कि यदि आयाम (या स्विंग) कम हो तो आवर्तकाल अलग-अलग आयामों के लिये समान होगा। लोलक के इस गुण को 'समकालिकता' (isochronism) कहते हैं। अपने इसी गुण के कारण लोलक का उपयोग समयमापन (timekeeping) में खूब हुआ।

द्विक लोलक

सूची द्विक लोलक

द्विक लोलक गणित और भौतिकी में द्विक लोलक (double pendulum) वह लोलक है जिसमें एक लोलक के साथ दूसरा लोलक भी जुड़ा होता है। यह एक सरल भौतिक निकाय है किन्तु इसकी गतिकी (डाइनेमिक्स) बहुत सम्पन्न है। श्रेणी:लोलक.

भौतिक शास्त्र

भौतिकी के अन्तर्गत बहुत से प्राकृतिक विज्ञान आते हैं भौतिक शास्त्र अथवा भौतिकी, प्रकृति विज्ञान द्विक लोलक की एक विशाल शाखा है। भौतिकी को परिभाषित करना कठिन है। कुछ विद्वानों के मतानुसार यह ऊर्जा विषयक विज्ञान है और इसमें ऊर्जा के रूपांतरण तथा उसके द्रव्य संबन्धों की विवेचना की जाती है। इसके द्वारा प्राकृत जगत और उसकी आन्तरिक क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है। स्थान, काल, गति, द्रव्य, विद्युत, प्रकाश, ऊष्मा तथा ध्वनि इत्यादि अनेक विषय इसकी परिधि में आते हैं। यह विज्ञान का एक प्रमुख विभाग है। इसके सिद्धांत समूचे विज्ञान में मान्य हैं और विज्ञान के प्रत्येक अंग में लागू होते हैं। इसका क्षेत्र विस्तृत है और इसकी सीमा निर्धारित करना अति दुष्कर है। सभी वैज्ञानिक विषय अल्पाधिक मात्रा में इसके अंतर्गत आ जाते हैं। विज्ञान की अन्य शाखायें या तो सीधे ही भौतिक पर आधारित हैं, अथवा इनके तथ्यों को इसके मूल सिद्धांतों से संबद्ध करने का प्रयत्न किया जाता है। भौतिकी का महत्व इसलिये भी अधिक है कि अभियांत्रिकी तथा शिल्पविज्ञान की जन्मदात्री होने के नाते यह इस युग के अखिल सामाजिक एवं आर्थिक विकास की मूल प्रेरक है। बहुत पहले इसको दर्शन शास्त्र का अंग मानकर नैचुरल फिलॉसोफी या प्राकृतिक दर्शनशास्त्र कहते थे, किंतु १८७० ईस्वी के लगभग इसको वर्तमान नाम भौतिकी या फिजिक्स द्वारा संबोधित करने लगे। धीरे-धीरे यह विज्ञान उन्नति करता गया और इस समय तो इसके विकास द्विक लोलक की तीव्र गति देखकर, अग्रगण्य भौतिक विज्ञानियों को भी आश्चर्य हो रहा है। धीरे-धीरे इससे अनेक महत्वपूर्ण शाखाओं की उत्पत्ति हुई, जैसे रासायनिक भौतिकी, तारा भौतिकी, जीवभौतिकी, भूभौतिकी, नाभिकीय भौतिकी, आकाशीय भौतिकी इत्यादि। भौतिकी का मुख्य सिद्धांत "उर्जा संरक्षण का नियम" है। इसके अनुसार किसी भी द्रव्यसमुदाय की ऊर्जा की मात्रा स्थिर होती है। समुदाय की आंतरिक क्रियाओं द्वारा इस मात्रा को घटाना या बढ़ाना संभव नहीं। ऊर्जा के अनेक रूप होते हैं और उसका रूपांतरण हो सकता है, किंतु उसकी मात्रा में किसी प्रकार परिवर्तन करना संभव नहीं हो सकता। आइंस्टाइन के सापेक्षिकता सिद्धांत के अनुसार द्रव्यमान भी उर्जा में बदला जा सकता है। इस प्रकार ऊर्जा संरक्षण और द्रव्यमान संरक्षण दोनों सिद्धांतों का समन्वय हो जाता है और इस सिद्धांत के द्वारा भौतिकी और रसायन एक दूसरे से संबद्ध हो जाते हैं। .

द्विक लोलक

द्विक लोलक गणित और भौतिकी में द्विक लोलक (double pendulum) वह लोलक है जिसमें एक लोलक के साथ दूसरा लोलक भी जुड़ा होता है। यह एक सरल भौतिक निकाय है किन्तु इसकी गतिकी (डाइनेमिक्स) बहुत सम्पन्न है। श्रेणी:लोलक.

फूको के लोलक का एनिमेशन पेरिस (48°52' उत्तर) के पेन्थिओं में फूको के लोलक का एनिमेशन, इसमें पृथ्वी के द्विक लोलक चक्रण गति को अत्यधिक बढ़ा कर लिया गया है। '''हरा मार्ग''' (ट्रेस) पृथ्वी के ऊपर लोलक के पथ को दर्शा रहा है (घूमते हुए रिफरेंस फ्रेम में), '''नीला मार्ग''' लोलक के तल के साथ-साथ घूम रहे रिफरेंस फ्रेम में लोलक के मार्ग को दर्शा रहा है। पेरिस के द्विक लोलक पेन्थिओं में स्थित फूको का लोलक फूको का लोलक (Foucault pendulum) धरती के अपनी धुरी पर घूमने की क्रिया को प्रदर्शित करने के उद्देश्य से निर्मित एक सरल प्रायोगिक युक्ति है। इसका द्विक लोलक नाम फ्रांसीसी भौतिकशास्त्री लिओं फूको (Léon Foucault) के नाम पर पड़ा है। फूको ने इस लोलक का निर्माण १८५१ में किया था। श्रेणी:लोलक.

लोलक (गणित)

गणित में लोलक की गति का विस्तृत और बिना किसी सरलीकरण के अध्ययन किया जा सकता है। .

साधारण लोलक घडी लोलक घड़ी (pendulum clock) वह घड़ी है जिसमें समय प्रदर्शित करने वाली प्रणाली का चालन एक लोलक की सहायता से होता है। इसका आविष्कार सन १६५६ में क्रिश्चियन हाइगेंस ने किया था। तब से आरम्भ करके लगभग १९३० तक यह संसार की सर्वाधिक शुद्ध समयदर्शी तंत्र था। आजकल इन्हें सजावटी सामान एवं पुरातन सामान के रूप में प्रयोग किया जाता है। लोलक घड़ी वस्तुतः एक अनुनादी युक्ति है जो अपनी लम्बाई के अनुसार एक निश्चित दर से दोलन करती है तथा किसी अन्य दर से दोलन का विरोध करती है। किन्तु यह स्थिर अवस्था में कार्य करने के लिये ही उपयुक्त है। किसी गतिशील एवं त्वरित होने वाली चीज में यह सही समय नहीं बता पायेगी। पेंडुलम घडी की कार्यविधि .

सरल आवर्त गति

घर्षणरहित फर्श पर स्प्रिंग से जुड़े द्रव्यमान की गति 'सरल आवर्त गति' है। भौतिकी में सरल आवर्त गति (simple harmonic motion / SHM) उस द्विक लोलक गति को कहते हैं जिसमें वस्तु जिस बल के अन्तर्गत गति करती है उसकी दिशा सदा विस्थापन के विपरीत एवं परिमाण विस्थापन के समानुपाती होता है। उदाहरण - किसी स्प्रिंग से लटके द्रव्यमान की गति, किसी सरल लोलक की गति, किसी घर्षणरहित क्षैतिज तल पर किसी स्प्रिंग से बंधे द्रव्यमान की गति आदि। .

सैकेण्डी लोलक सैकेन्डी लोलक (seconds pendulum) वह लोलक है जिसका आवर्तकाल ठीक-ठीक २ सेकेण्ड होता है। अतः इसकी आवृत्ति १/२ हर्ट्ज होती है। .

गुरुत्वजनित त्वरण

गुरुत्वजनित त्वरण या गुरुत्वीय त्वरण (acceleration due to gravity) निम्नलिखित तीन अर्थों में प्रयुक्त होता है-.

विभिन्न आवृतियों की तरंगें कोई आवृत घटना (बार-बार दोहराई जाने वाली घटना), इकाई समय में जितनी बार घटित होती है उसे उस घटना की आवृत्ति (frequency) कहते हैं। आवृति को किसी साइनाकार (sinusoidal) तरंग के कला (phase) परिवर्तन की दर के रूप में भी समझ सकते हैं। आवृति की इकाई हर्त्ज (द्विक लोलक साकल्स प्रति सेकण्ड) होती है। एक कम्पन पूरा करने में जितना समय लगता है उसे आवर्त काल (Time Period) कहते हैं। आवर्त काल .

सरल लोलक क्या है यह कैसे कार्य करता है?

इसे सुनेंरोकें(simple pendulum in hindi) सरल लोलक क्या है , परिभाषा , उदाहरण , संरचना चित्र , सिद्धांत , समय अवधि : जब एक द्रव्यमान रहित और पूर्ण प्रत्यास्थ डोरी , जिसका एक सिरा दृढ आधार से बंधा हो और दुसरे सिरे पर यदि एक बिंदु द्रव्यमान को लटका दिया जाए तो इस प्रकार की व्यवस्था को सरल लोलक कहते है।

दोलन गति में कर्ण के अधिकतम विस्थापन को क्या कहते हैं?

इसे सुनेंरोकेंSHM का आयाम A, कण के अधिकतम विस्थापन का परिमाण होता है।

आवर्तकाल कैसे निकाले?

सरल लोलक के आवर्तकाल का सूत्र है T=2π√lg , जहाँ संकेतो के अर्थ सामान्य है l तथा T के बीच खींचा ग्राफ होगा

  1. A. सरल रेखा
  2. B. परवलय
  3. C. वृत्त
  4. D. दीर्घवृत्त
  5. b.

लोलक द्विक लोलक कितने प्रकार के होते हैं?

सरल आवर्त गति से क्या अभिप्राय है?

इसे सुनेंरोकेंभौतिकी में सरल आवर्त गति (simple harmonic motion / SHM) उस गति को कहते हैं जिसमें वस्तु जिस बल के अन्तर्गत गति करती है उसकी दिशा सदा विस्थापन के विपरीत एवं परिमाण विस्थापन के समानुपाती होता है।

सरल लोलक की लंबाई कितनी होती है?

इसे सुनेंरोकेंलोलक की लंबाई में लगभग 10 cm का परिवर्तन करके नयी लंबाई के लिए पुनः लगभग 20 दोलनों के लिए चरण (6) को द्विक लोलक दोहराइए । 20 दोलनों का समय लगभग 50s अथवा इससे अधिक होना चाहिए।

सरल आवर्त गति में क्या स्थिर होता है?

इसे सुनेंरोकेंV = ω A 2 − y 2 , जहाँ V = द्विक लोलक वेग, ω = कोणीय वेग, A = आयाम और y = विस्थापन। उपरोक्त चर्चा से, हम कह सकते हैं कि समय अवधि वह है जो एक सरल आवर्त गति में स्थिर रहती है।

दोलनी गति क्या है?

इसे सुनेंरोकेंजब कोई वस्तु एक ही पथ पर एक से अधिक बार गति करे,इस प्रकार की गति को दोलन गति कहते है।

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घड़ी के पेंडुलम की गति क्या है?

इसे सुनेंरोकेंलोलक घड़ी (pendulum clock) वह घड़ी है जिसमें समय प्रदर्शित करने वाली प्रणाली का चालन एक लोलक की सहायता से होता है। इसका आविष्कार सन १६५६ में क्रिश्चियन हाइगेंस ने किया था। तब से आरम्भ करके लगभग १९३० तक यह संसार की सर्वाधिक शुद्ध समयदर्शी तंत्र था।

इसे सुनेंरोकेंजब किसी छोटे और भारी पिंड को किसी भारहीन पिंड एवं लम्बाई में न बढ़ने वाले धागे के एक सिरे से पिंड को बांधकर धागे को किसी घर्षण रहित दीवार (छत) से लटका दें। तो इस प्रकार बने समायोजन को सरल लोलक (simple pendulum in Hindi) कहते हैं।

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