क्रिप्टो-मुद्रा ब्रोकर

भारत में बिटकॉइन, इथेरियम और डॉजकॉइन समेत अन्य क्रिप्टोकरेंसी की लेटेस्ट कीमत क्या है?
पिछले 24 घंटे में बिटकॉइन की वैल्यू 2.57 फीसदी बढ़ी है, जिसके बाद यह 16,40,733 रुपये पर कारोबार कर रहा है। बिटकॉइन का मार्केट कैपिटलाइजेशन 31.4 लाख करोड़ रुपये का है। इसके अलावा, इथेरियम में भी 1.30 फीसदी की बढ़त देखी गई है। वर्तमान में इथेरियम 1,10,006 रुपये पर कारोबार कर रहा है। इसका मार्केट कैपिटलाइजेशन 13.5 लाख करोड़ रुपये का है। एक हफ्ते क्रिप्टो-मुद्रा ब्रोकर में बिटकॉइन की वैल्यू 5.77 फीसदी और इथेरियम की 3.67 फीसदी की बढ़त देखी गई है।
BNB कॉइन 23,958 रुपये पर क्रिप्टो-मुद्रा ब्रोकर कारोबार कर रहा है। कल की तुलना में BNB की वैल्यू में 2.18 फीसदी की बढ़त देखी गई है। इसका मार्केट कैपिटलाइजेशन 3.9 लाख करोड़ रुपये का है। आज रिपल XRP की कीमत 38.74 रुपये (4.28 फीसदी ऊपर) पर कारोबार कर रहा है। कार्डानो और डॉजकॉइन की कीमत क्रमशः 35.15 रुपये (0.77 फीसदी ऊपर) और 5.26 रुपये (5.09 फीसदी ऊपर) पर कारोबार कर रहे हैं।
सोलाना 2,730.1 रुपये (फ्लैट), शीबा इनु कॉइन 0.000934 रुपये (2.68 फीसदी ऊपर), पोल्का डॉट 521.80 रुपये (0.50 फीसदी ऊपर) और पॉलीगॉन वर्तमान में 68.8 रुपये (2.39 फीसदी ऊपर) पर कारोबार कर रहे हैं। साप्ताहिक चार्ट के आधार पर सोलाना (3.42 फीसदी ऊपर) और पोल्का डॉट (0.93 फीसदी ऊपर) है। शीबा इनु पिछले सात दिनों में अपने मूल्य से (3.89 फीसदी ऊपर) और पॉलीगॉन (13.55 फीसदी ऊपर) है।
लिस्ट में हीलियम, कॉन्वेक्स फाइनेंस, डॉजकॉइन, टेरा लुना और बिटकॉइन कैश है, जो क्रमशः 434.28 रुपये (9.64 फीसदी ऊपर), 436.25 रुपये (9.25 फीसदी ऊपर), 5.28 रुपये (7.89 क्रिप्टो-मुद्रा ब्रोकर फीसदी ऊपर), 212.64 रुपये (6.75 फीसदी ऊपर) और 9,957.69 रुपये (5.29 फीसदी ऊपर) पर कारोबार कर रहे हैं।
स्थिर कॉइन इथेरियम टोकन हैं। इन्हे एक निश्चित मूल्य पर रहने के लिए डिजाइन किया गया है, चाहे भले ही ETH की कीमत क्यों क्रिप्टो-मुद्रा ब्रोकर न बदल जाए। जैसे- फिएट मुद्रा या फिर सोना (गोल्ड) है। लोकप्रिय टोकन में टेथर USD, USD कॉइन और बिनेंस USD क्रमशः 81.42 रुपये (005 फीसदी नीचे), 81.40 रुपये (0.08 फीसदी नीचे) और 81.34 रुपये (0.22 फीसदी नीचे पर कारोबार कर रहे हैं। टेरा क्लासिक USD 2.54 रुपये (0.66 फीसदी ऊपर) पर लिस्ट है।
टॉप लूजर की लिस्ट में रिजर्व राइट्स, चिलीज और क्रिप्टो-मुद्रा ब्रोकर रावेन कॉइन शामिल हैं। यह क्रमशः 0.7425 रुपये (3.75 फीसदी नीचे), 17.54 (1.40 फीसदी नीचे) और 2.87 रुपये (0.42 फीसदी नीचे) पर कारोबार कर रहे हैं।
ट्रैफिक, लिक्विडिटी, ट्रेडिंग वॉल्यूम और ट्रेडिंग वॉल्यूम की वैधता में विश्वास के हिसाब से टॉप-3 क्रिप्टोकरेंसी स्पॉट एक्सचेंज में बायनेन्स, कॉइनबेस एक्सचेंज और FTX शामिल हैं। बायनेन्स और कॉइनबेस एक्सचेंज में 24 घंटे के अंदर क्रमशः 1.257 लाख करोड़ रुपये (17.74 फीसदी ऊपर) और लगभग 13,060 करोड़ रुपये (14.38 फीसदी ऊपर) वॉल्यूम पर देखा गया है। FTX में लगभग 12,062 करोड़ रुपये (17.97 फीसदी ऊपर) वॉल्यूम पर देखा गया है।
DeFi लेनेदेन के लिए किसी भी थर्ड पार्टी या फिर ब्रोकर की जरुरत नहीं होती। इसके सभी लेनदेन का रिकॉर्ड ब्लॉकचेन के ऊपर मौजूद रहता है, जिसे कोई भी देख सकता है। Dai, एवंलॉन्च, यूनिस्वैप, रैप्ड बिटकॉइन और चेनलिंक कुछ लोकप्रिय DeFi टोकन हैं। वे वर्तमान में क्रमशः 81.36 रुपये (0.05 फीसदी क्रिप्टो-मुद्रा ब्रोकर ऊपर), 1,406.84 (0.66 फीसदी ऊपर), 541.31 रुपये (0.43 फीसदी ऊपर), 16,39,377.02 रुपये (2.88 फीसदी ऊपर) और 627.91 रुपये (2.26 फीसदी ऊपर) पर कारोबार कर रहे हैं।
कोई भी ऐसी चीज जिसे डिजिटल रूप में बदला जा सकता है, वह NFT (नॉन फंजिबल टोकन) हो सकता है। जैसे- ड्रॉइंग, फोटो, वीडियो, GIF, संगीत। फ्लो, ऐपकॉइन, तेजोस, डीसेंट्रालैंड और चिलीज कुछ प्रमुख NFT टोकन हैं। ये वर्तमान में क्रमशः 138.68 रुपये (1.38 फीसदी ऊपर), 424.93 रुपये (0.22 फीसदी ऊपर), 118.07 रुपये (1.24 फीसदी ऊपर), 57.56 रुपये (1.74 फीसदी ऊपर) और 17.54 रुपये (1.68 फीसदी नीचे) पर कारोबार कर रहे हैं।
मौजूदा समय में वैश्विक स्तर पर क्रिप्टो की मार्केट कैपिटलाइजेशन 78.3 लाख करोड़ रुपये है, जबकि पिछले 24 घंटों में कुल क्रिप्टो वॉल्यूम 4.8 लाख करोड़ रुपये है।
आरबीआई क्यों चाहता है कि देश में क्रिप्टो पर बैन लगे? क्या यह संभव हो सकेगा?
क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने को लेकर जो सबसे बड़ी समस्या आएगी वह यह है की वर्तमान समय में इस करेंसी में भारत के 15 से 20 मिलियन लोगों ने इन्वेस्ट कर रखा है, इन सभी की होल्डिंग मिला दी जाए तो यह लगभग 40 हजार करोड़ के आसपास है.
संयम श्रीवास्तव | Edited By: सुष्मित सिन्हा
Updated on: Dec 19, 2021 | 9:01 PM
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने अपने बोर्ड के सामने कहा कि भारत में क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) पर पूरी तरह से बैन लगना चाहिए. इसके साथ ही रिजर्व बैंक चाहता है कि क्रिप्टोकरेंसी को रेगुलेट करने के लिए एक ग्लोबल पॉलिसी भी बननी चाहिए. अब सवाल उठता है कि जिस क्रिप्टोकरेंसी का मार्केट हिंदुस्तान में लाखों करोड़ों डॉलर का है, क्या वहां क्रिप्टोकरेंसी को पूरी तरह बंद करना इतना आसान होगा. दरअसल भारतीय रिजर्व बैंक ने अपने बोर्ड के प्रेजेंटेशन में कहा कि क्रिप्टोकरेंसी पर पूरी तरह से प्रतिबंध होना चाहिए, इसमें आंशिक प्रतिबंध काम नहीं करेंगे.
हालांकि आरबीआई का क्रिप्टोकरेंसी को लेकर रुख कोई नया नहीं है. वैकल्पिक मुद्राओं को मान्यता देने के विरोध में आरबीआई हमेशा रहा है. हालांकि देश में क्रिप्टोकरेंसी पर बैन लगेगा या नहीं लगेगा इसका फैसला भारतीय संसद करेगी. दरअसल इसी शीतकालीन सत्र में सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी एंड रेगुलेशन आफ ऑफिशल डिजिटल करेंसी बिल 2021 को सूचीबद्ध किया है. जानकारी के अनुसार इस बिल में सभी प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव है. इसके साथ ही बिल में यह भी मांग है कि कानून का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ बिना वारंट के गिरफ्तारी का प्रावधान हो और उन्हें जमानत भी ना मिले.
आरबीआई क्यों चाहती है कि क्रिप्टोकरेंसी बैन क्रिप्टो-मुद्रा ब्रोकर हो
दरअसल क्रिप्टोकरेंसी एक डिसेंट्रलाइज्ड ब्लॉकचेन करेंसी होती है. यानि इसके डिमांड एंड सप्लाई पर किसी का कंट्रोल नहीं होता है. एक करेंसी के रूप में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर बहुत ज़्यादा खामियां हैं, जिसको लेकर आरबीआई चिंतित है. दरअसल क्रिप्टोकरेंसी के डिसेंट्रलाइज होने की वजह से आप इसे ट्रैक नहीं कर सकते. यानि अगर इस क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल टेरर फंडिंग और हवाला जैसे चीजों के लिए होता है तो आरबीआई या कोई भी गवर्नमेंट एजेंसी इसे ट्रैक नहीं कर सकती. हमें समझना होगा कि आज आरबीआई का काम केवल यह नहीं है कि वह देश में पैसा सर्कुलेट करे, बल्कि आरबीआई आज ट्रांजैक्शंस को ट्रैक भी करता है.
समस्या इस बात की है कि जब किसी करेंसी पर कोई होल्ड नहीं होता या उसे कोई रेगुलेट करने वाला नहीं होता तो यह तेजी से ऊपर जाता है और तेजी से नीचे गिरता है. जिससे देश की अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान हो सकता है. हाल ही में आपने देखा होगा जैसे ही क्रिप्टोकरेंसी पर बैन की बात आई पूरा मार्केट कैसे रातों-रात क्रैश हो गया. हालांकि इसके पहले इसी मार्केट ने ही लोगों को रातों-रात कई सौ गुना प्रॉफिट भी दिया था. यानि साफ शब्दों में कहें तो यह मार्केट पूरी तरह से रिस्क कि रास्ते पर चलता है. जहां आपको 1 दिन में कई सौ गुना प्रॉफिट भी हो सकता है और 1 दिन में कई सौ गुना लॉस भी हो सकता है.
क्या पूरी तरह से क्रिप्टोकरेंसी पर बैन पॉसिबल है
इसे सीधे शब्दों में समझें तो डिजिटल करेंसी पर पूरी तरह से क्रिप्टो-मुद्रा ब्रोकर बैन लगाना संभव नहीं है, क्योंकि बैन के बाद भी लोग इसे एक दूसरे के साथ शेयर कर सकते हैं. दरअसल क्रिप्टोकरेंसी सिंपल कंप्यूटर कोड के पीस होते हैं, जिसे बैन नहीं किया जा सकता. हां, लेकिन यह जरूर है कि इस पर एक रेगुलेटरी बैन लगाया जा सकता है. जिसकी वजह से मेंन स्ट्रीम यूजर्स को क्रिप्टो में ट्रेड करने में दिक्कत आएगी. एक बात यह भी है कि सरकार हो सकता है क्रिप्टो को एक करेंसी के रूप में बैन करे और इसे एक ऐसेट के रूप में लागू रख सकती है.
संभव यह भी है कि भारत सरकार शीतकालीन सत्र में प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसीज पर बैन लगा कर आरबीआई द्वारा रेगुलेट डिजिटल करेंसी लॉन्च करे, जिस पर आरबीआई और केंद्रीय संस्थाएं अपना होल्ड बनाए रखें और उस पर जनता को ट्रेड करने का अवसर प्रदान करे. क्रिप्टोकरेंसी पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने को लेकर जो सबसे बड़ी समस्या आएगी वह यह है की वर्तमान समय में इस क्रिप्टो-मुद्रा ब्रोकर करेंसी में भारत के 15 से 20 मिलियन लोगों ने इन्वेस्ट कर रखा है, इन सभी की होल्डिंग मिला दी जाए तो यह लगभग 40 हजार करोड़ के आसपास है. इसलिए आने वाले समय में सरकार को बेहद सोच समझकर इस आभासी मुद्रा पर फैसले लेने होंगे.
क्रिप्टोकरेंसी बैन हो गई तो इन्वेस्टर्स का क्या होगा
ब्रोकर डिस्कवरी और कंपैरिजन प्लेटफार्म ब्रोकर चूज़र की एक रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में क्रिप्टो मालिकों की संख्या के मामले में भारत पहले नंबर पर है. इस रिपोर्ट में कहा गया कि दुनिया भर में क्रिप्टो मालिकों की संख्या में अगर भारतीयों के योगदान को देखें तो यह 10.7 करोड़ है. बीते 12 महीनों में कुल ग्लोबल क्रिप्टो-मुद्रा ब्रोकर सर्च, स्क्रिप्ट मालिकों की संख्या, ग्लोबल क्रिप्टो एडॉप्शन इंडेक्स और अन्य फैक्टर्स के आधार पर भारत सातवां सबसे ज्यादा क्रिप्टो अवेयर देश है. इन 10 करोड़ भारतीयों ने क्रिप्टोकरेंसी में लगभग 40,000 करोड़ रुपए का निवेश किया है.
सवाल उठता है कि अगर भारत सरकार इन क्रिप्टोकरेंसीज को बैन कर देती है तो फिर इन इन्वेस्टर्स और इनके पैसे का क्या होगा. अगर भारत ने क्रिप्टोकरेंसी बैन होती है तो इन्वेस्टर्स के पास 2 प्राइमरी ऑप्शन बचेंगे. पहला इन्वेस्टर अपनी करेंसी को बेच दे या फिर दूसरा कि अपने क्रिप्टो ऐसैट्स को करेंसी एक्सचेंज वॉलेट में रखें. यानि जो लोग बैन के बाद भी क्रिप्टोकरेंसी को अपने पास रखना चाहते हैं, वह इसे सिर्फ कस्टडी वॉलेट्स में रख सकते हैं.
यह वॉलेट डिजिटल डिवाइस माइक्रोएसडी की तरह काम करते हैं. Ledger, Safepal, Trezor, Bitlox जैसे सेल्फ कस्टडी डिवाइस इन्वेस्टर्स की प्राइवेट ‘बिटकॉइन की’ को स्टोर रखते हैं. भारत में अगर क्रिप्टोकरेंसी बैन होती है तो इन वॉलेट्स के जरिए इन्वेस्टर विदेश में रह रहे अपने दोस्त या किसी रिश्तेदार को अपनी सारी क्रिप्टोकरेंसी भेज सकते हैं.
लीगल टेंडर के तौर पर नहीं स्वीकार की जाएगी क्रिप्टोकरेंसी, सरकार के पास बिटकॉइन लेनदेन का कोई डाटा नहीं
बिजनेस डेस्कः केंद्र सरकार ने क्रिप्टो करेंसी को लेकर अपना रुख साफ कर दिया है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को एक बयान में कहा कि केंद्र सरकार की देश में क्रिप्टोकरेंसी को लीगल टेंडर के रूप में स्वीकार करने में कोई योजना नहीं है। केंद्र द्वारा बिटकॉइन लेनदेन से संबंधित डाटा पर एक सवाल का जवाब देते हुए वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि केंद्र भारत में बिटकॉइन लेनदेन पर कोई डेटा एकत्र नहीं करता है।
ब्रोकर डिस्कवरी और कंपैरिजन प्लेटफॉर्म ब्रोकर चूजर के अनुसार, पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा क्रिप्टोकरेंसी धारक भारत में हैं। भारत में क्रिप्टोकरेंसी धारकों की संख्या 10.7 करोड़ है। भारत के बाद अमेरिकी, रूस और नाइजीरिया जैसे देशों का नाम आता है। अमेरिका में क्रिप्टोकरेंसी धारकों की तादाद 2.74 करोड़ है, तो वहीं रूस 1.74 करोड़ क्रिप्टो-मालिकों के साथ इस लिस्ट में तीसरे नंबर पर है। नाइजिरिया क्रिप्टो-मुद्रा ब्रोकर में भी क्रिप्टोधारकों की एक अच्छी खासी तादाद है, नाइजीरिया में 1.30 क्रिप्टोकरेंसी धारक हैं।
बिटकॉइन एक तरह की डिजिटल मुद्रा है जो लोगों को बैंकों, क्रेडिट कार्ड जारीकर्ताओं या अन्य तीसरे पक्षों को शामिल किए बिना सामान और सेवाओं को खरीदने और पैसे का आदान-प्रदान करने की अनुमति प्रदान करती है। बिटकॉइन को साल 2008 में प्रोग्रामरों के एक अज्ञात समूह द्वारा एक क्रिप्टोकरेंसी के साथ-साथ एक इलेक्ट्रॉनिक भुगतान प्रणाली के रूप में पेश किया गया था। कथित तौर पर यह पहली विकेन्द्रीकृत डिजिटल मुद्रा है जहां पीयर-टू-पीयर लेनदेन बिना किसी मध्यस्थ के किया जाता है।
इसके अलावा केंद्र सरकार संसद के चल रहे शीतकालीन सत्र के दौरान आधिकारिक डिजिटल मुद्रा विधेयक 2021 की क्रिप्टोक्यूरेंसी और विनियमन पेश करने की योजना भी बना रही है। इस विधेयक में कुछ निजी क्रिप्टोकरेंसी को छोड़कर सभी पर प्रतिबंध लगाने का प्रयास किया गया है, जबकि आरबीआई द्वारा आधिकारिक डिजिटल मुद्रा की अनुमति दी गई है।
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