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निवेश करने दो प्रमुख तरीके

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निवेश कहाँ करें

Sensex और Nifty के बारे में क्यों होती है इतनी बात, क्या है इनके कैलकुलेशन का तरीका, जानिए कई दिलचस्प सवालों के जवाब

How Sensex and Nifty Calculated: सेंसेक्स और निफ्टी स्टॉक मार्केट में उठा-पटक को मापने का काम करते हैं.

Sensex और Nifty के बारे में क्यों होती है इतनी बात, क्या है इनके कैलकुलेशन का तरीका, जानिए कई दिलचस्प सवालों के जवाब

सेंसेक्स और निफ्टी दो प्रमुख लॉर्ज कैप इंडेक्सेज हैं जो देश के दो प्रमुख स्टॉक्स एक्सचेंजेज बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंजेज से जुड़ा हुए हैं.

Know How Sensex and Nifty are Calculated: कारोबार की खबरें पढ़ने के दौरान कुछ शब्द बार-बार सामने आते हैं जिसमें सेंसेक्स और निफ्टी प्रमुख हैं. खबरों के जरिए पता चलता है कि सेंसेक्स ने रिकॉर्ड स्तर छुआ या सेंसेक्स में गिरावट के चलते निवेशकों का करोड़ों का नुकसान हुआ, ऐसे में आम लोगों के मन में दिलचस्पी उठना स्वाभाविक हैं कि सेंसेक्स और निफ्टी क्या हैं जिससे लोगों के करोड़ो का नफा-नुकसान जुड़ा हुआ है. इसके अलावा अगर शेयर बाजार में निवेश या ट्रेडिंग करने की सोच रहे हैं तो भी इनके बारे में जानना बहुत जरूरी है.

Sensex और Nifty दो प्रमुख लॉर्ज कैप इंडेक्स यानी सूचकांक हैं. सेंसेक्स बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) से जुड़ा इंडेक्रस है, जबकि निफ्टी नेशनल स्टॉक एक्सचेंच (NSE) से जुड़ा हुआ है. ये दोनों इंडेक्स स्टॉक मार्केट में उठा-पटक को मापने का काम करते हैं. आमतौर पर जब कोई निफ्टी कहता है तो उसका मतलब निफ्टी 50 होता है.

Stock Market Holiday October 2022: त्योहारों के चलते 3 दिन नहीं होगी BSE-NSE पर ट्रेडिंग, कब-कब रहेगी स्टॉक मार्केट की छुट्टी?

Sensex क्या है?

सेंसेक्स बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) का बेंचमार्क इंडेक्स है. इसीलिए इसे बीएसई सेंसेक्स भी कहा जाता है. सेंसेक्स शब्द सेंसेटिव और इंडेक्स को मिलाकर बना है. हिंदी में कुछ लोग इसे संवेदी सूचकांक भी कहते हैं. इसे निवेश करने दो प्रमुख तरीके सबसे पहले 1986 में अपनाया गया था और यह 13 विभिन्न क्षेत्रों की 30 कंपनियों के शेयरों में होने वाले उतार-चढ़ाव को दिखाता है. इन शेयरों में बदलाव से सेंसेक्स में उतार-चढ़ाव आता है. सेंसेक्स का कैलकुलेशन फ्री फ्लोट मेथड से किया जाता है.

कैसे होता है सेंसेक्स का कैलकुलेशन ?

  • सेंसेक्स में शामिल सभी 30 कंपनियों का मार्केट कैपिटलाइजेशन निकाला जाता है. इसके लिए कंपनी द्वारा जारी किए गए शेयरों की संख्या को शेयर के भाव से गुणा करते हैं. इस तरह जो आंकड़ा मिलता है, उसे कंपनी का मार्केट कैपिटलाइजेशन या हिंदी में बाजार पूंजीकरण भी कहते हैं.
  • अब उस कंपनी के फ्री फ्लोट फैक्टर की गणना की जाती है. यह कंपनी द्वारा जारी किए कुल शेयरों का वह परसेंटेज यानी हिस्सा है जो बाजार में ट्रेडिंग के लिए उपलब्ध होता है. जैसे कि किसी कंपनी ABC के 100 शेयरों में 40 शेयर सरकार और प्रमोटर के पास हैं, तो बाकी 60 फीसदी ही ट्रेडिंग के लिए उपलब्ध होंगे. यानी इस कंपनी का फ्री फ्लोट फैक्टर 60 फीसदी हुआ.
  • बारी-बारी से सभी कंपनियों के फ्री फ्लोट फैक्टर को उस कंपनी के मार्केट कैपिटलाइजेशन से गुणा करके कंपनी के निवेश करने दो प्रमुख तरीके फ्री फ्लोट मार्केट कैपिटलाइजेशन की गणना की जाती है.
  • सेंसेक्स में शामिल सभी 30 कंपनियों के फ्री फ्लोट मार्केट कैपिटलाइजेशन को जोड़कर उसे बेस वैल्यू से डिवाइड करते हैं और फिर इसे बेस इंडेक्स वैल्यू से गुणा करते हैं. सेंसेक्स के लिए बेस वैल्यू 2501.24 करोड़ रुपये तय किया गया है. इसके अलावा बेस इंडेक्स वैल्यू 100 है. इस गणना से सेंसेक्स का आकलन किया जाता है.

निफ्टी 50 क्या है ?

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 50 भी एक प्रमुख मार्केट इंडिकेटर है. निफ्टी शब्द नेशनल और फिफ्टी को मिलाने से बना है. नाम के अनुरूप इस इंडेक्स में 14 सेक्टर्स की 50 भारतीय कंपनियां शामिल हैं. इस प्रकार यह बीएसई की तुलना में अधिक डाइवर्सिफाइड है. बीएसई की तरह ही यह लार्ज कैप कंपनियों के मार्केट परफॉरमेंस को ट्रैक करता है. इसे 1996 में लांच किया गया था और इसकी गणना फ्री फ्लोट मार्केट कैपिटलाइजेशन के आधार पर की जाती है.

4. कैसे होता है Nifty का कैलकुलेशन?

  • निफ्टी की गणना लगभग सेंसेक्स की तरह ही फ्री फ्लोट मार्केट कैपिटालाइजेशन के आधार पर होती है लेकिन कुछ अंतर भी है.
  • निफ्टी की गणना के लिए सबसे पहले सभी कंपनियों का बाजार पूंजीकरण यानी मार्केट कैपिटलाइजेशन निकाला जाता है, जिसके लिए आउटस्टैंडिंग शेयर की संख्या को वर्तमान भाव से गुणा करते हैं.
  • इसके बाद मार्केट कैप को इंवेस्टेबल वेट फैक्टर (RWF) से गुणा किया जाता है. RWF पब्लिक ट्रेडिंग के लिए उपलब्ध शेयरों का हिस्सा है.
  • इसके बाद मार्केट कैप को इंडिविजुअल स्टॉक को एसाइन किए हुए वेटेज से गुणा किया जाता है.
  • निफ्टी को कैलकुलेट करने के लिए सभी कंपनियों के वर्तमान मार्केट वैल्यू को बेस मार्केट कैपिटल से डिवाइड कर बेस वैल्यू से गुणा किया जाता है. बेस मार्केट कैपिटल 2.06 लाख करोड़ रुपये तय किया गया है और बेस वैल्यू इंडेक्स 1 हजार है.

5. इतने खास क्यों हैं Nifty और Sensex ?

भारतीय शेयर बाजार में होने वाले उतार-चढ़ाव का संकेत देने वाले सिर्फ यही दो इंडेक्स नहीं हैं. इसके अलावा भी तमाम इंडेक्स मौजूद निवेश करने दो प्रमुख तरीके हैं, जिनका इस्तेमाल शेयरों की चाल को समझने के लिए किया जाता है. इनमें ज्यादातर इंडेक्स किसी खास सेक्टर या कंपनियों के किसी खास वर्गीकरण से जुड़े हुए हैं. मिसाल के तौर पर किसी दिन के कारोबार के दौरान 12 प्रमुख बैंकों के शेयरों की औसत चाल का संकेत देने वाला Bank Index या सिर्फ सरकारी बैंकों के शेयरों का हाल बताने वाला PSU Bank Index, स्टील, एल्यूमीनियम और माइनिंग सेक्टर की कंपनियों के शेयरों के चाल का संकेत देने वाला मेटल इंडेक्स या फार्मा कंपनियों के शेयरों का फार्मा इंडेक्स, वगैरह-वगैरह.

ये सभी इंडेक्स बाजार में पैसे लगाने वाले निवेशकों या उन्हें मशविरा देने वाले ब्रोकर्स या सलाहकारों के लिए बेहद काम के होते हैं. लेकिन अगर एक नजर में बाजार का ओवरऑल रुझान समझना हो या उसके भविष्य की दशा-दिशा का अंदाज़ा लगाना हो, तो उसके लिए सबसे ज्यादा सेंसेक्स और निफ्टी जैसे बेंचमार्क इंडेक्स पर ही गौर किया जाता है. इन्हें मोटे तौर पर मार्केट सेंटीमेंट का सबसे आसान इंडिकेटर माना जाता है.

अगर ये इंडेक्स न हों तो कारोबारी दिन के किसी भी वक्त में एक नज़र डालकर शेयर बाजार के रुझान का अंदाज़ा लगाना मुश्किल हो जाए. इसी तरह इन दोनों इंडेक्स के पिछले ऐतिहासिक आंकड़ों को देखकर बड़ी आसानी से यह निष्कर्ष भी निकाल लिया जाता है कि पिछले एक महीने, साल भर, 5 साल या उससे भी ज्यादा वक्त के दौरान भारतीय शेयर बाजार की चाल यानी लिस्टेड कंपनियों के कारोबार की दशा-दिशा कैसे रही है.

निवेश करने दो प्रमुख तरीके

उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती में मोतीपुर कला आंगनवाड़ी केंद्र में ग्राम स्वास्थ्य और पोषण दिवस (VHND) पर आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, रिम्पनी रानी एक बच्चे को खाना खिलाती हुई।

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  • हिंदी

बच्चों और किशोर लड़कियों में कुपोषण को कम करना

बच्चे के जीवित रहने, उसके स्वास्थ्य और विकास के लिए पर्याप्त और ठीक संतुलित आहार महत्वपूर्ण है। सुपोषित बच्चों की स्वस्थ, उत्पादक और सीखने के लिए तैयार रहने की संभावना अधिक होती है।

अल्‍पपोषण का विपरीत प्रभाव होता है, इससे बुद्धि अवरुद्ध होती है, उत्पादकता कम होती है और गरीबी बनी रहती है। इससे बच्चे के मरने की संभावना बढ़ती है और निमोनिया, डायरिया और मलेरिया जैसे बचपन के संक्रमणों के प्रति उनकी संवेदनशीलता बढ़ जाती है।

ऊर्जा, प्रोटीन अथवा विटामिन और खनिजों (सूक्ष्म पोषक तत्वों) के अपर्याप्त सेवन और/ अथवा अपर्याप्‍त अवशोषण की वजह से अल्‍पपोषण होता है जिससे पोषण संबंधी कमियां होती हैं।

अल्‍पपोषण केवल पर्याप्‍त भोजन न खाने से ही नहीं होता। बचपन की बीमारियां, जैसे दस्त अथवा आंतों में कीड़े के संक्रमण से भी पोषक तत्वों का अवशोषण अथवा आवश्यकताएं प्रभावित हो सकती हैं।

कुपोषण व्यापक शब्द है जो हर प्रकार के खराब पोषण से संबंधित है। सरल शब्दों में, कुपोषण में अल्पपोषण और अतिपोषण, दोनों शामिल हैं।

पांच वर्ष से कम आयु के बच्‍चों की कुल मौतों की एक-तिहाई अल्‍पपोषण के कारण होती है।

अल्‍पपोषण केवल गरीबों को प्रभावित करने वाली स्थिति नहीं, यह भारत भर के सभी सामाजिक-आर्थिक समूहों में व्‍याप्‍त है।

केवल पिछले 10 वर्षों में, भारत में पांच वर्ष से कम आयु के बच्‍चों में स्‍टंट बच्चों की संख्या 48 प्रतिशत से कम होकर 38 प्रतिशत हो गई है। भारत अच्छी प्रगति कर रहा है लेकिन पूरे भारत में स्टंटिंग और अन्य प्रकार के कुपोषण समाप्त करने के लिए पहले से ही सफल प्रयासों में तेजी लाने के लिए राष्ट्रीय नेतृत्व की आवश्यकता है।

स्टंटिंग और अल्‍पपोषण के अन्‍य प्रकारों के विरुद्ध लड़ाई अभी जीती नहीं गई है, अल्‍पपोषण के प्रचलन में कमी लाने की प्रगति बहुत अधिक धीमी है।

निष्क्रियता की लागत सक्रियता से कहीं अधिक है

स्टंटिंग बच्चों की अपरिवर्तनीय शारीरिक और मानसिक क्षति का कारण बनता है। यह स्कूल में बच्‍चों की उपस्थिति और प्रदर्शन को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। इससे बाद वयस्क आय-सृजन में कमी आ सकती है। उत्पादकता में कमी, ज्ञान में कमी और खराब शैक्षिक परिणामों के कारण अल्‍पपोषण आर्थिक उन्नति कम करता है।

बेहतर पोषण स्थायी विकास की कुंजी है, यह शिक्षा, स्वास्थ्य और बाल संरक्षण पर अन्य निवेशों के भारतीय समाज पर असार डालता है। निष्क्रियता की लागत बहुत अधिक है, जिसके परिणामस्वरूप लाखों अल्‍पपोषित और कम शिक्षित बच्‍चों की वजह से व्‍यक्तिगत, राज्‍यों और कुल मिलाकर भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था को नुकसान होता है।

अल्‍पपोषण, और इसके प्रति प्रतिक्रियाओं को बड़ी विकासात्‍मक समस्या की महत्वपूर्ण अभिव्‍यक्ति के रूप में देखा जाना चाहिए और यह सस्‍टेनेबल डेवल्‍पमेंट लक्ष्‍य हासिल करने के लिए आवश्यक है, भारत जिसका हस्ताक्षरकर्ता है।

गर्भाधारण से बच्चे के दूसरे जन्मदिन तक पहले 1,000 दिनों में निवेश करना राष्ट्र के भविष्य को आकार प्रदान करता है। स्टंटिंग और अन्य प्रकार का कुपोषण समाप्त करना जीवन की सुरक्षा करता है, बच्चों के लिए स्वास्थ्य और संभावनाओं में सुधार लाता है और समग्र विकास प्रगति में सुधार करता है। इससे अल्‍पपोषण के विरुद्ध लड़ाई राष्ट्रीय अनिवार्यता बन जाती है।

यूनिसेफ इंडिया C²IQ दृष्टिकोण को बढ़ावा देता है: भारतभर में उच्च प्रभाव कार्यक्रम के लिए कवरेज, कॉन्टिनूइटी, इंटेन्‍स्‍टी और क्‍वालिटी।

उद्धरण: हम जानते हैं कि स्‍टंटिंग और अल्‍पपोषण के अन्‍य प्रकारों को कैसे समाप्‍त किया जाना है। आज भारत द्वारा सभी के लिए पोषण हेतु कार्यान्‍वित किए जाने वाले प्रमाणित समाधान मौजूद हैं – ऐसे समाधान जो विकास को बढ़ावा देकर और गरीबी के चक्र तोड़ सकते हैं।

अल्‍पपोषण की रोकथाम और उपचार के लिए केवल पोषण पर ध्यान देने की ही आवश्यकता नहीं है। सुरक्षित पानी मुहैया करना, स्वच्छता को बढ़ावा देना और बीमारियों की रोकथाम और उनका उपचार करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। पोषण में सामाजिक सुरक्षा तंत्र, सामाजिक सुरक्षा योजनाओं और अन्य गरीबी उन्मूलन उपायों के माध्यम से सुधार किया जा सकता है। बाल विवाह प्रथा समाप्त करने और किशोरावस्‍था गर्भधारण को रोकने की शिक्षा भी महत्वपूर्ण है।

यूनिसेफ सबसे कमजोर आबादी में स्टंटिंग और वेस्टिंग को कम करने के सरकार के प्रयासों में मदद देता है। यह 1000 दिनों के आसपास - गर्भाधान से लेकर दो साल तक - प्रमाणित उच्च-प्रभाव वाले हस्तक्षेपों के कवरेज को सार्वभौमिक बना कर किशोरियों और महिलाओं के लिए किया जा रहा है। विशेष ध्यान भौगोलिक पॉकेट और सामाजिक समूहों पर है जहां पोषण के संकेतक भारत के और राज्य के औसत से काफी नीचे हैं। बच्‍चों की आहार प्रथाओं में सुधार करना, विशेषकर 6 से 18 माह की आयु के बच्चों के लिए पूरक आहार भी महत्वपूर्ण हैं।

सामाजिक और व्यवहार परिवर्तन संबंधी पहलें, विशेष रूप से वंचित समुदायों में समुदाय-स्तरीय काउंसलिंग, संवाद, मीडिया का शामिल होना छोटे बच्चों के लिए स्थानीय रूप से उपलब्ध, पोषक तत्वों से प्रचूर सस्ते खाद्य पदार्थों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए अनिवार्य है। चूंकि कुपोषित माताओं के बच्‍चों की कुपोषित होने की संभावना अधिक होती है, यूनिसेफ किशोरियों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए पूरक आहार योजनाओं को बढ़ावा देता है।

उद्धरण: हम स्‍टंटिंग और अल्‍पपोषण के अन्‍य प्रकारों को कम करने की दिशा में अच्‍छी प्रगति कर रहे हैं। प्रगति को गति देने के लिए प्रतिबद्ध और समर्पित नेतृत्‍व की आवश्‍यकता होगी।

सोना: बीमा से लेकर निवेश तक

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अब, आपके पोर्टफोलियो में सोना क्या भूमिका निभाता है - क्या यह मात्र निवेश का माध्यम है या यह बीमा भी है? सोना आपके पोर्टफोलियो में ऐसा कुछ जोड़ता है जो कोई अन्य असेट नहीं कर सकती। यह एक निवेश के मार्ग के साथ-साथ वित्तीय संकट के समय बीमा के रूप में भी काम कर सकता है। यहाँ बताया गया है, कैसे:

किसी भी प्रकार के बीमा को किसी भी अप्रत्याशित संकट से होने वाले नुकसान को कम करके आपकी रक्षा करने वाला माना जाता है। और आपके वित्तीय पोर्टफोलियो के लिए, सोना ठीक ऐसा ही करता है। स्टॉक और बॉन्ड जैसे प्रमुख असेट क्लास के साथ इसके निम्न सहसंबंध को देखते हुए, आर्थिक संकट के दौरान सोना अच्छा प्रदर्शन करता है।

उदाहरण के लिए, 2020 के दौरान COVID-19 महामारी को ले लें।

महामारी के दौरान सोने की कीमतों में तेजी से उछाल आया, 6 अगस्त 2020 को 10 ग्राम 24k सोने का मूल्य ₹57,950 के उच्च स्तर पर पहुँच गया।

जिन निवेशकों ने सोने में निवेश किया था, उन्होंने पाया कि इससे उनके नुकसान की भरपाई हुई और उन्हें चल-निधि प्राप्त हुई।

मुद्रास्फीति के दौरान भी, जब कीमतें अपने उच्चतम स्तर पर होती हैं, निवेशकों के लिए सोना सुरक्षा जाल की तरह कार्य करता है। इसकी सीमित आपूर्ति और इसके तात्विक मूल्य को देखते हुए, सोने की माँग कभी कम नहीं होती और ना ही इसकी कीमत।

इतना ही नहीं; निवेशक सोने का इस्तेमाल मुद्रा के मूल्यह्रास सक बचाव के रूप में भी करते हैं। जब डॉलर कमजोर होता है तो सोना मँहगा हो जाता है। इसलिए, जब कागजी मुद्रा खतरे में महसूस होती है, तो लोगों को सोना स्वर्ग जैसा महसूस होता है।

ऐतिहासिक रूप से, जब मुद्राओं का विमुद्रीकरण किया जाता है, या उनकी क्रय शक्ति में तेजी से गिरावट आती है, या जब शेयर बाजार में गिरावट आती है, तो सोना निवेशकों के पोर्टफोलियो में बचाव का माध्यम बनता है। इसलिए, सोना आपके पोर्टफोलियो के लिए एक प्रत्यक्ष अभिवृद्धि बनाता है, क्योंकि यह एक लाभप्रद विविधता के रूप में कार्य करता है।

हालाँकि, बीमा के रूप में सोने की प्रतिष्ठा भली-भाँति स्थापित है, सोने ने खुद को एक आकर्षक निवेश विकल्प साबित किया है जो मजबूत आर्थिक काल में भी लाभ देता है।

उदाहरण के लिए, 2001 के बाद से वैश्विक निवेश की माँग में प्रति वर्ष औसतन 15% की वृद्धि हुई है और इसी अवधि में इसकी कीमत लगभग ग्यारह गुना बढ़ी है।

हम देख सकते हैं कि अतीत में सोने ने कुछ सबसे उपयोगी निवेश विकल्पों से बेहतर प्रदर्शन किया है।

लंबी अवधि में सोने के मूल्य को आर्थिक विकास का समर्थन प्राप्त होता है। यह न केवल मुद्रास्फीति के खिलाफ बचाव के रूप में कार्य करता है, बल्कि लंबी अवधि में अद्वितीय लाभ भी प्रदान करता है। अन्य असेट क्लास के विपरीत, सोने का मूल्य भौगोलिक सीमाओं और संप्रभु मुद्राओं से परे है। यह आसानी से उपलब्ध और पारदर्शी है, और फिर भी किसी भी अन्य असेट की तुलना में बेहतर चल-निधि प्रदान करता है।

इन दिनों सोने की खरीद-बिक्री के विभिन्न स्वरूप मौजूद हैं। भौतिक रूप में सोने के अलावा, गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF) और डिजिटल गोल्ड आधुनिक भारतीय को निवेश के नए तरीके प्रदान कर रहे हैं। ज्वैलरी और सिक्कों से अलग, इनमें कोई मेकिंग चार्ज और भंडारण संबंधी परेशानी नहीं होती है और ये उन लोगों के लिए छोटे मूल्यवर्ग में आसानी से उपलब्ध हैं जो अभी सोने के निवेश में शुरुआत कर रहे हैं।

चाहे लोग पारंपरिक रूप से सोना खरीदें या नए तरीकों में से किसी एक का इस्तेमाल करें, यह भारतीयों के लिए अनूठा और सबसे पसंदीदा निवेश विकल्प बना रहेगा। इसलिए, चाहे आप अपने निवेश पोर्टफोलियो में सोने को बीमा के रूप में रखें या निवेश के रूप में, सोना निस्संदेह इसमें एक लाभप्रद अभिवृद्धि है।

Where to invest in Hindi निवेश कहां करें

Where to invest in Hindi निवेश कहां करें इन विकल्पों के बारे में जानिए और समझिए कि पैसा कहां इन्वेस्ट करें जहां आप का पैसा सुरक्षित रहे और आपको उचित रिटर्न भी मिले। निवेश के विकल्प जो कि पोस्ट ऑफिस, बैंक खाते, शेयर बाजार, रियल स्टेट या म्यूचुअल फंड के माध्यम से उपलब्ध हैं। कहां निवेश करें कि हमारी बचत बढ़ सके और हमारे फायनैन्शल लक्षयों को पूरा कर सके फिर चाहे वो लक्ष्य घर बनाना हो, बच्चों की शिक्षा हो, बेटी की शादी या कोई अन्य। Where to invest in Hindi.

Where to invest in Hindi निवेश कहां करें

निवेश कहाँ करें

Where to invest in Hindi बचत और निवेश में अंतर

वित्तीय उद्योग में दो अवधारणाएं हैं जो अधिकांश लेनदेन गतिविधियों का आधार बनती हैं। एक बचत है और दूसरा निवेश। आम तौर पर लोग इनमें फर्क नहीं कर पाते हैं मगर दोनों अवधारणाओं के बीच एक बड़ा अंतर होता है। मैंने अपने एक लेख में बचत और निवेश में अंतर को अच्छे तरीके से समझाया है। वित्तीय संदर्भ के निवेश का मतलब है आज किसी भी धन को भविष्य के समय सीमा में वित्तीय लाभ की उम्मीद में व्यय करना। Understanding diffrance in saving and investment and Where to invest in Hindi.

Investment Meaning in Hindi निवेश का अर्थ

कोई भी निवेश एक उम्मीद के साथ संपत्ति खरीदने या बनाने का कार्य है कि इससे ब्याज कमाई या लाभांश या पूंजीगत बढ़ोतरी या किसी भी अन्य रिटर्न का लाभ मिलेगा जो प्रारंभ में रखे गए पैसे की तुलना में लाभदायक है। निवेश पर खर्च किए गए पैसे मुख्य रूप से किसी विशिष्ट अवधि में कुछ प्रकार की वापसी प्राप्त करने के उद्देश्य से किए जाते हैं।

Where to invest your Saving

कई बार लोग निवेश और बचत का अंतर नहीं समझ पाते हैं। बचत और निवेश एक दूसरे से अलग हैं। कह सकते हैं कि धन को सुरक्षित रखना बचत है पर उस बचत को आक्रामक रूप से इस तरह बचाना कि उस से रिटर्न प्राप्त हो सके उसे निवेश कहेंगे। यदि आप बचत और निवेश के अंतर को समझ लेते हैं तो अब यह भी समझिए कि आपके लिए कौन सा निवेश अच्छा रहेगा और अपनी आवश्यकता के अनुसार निवेश कहाँ करें। आज यहाँ विस्तार से निवेश के विकल्पों की चर्चा की जा रही है।

निवेश कहां करें Where to Invest

निवेश की श्रेणी में आने वाले काफी लोकप्रिय निवेश के विकल्प हैं फिक्स्ड डिपॉजिट, शेयर, म्यूचुअल फंड, बीमा और रियल एस्टेट इत्यादि। ये श्रेणियां निवेशकों के बीच काफी लोकप्रिय हैं क्योंकि आपके पैसे को बढ़ाने के लिए यह निवेश काफी सहयोग करते हैं। निम्नलिखित निवेश उत्पाद हैं जिनके बारे में जान कर आप निश्चय कर सकेंगे कि निवेश कहां करें, किस निवेश में जोखिम की मात्रा कितनी है और बेहतर रिटर्न के लिए और पैसा कहां इन्वेस्ट करें।

शेयर मार्केट Share Market

स्टॉक या इक्विटी शेयर हैं जो कंपनियों द्वारा जारी की जाती हैं और आम जनता द्वारा खरीदी जाती हैं। यह कंपनियों का धन जुटाने का तरीका है। स्टॉक एक कंपनी के स्वामित्व के हिस्से का अधिकार है। शेयर, स्टॉक और इक्विटी सभी का एक ही मतलब है। शेयर दुनिया में सबसे लोकप्रिय निवेश के साधनों में से एक हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि स्टॉक द्वारा मिलने वाला रिटर्न आमतौर पर किसी अन्य निवेश के साधन से अधिक होता हैं। हालांकि शेयरों में यदि उच्च रिटर्न मिलता है तो इनमें निवेश का जोखिम भी काफी अधिक है। शेयर बाजार में निवेश कहां करें यह जानने से पहले शेयर बाज़ार को जान लेना बहुत आवश्यक है।

लघु बचत योजनाएं Small Saving Schemes

भारतीय वित्तीय बाजार में लघु बचत योजनाएं लोकप्रिय बचत उपकरण हैं जिनसे सुरक्षित और निश्चित आय होती है। जैसा कि नाम से ही पता चलता है, ये योजनाएं छोटी मात्रा में पैसे बचाने के लिए हैं। इन निवेश योजनाओं के पीछे विचार लगभग सभी आर्थिक वर्गों से लोगों में बचत की आदत डालना है। छोटी बचतों में निवेश के लिए डाक घर बचत योजनाएं बहुत महत्वपूर्ण हैं। कुछ सबसे आम लघु बचत योजनाएं हैं सुकन्या समृद्धि योजना, ईपीएफ (कर्मचारी भविष्य निधि), एनपीएस (राष्ट्रीय पेंशन योजना), नेशनल सेविंग सर्टीफिकेट, किसान विकास पत्र, व्यक्तिगत भविष्य निधि (पीपीएफ) आदि। लगभग सभी लघु बचत योजनाएं सरकार द्वारा शुरू की जाती हैं ताकि देश में बचत योजनाओं के प्रसार को बढ़ाया जा सके। आइए इनमें से कुछ सबसे प्रमुख योजनाओं को देखें।

कर्मचारी भविष्य निधि EPF

कर्मचारी भविष्य निधि एक और लघु बचत योजना है जो मुख्य रूप से आपके एम्प्लॉअर द्वारा प्रदान की जाती है। इसमें निजी और सार्वजनिक दोनों संगठनों के वेतनभोगी व्यक्ति शामिल हैं। ईपीएफ योजना के लिए पंजीकरण करने के लिए 20 से अधिक कर्मचारी किसी भी कम्पनी में होना अनिवार्य है। प्रत्येक महीने लगभग 12% वेतन से कटौती की जाती है और कर्मचारी के ईपीएफ खाते में उसे जमा करवा दिया जाता है। यह ईपीएफ खाता कर्मचारी भविष्य निधि संगठन द्वारा रखा जाता है, जिसे आमतौर पर ईपीएफओ के नाम से जाना जाता है। ईपीएफ में जमा राशि पर आयकर अधिनियम की धारा 80 सी के तहत कर छूट मिलती है।

सुकन्या समृद्धि योजना Sukanya Smridhi Yojna

सुकन्या समृद्धि योजना एक विशेष योजना है जिसे बालिकाओं की वित्तीय कल्याण की सुविधा के लिए केंद्र सरकार द्वारा लॉन्च किया गया है। इस योजना को कन्या के माता-पिता या कानूनी अभिभावक द्वारा लिया जा सकता है और योजना के तहत कम से कम प्रति वर्ष 1000 रुपये की राशि जमा की जा सकती है। यह लड़की के 21 साल की उम्र तक पहुंचने के बाद परिपक्व हो जाती है। 18 साल की उम्र तक पहुंचने के बाद इस योजना से पैसे निकलने की अनुमति होती है यदि कन्या के लिए शादी या शिक्षा से संबंधित वित्तीय आवश्यकता होती है।

राष्ट्रीय पेंशन योजना NPS

यदि आप सोच रहे हैं कि रेटायर्मेंट के लिए निवेश कहां करें तो राष्ट्रीय पेंशन योजना आपके लिए है। राष्ट्रीय पेंशन योजना निजी और सार्वजनिक दोनों क्षेत्रों में काम कर रहे व्यक्तियों को नियमित पेंशन राशि सुनिश्चित करने के लिए सबसे लोकप्रिय योजनाओं में से एक है। व्यक्तियों को या तो अपने कॉर्पोरेट भत्ते के हिस्से के रूप में एनपीएस की पेशकश की जाती है या वे स्वयं भी इस योजना में निवेश कर सकते हैं। एनपीएस में निवेश की गयी राशि आयकर अधिनियम की धारा 80 सी के तहत कर छूट के लिए पात्र है। इस योजना में खाता धारक के 60 वर्ष की आयु तक पहुंचने के बाद जमा राशि की वापसी की अनुमति है। परिपक्वता पर वापस निकाला गया कॉर्पस बिल्कुल कर मुक्त है।

म्यूचुअल फंड्स Mutual Funds

म्यूचुअल फंड वित्तीय उपकरण हैं जो व्यावसायिक रूप से प्रबंधित होते हैं और विभिन्न प्रतिभूतियों में किसी भी निवेशक की ओर से पैसा निवेश करते हैं। इन म्यूचुअल फंडों को विभिन्न प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है, जिन पर वे निवेश करते हैं। कुछ सबसे लोकप्रिय म्यूचुअल फंड संतुलित फंड, स्टॉक फंड, ओपन-एंड फंड आदि हैं। इन फंडों को उनके प्रतिशत आवंटन के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। इक्विटी फंड पूरी तरह से इक्विटी में निवेश करता है और अधिक जोखिम और अधिक रिटर्न देने वाला निवेश है जबकि डेट फंड पूरी तरह से ऋण और मनी मार्केट उपकरणों में निवेश करता है और इसलिए कम जोखिम वाला निवेश है। आप अपने जोखिम के अनुसार विभिन्न तरह के म्यूचुअल फंड्स में से सुनिश्चहित कर सकते हैं कि अपनी ज़रूरतों के अनुसार निवेश कहां करें।

सावधि जमा Fixed Deposit

सावधि जमा यानी फिक्स्ड डिपॉजिट पैसे बचाने के सबसे पुराने और सुरक्षित तरीकों में से एक हैं। ये आवश्यक रूप से सक्रिय निवेश उपकरण नहीं हैं, बल्कि रिटर्न बचाने और कमाई करने के लिए एक निष्क्रिय तरीका हैं। फिक्स्ड डिपॉजिट बैंक, पोस्ट ऑफिस, NBFC या अन्य कम्पनियों में किया जा सकता है। फिक्स्ड डिपॉजिट में निश्चित दिनों या महीनों या वर्षों के लिए एक निश्चित राशि को जमा किया जाता है। बदले में इस पैसे पर ब्याज अर्जित किया जाता है। ब्याज दर जमा अवधि के साथ और अलग अलग बैंकों में अलग अलग हो सकता ही।

रियल एस्टेट Real Estate

प्रॉपर्टी की क़ीमतें हर गुजरने वाले दिन के साथ बढ़ रही है जिसने रियल एस्टेट को निवेशकों के लिए निवेश का बेहतरीन मौका मिलता है। संपत्ति खरीदने और बेचने पर निवेशकों को पर्याप्त रिटर्न मिल सकता है। संपत्ति की की बढ़ती कीमतें इस अचल संपत्ति को एक अच्छा निवेश का विकल्प बनातीं है। शहरीकरण के तेजी से बढ़ने के साथ साथ रियल एस्टेट की कीमतें आसमान से ऊपर चढ़ रही हैं। इसने रियल एस्टेट निवेशकों के लिए अच्छे अवसर मिल रहे है। ज्यादातर निवेशक बैंकों से रियल एस्टेट खरीदने के लिए ऋण लेते हैं और फिर संपत्ति के मूल्य में बढ़ोतरी के कारण मुनाफा कमा कर बेच देते हैं।

Where to invest for Better Returns

यहाँ हमने आपके सामने कई विकल्प प्रस्तुत किए Where to invest in Hindi जिससे स्पष्ट हो सके कि निवेश कहां करें, निवेश के कौन कौन से विकल्प उपलब्ध हैं और अपनी निवेश करने की क्षमता और रिस्क लेने की क्षमता के अनुसार पैसा कहाँ इन्वेस्ट करें जिससे आप अच्छा रिटर्न प्राप्त कर सकें।

Post Office Saving Scheme : डाकघर की RD योजना में हर माह 100 रु. से करें निवेश, मिलेंगे कई लाभ

Post Office Saving Scheme : डाकघर की RD योजना में हर माह 100 रु. से करें निवेश, मिलेंगे कई लाभ

Post Office Saving Scheme: डाकघर की योजनाएं हमेशा सबसे अच्छे और सुरक्षित निवेश तरीकों में से एक रही हैं। इन्हीं में से एक है रेकरिंग डिपॉजिट स्कीम। RD योजना में आप मात्र 100 रुपये प्रति माह से निवेश शुरू कर सकते हैं और इससे अधिक 10 के गुणकों में निवेश निवेश करने दो प्रमुख तरीके कर सकते हैं। भारतीय डाक की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, लोगों को 5.8 प्रतिशत वार्षिक ब्याज दर का लाभ दिया जा रहा है और यह तीन महीने के आधार पर कंपाउंड किया जाता है।

डाकघर आवर्ती जमा योजना

यह एक सरकारी गारंटी योजना है जिसमें कोई अच्छी ब्याज दर के साथ छोटी राशि जमा कर सकता है। आवर्ती जमा योजना के तहत हर महीने 100 रुपये से निवेश शुरू किया जा सकता है, जबकि अधिकतम निवेश की कोई सीमा नहीं है।

जमा राशि की समय सीमा

यदि कोई व्यक्ति महीने की पहली से 15 तारीख के बीच खाता खोलता है तो उसे महीने की 15 तारीख से पहले अपने खाते में पैसा जमा कर देना चाहिए जबकि अगर व्यक्ति महीने की 15 तारीख के बाद खाता खोलता है तो उसे पैसे जमा करना चाहिए महीने का आखिरी दिन।

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यदि किसी भी तरह से आप पैसे जमा करने की अपनी नियत तारीख से चूक जाते हैं तो प्रत्येक 100 रुपये के लिए हर महीने 1 रुपये का डिफ़ॉल्ट शुल्क लागू किया जाएगा। वहीं अगर आप लगातार चार किश्त जमा करने में विफल रहते हैं तो आपका खाता बंद हो जाएगा लेकिन अगले दो महीनों के भीतर खाता फिर से सक्रिय किया जा सकता है। डाकघर आरडी पांच साल के कार्यकाल के साथ आता है।

आवर्ती जमा खाता कौन खोल सकता है

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पीओ आवर्ती जमा खाता या तो एक वयस्क व्यक्ति द्वारा खोला जा सकता है या तीन लोग संयुक्त रूप से खाता खोल सकते हैं। खाता खोलने के लिए नाबालिगों को अभिभावक के नाम की आवश्यकता होगी जबकि 10 वर्ष से अधिक उम्र का नाबालिग भी यह खाता खोल सकता है। व्यक्तियों को विभिन्न आवर्ती जमा खाते खोलने की सुविधा भी मिली है।

ऋण का लाभ उठाएं

आप डाकघर आरडी योजना के माध्यम से भी ऋण सुविधा का लाभ तभी उठा सकते हैं जब आपने इस योजना के तहत अपनी 12 किश्तें जमा कर दी हों। इसके तहत आप अपने खाते में जमा राशि के 50 फीसदी तक का कर्ज ले सकते हैं।

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FD सावधि जमा बनाम RD आवर्ती जमा: जानिए कौन सा है बेहतर निवेश विकल्प

FD सावधि जमा और RD आवर्ती जमा भारत में सबसे लोकप्रिय जोखिम मुक्त निवेश हैं। FD और RD के प्रमुख लाभों में से एक यह है कि एक निश्चित अवधि में निश्चित रिटर्न मिलता है। लेकिन कई बार निवेशक इस बात को लेकर असमंजस में पड़ जाते हैं कि अपने लक्ष्यों को हासिल करने के लिए फिक्स्ड डिपॉजिट स्कीमों में निवेश करें या रेकरिंग डिपॉजिट में। कई व्यक्ति इन निवेश योजनाओं की ओर आकर्षित होते हैं क्योंकि वे सुरक्षा और निवेश किए गए धन के साथ निश्चित रिटर्न प्रदान करते हैं। हालांकि, जब इन योजनाओं की तुलना की जाती है, तो FD आपको RD से अधिक कमाती है।

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FD और RD में अंतर

FD, RD एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। जबकि इन जमा योजनाओं में ब्याज दर और लाभ दोनों समान हैं। लेकिन, निवेश के तरीके, न्यूनतम निवेश राशि, कार्यकाल आदि में कुछ अंतर जरूर है।

FD में आप कम से कम सात दिनों से लेकर 10 साल तक की अवधि के लिए निवेश कर सकते हैं। लेकिन, आरडी में आपको कम से कम 6 महीने से लेकर 10 साल तक के लिए निवेश करना होगा।

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FD में जहां निवेश कम से कम पांच हजार से 10 हजार तक होना चाहिए, वहीं RD में न्यूनतम निवेश 100 रुपये से लेकर 500 रुपये तक है।

FD, RD पर टैक्स

FD और RD दोनों के लिए टैक्स नियम समान हैं। मौजूदा नियमों के मुताबिक अगर आप एक वित्त वर्ष में 10,000 रुपये से ज्यादा ब्याज कमाते हैं तो आपको इनकम टैक्स देना होगा। ब्याज आपकी आय में जोड़ा जाता है और आपके आयकर स्लैब के अनुसार कर लगाया जाता है। एक वित्तीय वर्ष में ब्याज 40,000 रुपये से अधिक होने पर बैंक टीडीएस भी काटते हैं। वरिष्ठ नागरिकों के लिए टीडीएस की सीमा 50,000 रुपये है।

FD और RD के बीच समानताएं

FD और RD दोनों फिक्स्ड-इनकम इन्वेस्टमेंट हैं जो मैच्योरिटी पर गारंटीड रिटर्न देते हैं। FD और RD पर दी जाने वाली ब्याज दरें भी लगभग समान हैं। इन्हें इंटरनेट या मोबाइल बैंकिंग के जरिए बैंक की शाखा में खोला जा सकता है। आप ज्वाइंट FD या RD भी खोल सकते हैं। इसे जीवनसाथी, बच्चों, माता-पिता या परिवार के अन्य करीबी सदस्यों के नाम से खोला जा सकता है।

FD और RD में से कौन सा विकल्प सबसे अच्छा

सावधि जमा: एकमुश्त निवेश करने के इच्छुक लोगों के लिए, FD एक अच्छा विकल्प है। यह उन लोगों के लिए भी एक बेहतर विकल्प है जो नियमित रूप से नकदी की तलाश में हैं।

आवर्ती जमा: जिन निवेशकों के पास एकमुश्त राशि नहीं है, उनके लिए आरडी निवेश का एक बेहतर विकल्प हो सकता है।

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