डील ट्रैकिंग

अमेज़न डील: फिटबिट ट्रैकर और स्मार्टवॉच बिक्री पर हैं
Amazon पर बिक्री के लिए फिटबिट सक्षम ट्रैकर और घड़ियां
वर्षों से, ट्रैकर्स और सक्षम घड़ियाँ अपरिहार्य हो गई हैं।
यह सक्षम फोन का पूरक है जो आपको एक अनुकूल अनुभव प्रदान करता है। और यह उल्लेख नहीं करने के लिए कि यह आपकी शारीरिक गतिविधि को ट्रैक करने में सहायता करता है।
आपके कदमों से, नींद का पैटर्न, कैलोरी बर्न और भी बहुत कुछ। विशेष है 2 और 1 डिवाइस।
यदि आप कुछ समय से उस सक्षम फिटबिट घड़ी पर नजर गड़ाए हुए हैं, तो आपको ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ेगा।
अभी एक पाने का आदर्श समय है।
सबसे अच्छा हिस्सा: अमेज़ॅन फिटबिट प्रचार शुरू कर रहा है जिसका आप निश्चित रूप से विरोध नहीं करना चाहेंगे। इसके अलावा, इन प्रचारों में आपको सोफे से उतरने और व्यायाम शुरू करने की संभावना है।
एंटोन्स, क्यू एस्पेरस?
फिटबिट वर्सा 2
फिटबिट वर्सा 2 अपने अधिक सामान्य प्रतिद्वंद्वी से मिलता-जुलता है: ऐप्पल वॉच। हालांकि, बहुत सस्ता मूल्य वह है जो इसे काफी हद तक अलग करता है।
$200 की शुरुआती कीमत के साथ, आप तेजी से नया क्या है, मौसम, टाइमर और अलार्म का निर्माण करने में सक्षम हो सकते हैं, और अपने सक्षम पारिवारिक गैजेट की निगरानी कर सकते हैं।
और यह सब एलेक्सा के माध्यम से अपनी आवाज की आवाज के माध्यम से सुनें।
यह आपके हृदय की निरंतरता, सोने के समय के साथ-साथ बेचैनी, नींद के स्कोर को ट्रैक करता है और एक नींद पैटर्न बनाता है जो आपको हर रात अपनी नींद की गुणवत्ता को बेहतर ढंग से समझने में मदद करता है।
क्या आपको इस क्वारंटाइन समय में कठोर व्यायाम की आवश्यकता है?
खैर, फिटबिट वर्सा 2 स्पेशल ट्रेनिंग पार्टनर है।
यह आपकी हृदय गति 24/7, कदम, दूरी, कैलोरी बर्न, प्रति घंटा गतिविधि और बहुत कुछ ट्रैक करता है। और जब आप अपना HIIT वर्कआउट करते हैं, तो आप Spotify की निगरानी कर सकते हैं और टोन अप करते हुए अपने पसंदीदा गानों का आनंद ले सकते हैं।
उपरोक्त सभी अमेज़न डील ट्रैकिंग पर $50 की रियायती कीमत पर।
फिटबिट मानव तत्वों को प्रेरित करती है
$50 मार्कडाउन के साथ, अभी आप Amazon पर केवल $69.95 में Fitbit Inspire HR प्राप्त कर सकते हैं।
चार्ज 4 की तुलना में फिटबिट का इंस्पायर एचआर काफी मजबूत और हल्का है (जो अभी भी अपने मूल खुदरा मूल्य पर दुख की बात है)।
आपको अभी भी हृदय निरंतरता ट्रैकिंग और अद्भुत नींद ट्रैकिंग तकनीक मिलेगी। हालांकि, कोई व्यायाम ट्रैकिंग कंक्रीट नहीं है, न ही आपके रक्त में ऑक्सीजन है।
यदि आप अधिक बुनियादी स्वास्थ्य ट्रैकर की तलाश में हैं, तो यह बात है।
फिटबिट इंस्पायर
क्या आप कम से कम व्यवहार्य खर्च खोजने की कोशिश कर रहे हैं?
अमेज़ॅन प्रचार में बहुत अधिक बुनियादी फिटबिट इंस्पायर भी शामिल है। $ 49.95 एक ऐसा सौदा है जिसे आप $ 69.99 के तहत याद नहीं करना चाहेंगे।
फिटबिट इंस्पायर और इंस्पायर एचआर के बीच का डील ट्रैकिंग अंतर यह है कि पहले वाले में हार्ट रेट मॉनिटरिंग फंक्शन नहीं होता है। यह कैलोरी और नींद जैसे अधिकांश फिटबिट मेट्रिक्स की सटीकता को प्रभावित कर सकता है।
हालांकि, आपको अभी भी कदमों, दूरी, प्रति घंटे की गतिविधि और बर्न हुई कैलोरी का ट्रैकर आपकी कलाई पर मिलेगा।
फिटबिट चार्ज 3
यदि आप अधिक लंबे वर्कआउट में हैं, तो शायद एक फिटबिट चार्ज 3 घड़ी जो वर्तमान में $ 99.95 से $ 149.99 है।
यह शारीरिक गतिविधि कम से कम 15 व्यायाम विधियाँ प्रदान करती है जिनमें दौड़ना, तैरना, साइकिल चलाना, योग, सर्किट प्रशिक्षण और बहुत कुछ शामिल हैं।
यह पूरे दिन आपकी हृदय गति और कदमों को ट्रैक करता है और कैलोरी बर्न को बेहतर तरीके से मापता है, अविश्वसनीय बैटरी जीवन के साथ हृदय गति को आराम देता है जो 7 दिनों तक प्राप्त होता है।
हालांकि, इसमें कोई बिल्ट-इन GPS नहीं है। कई लोगों के लिए, GPS केवल एक ऐड-ऑन सुविधा है और वे इसके बिना रह सकते हैं।
तो यह अब अच्छा व्यवसाय है।
बैंक को तोड़े बिना फिट हो जाओ
अक्सर, कुछ व्यायाम करने के लिए बहुत अधिक उपकरण और स्थान की आवश्यकता होती है। और पहला हमारे लिए काफी मूल्यवान हो सकता है, और काफी हद तक हमारा मतलब बहुत सारा पैसा है।
हालाँकि, ऐसे तरीके हैं जिनसे आप बैंक को तोड़े बिना सक्रिय रह सकते हैं यदि आपके पास केवल आइटम हैं।
लेकिन इस तरह के प्रचार कुछ आकलन के लायक हैं, क्या आपको नहीं लगता?
संबंधित: सर्वश्रेष्ठ एंड्रॉइड संगत फिटबिट वॉच बैंड: उन्हें स्टाइल में पहनें!
Phone Number Tracking: इस तरह पता लगाएं किसी की भी लाइव लोकेशन, बस करना होगा ये काम
Phone Number Tracking: आज के युग में मोबाइल फोन की अहमियत सबको पता है. कौन कब कहाँ किस हाल में है ये बात जानने के लिए बस एक कॉल काफी है. ऐसे में अगर कभी नेटवर्क की कमी के कारण फोन न लगे तो लेने के देने पड़ जाते हैं.
Phone Number Tracking: आज के युग में मोबाइल फोन की अहमियत सबको पता है. कौन कब कहाँ किस हाल में है ये बात जानने के लिए बस एक कॉल काफी है. ऐसे में अगर कभी नेटवर्क की कमी के कारण फोन न लगे तो लेने के देने पड़ जाते हैं. और इसी समय काम आता है लोकेशन ट्रैकिंग एप. गूगल प्लेस्टोर और एपस्टोर पर मौजूद ढेरों ऐसे एप हैं जिसकी मदद से किसी की करंट या लाइव लोकेशन ट्रैक की जाती सकती है. इसके लिए कई अलग-अलग तरीके मौजूद है जिनसे जुड़ी जानकारी नीचे दी गयी है.
कैसे जान सकते हैं गूगल मैप की मदद से लोकेशन
वैसे तो इन्टरनेट की दुनिया में कई सारे लोकेशन ट्रैकिंग एप मौजूद है पर सबसे आसान और मुफ्त तरीका गूगल मैप है. बेहद ही आसान स्टेप्स की मदद से एंड्राइड यूजर्स अपने किसी भी परिचित की लोकेशन की जानकारी हासिल कर सकते हैं.
गूगल के इस अनोखे फीचर का इस्तेमाल करने के लिए नीचे दिए गए स्टेप्स की मदद लें
एंड्राइड फोन में मौजूद GOOGLE MAPS एप को खोलें.
अपनी प्रोफाइल पिक्चर पर क्लिक करें.
‘Location Sharing’ के आप्शन को इनेबल करें.
अब उस इंसान की प्रोफाइल को क्लिक करें जिसकी लोकेशन आप ट्रैक करना चाहते हैं.
जानकारी के लिए बता दें कि गूगल मैप की मदद से लोकेशन ट्रैक करने के लिए कंसेंट जरुरी है. इसका मतलब है कि जब तक आपके परिचित आपके साथ अपनी लोकेशन शेयर नहीं करते हैं तब तक आप उन्हें ट्रैक नहीं कर सकते हैं.
इसके अलावा आप अपनी लोकेशन से जुड़ी जानकारी डील ट्रैकिंग को व्हाट्सएप की मदद से भी साझा कर सकते हैं. बस इन स्टेप्स को फॉलो करें
मेसेज बॉक्स में बने ‘Clip’ बटन को दबाएं.
अब लोकेशन पर क्लिक करें.
मैप पर अपनी मौजूद लोकेशन को कंपास की मदद से एक्यूरेट करे.
सहूलियत के हिसाब से ‘Current Location’ या ‘Live Location’ के बीच चुनाव कर सेंड कर दें.
‘Spyware’ का इस्तेमाल करती है आर्मी और सरकार
‘Spyware’ जैसे कि नाम से समझ आता है, एक ऐसा सॉफ्टवेर है जो दूसरों की जासूसी करने के काम में आता है. ये सॉफ्टवेर किसी भी कंप्यूटर या मोबाइल में बिना इजाजत के प्रवेश करता है और उस सिस्टम की सारी जानकारियां दूसरों तक पहुंचाने का काम करता है.
इन एप का इस्तेमाल आम लोगों के बस की बात नहीं है. अक्सर कई देशों की मिलिट्री और सरकारें दुसरे देशों की खुफिया जानकारी को हासिल करने के लिए करती हैं. जानकारी के लिए बता दें कि अभी तक ‘spyware’ के इस्तेमाल को ज्यादातर देशों ने गलत बताया है और इसे बन भी कर दिया है.
बीते कुछ समय पहले ‘पेगासस’ एप लोगों के बीच चर्चा का कारण बना हुआ था. दरअसल, यह भी एक स्पाइवेयर है, जिसकी मदद से किसी की जासूसी उसकी जानकारी के बिना की जा सकती है. ये सॉफ्टवेयर ना सिर्फ किसी के फोन या कंप्यूटर से डेटा चोरी करते हैं, बल्कि गुमराह करने के लिए गलत जानकारी भी देते हैं. ये जासूसी एप ज्यादातर किसी दुसरे एप को डाउनलोड करते वक्त खुद ही इंस्टाल हो जाते हैं.
पुलिस कैसे करती है लोकेशन ट्रैक
बॉलीवुड की फिल्मों या टीवी पर आने वाले अनेकों क्राइम सीरियल से आप इतना तो समझ ही गए होंगे कि कानून के हाथ सच में लंबे होते हैं. और इन हाथों को मजबूती देती है नयी तकनीक. अक्सर आपने सुना होगा कि मुजरिम की लोकेशन ट्रैक कर ली गयी है. और इसके लिए वो किसी एप के बजाय मोबाइल नंबर या फिर IMEI ( International Mobile Equipment ID) नंबर का यूज़ करते हैं. टेलिकॉम कंपनी की मदद से पुलिस इस बात का पता लगाती है कि नंबर आखिरी बार किस सेल टावर के पास एक्टिव था और उसकी दुरी कितनी थी. इससे पुलिस टीम अपराधियों की लोकेशन की लगभग जानकारी मिल जाती है.
भारत को घेरने के लिये चीन ने पाकिस्तान को बेचा शक्तिशाली मिसाइल ट्रैकिंग सिस्टम
इस डील की जानकारी चाइनीज़ अकाडेमी ऑफ साइंसेज़ (सीएएस)ने दी है। सीएएस के रिसर्चर झेंग मेंगवी ने साउटा चाइना मॉर्निंग पोस्ट को बताया कि पाकिस्तान ने बहुत ही उन्नत ऑप्टिकल ट्रैकिंग एण्ड मेज़रमेंट सिस्टम की खरीद की है।
आर्थिक हितों और सहयोग के साथ ही अब जाहिर है कि पाकिस्तान के साथ चीन अब सामरिक गठजोड़ को भी बढ़ावा दे रहा है।
झेंग ने कहा, 'पाकिस्तानी सेना ने नए मिसाइलों के विकास और परीक्षण के लिये हाल ही में चीन निर्मित प्रणाली को फायरिंग रेंज में तैनात किया है।'
सीएएस का कहना है कि चीन पहला ऐसा देश हैं जिसने पाकिस्तान को इस तरह का संवेदनशील प्रणाली निर्यात किया है। पोस्ट का कहना है कि भारत ने हाल ही में परमाणु क्षमता संपन्न आईसीबीएम अग्नि-5 का परीक्षण किया है जो चीन के शांघाई और बीजिग तक मार कर सकता है इसलिये पाकिस्तान को ये प्रणाली बेची गई है।
टुकड़ों में काम कराने वाले इंजीनियरों की जांच शुरू, ऑनलाइन ट्रैकिंग सिस्टम भी लागू होगा
भोपाल। नवदुनिया न्यूज भोपाल नगर निगम में बजट की बंदरबांट को रोकने के लिए इंजीनियरों की जांच शुरू हो गई है। इसमें ऐसे कामों की जांच हो रही है, जिसमें ई टेंडर से बचने के लिए एक ही काम को दो या दो से ज्यादा टुकड़ों में बांटकर साधारण टेंडर जारी किए गए है।
भोपाल। नवदुनिया न्यूज
भोपाल नगर निगम में बजट की बंदरबांट को रोकने के लिए इंजीनियरों की जांच शुरू हो गई है। इसमें ऐसे कामों की जांच हो रही है, जिसमें ई टेंडर से बचने के लिए एक ही काम को दो या दो से ज्यादा टुकड़ों में बांटकर साधारण टेंडर जारी किए गए है। यही नहीं कोटेशन वाले कामों की फाइलें भी निगम कमिश्नर छवि भारद्वाज ने तलब की है। वहीं, निर्माण कार्यों में होने वाली गड़बड़ियों के लिए ऑनलाइन ट्रैकिंग सिस्टम लागू किया जाएगा। इसके लिए निगम टेंडर जारी कर रहा है।
नगर निगम में अब तक दो लाख से अधिक के काम के लिए ई टेंडर की प्रक्रिया अपनाई जाती थी। इससे बचने के लिए कई पार्षदों ने ठेकेदारों और निगम के इंजीनियरों से मिलीभगत कर काम को टुकड़ों में तोड़कर दो लाख से कम की फाइलें बना लीं। इसके जरिए पार्षदों ने अपने चहेतों को काम देकर राशि में बंदरबांट की है। निगम को मिली शिकायतों के बाद महापौर ने खुद ऐसी सभी फाइलों की पड़ताल शुरू कर दी है। सूत्रों के मुताबिक सबसे ज्यादा पार्षद मीना यादव के वार्ड में पार्षद निधि की ऐसी फाइलें बनी है। महापौर का दावा है कि इस जांच का नतीजा एक सप्ताह के भीतर सामने आ जाएगा।
महापौर और कमिश्नर मौके पर करेंगे जांच, बनेगी चलित लैब
दो लाख से कम खर्च के हुए सभी कामों की जांच अब महापौर और निगमायुक्त मौके पर जाकर करेंगे। इसके लिए एक चलित लैब भी बनाई जाएगी जो मौके पर जाकर निर्माण की गुणवत्ता का परीक्षण कर अपनी रिपोर्ट देगी।
निर्माण कार्यों के दस्तावेजों में हेराफेरी रोकने निगम में लागू होगा ऑनलाइन बनेंगी फाइल
सड़क, नाली, पाइपलाइन बिछाने से जैसे निर्माण कार्यों में होने वाली गड़बडयों को कम करने के लिए नगर निगम अब ऑनलाइन फाइल ट्रैकिंग सिस्टम लागू करेगा। इससे ठेकेदारों के बिल पेमेंट में होने वाली कमीशन की शिकायतों पर भी लगाम लग सकेगी। महापौर आलोक शर्मा के निर्देश के बाद नगर निगम ने फाइल ट्रेकिंग सिस्टम लगाने का काम शुरू कर दिया है। निगम प्रशासन जल्द ही फाइल ट्रेकिंग सिस्टम शुरू करने के लिए टेंडर जारी करेगा।
नगर निगम में भुगतान के लिए आने वाली फाइलों के गुम होने या खोने की शिकायतें बेहद आम हैं। बीते साल प्रेमपुरा घाट का काम करने वाले ठेकेदार की फाइल निगम अफसरों ने डील ट्रैकिंग गुमा दी। इसके बाद से ठेकेदार अपना पेमेंट कराने के लिए निगम के चक्कर लगा रहा है। इसी तरह निगम की अकाउंट शाखा में किसी का पेमेंट एक साल से अटका हुआ है तो काम पूरा होने से पहले ही पेमेंट कर दिया गया। एक ही जगह की दो बार फाइलें बनाकर भी पेमेंट कर दिया जाता है।
बाबूओं, इंजिनियरों और अफसरों पर कसेगी लगाम
इस ट्रेकिंग सिस्टम का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि अब बाबू, इंजिनियर या अफसर बगैर किसी बाजिब कारण के किसी भी फाइल को दबाकर नहीं रख सकेंगे। फ़ाइल ट्रेकिंग सिस्टम के साफ्टवेयर में पहले ही दर्ज हो जाता है कि किस स्तर की फाइल को कितने दिनों के भीतर निपटाना है। समय-सीमा खत्म होने से पहले फाइल डील करने वाले क्लर्क, इंजीनियर और अफसर को एसएमएस के जरिए अलर्ट मिलेगा। इसके बाद भी अगर किसी स्तर पर देरी होगी तो इसकी जानकारी सीधे आला अफसरों के मोबाइल पर एसएमएस के जरिए दे दी जाएगी। यदि किसी स्तर पर समयसीमा से अधिक के लिए फाइल रोकी जाएगी तो संबंधित अधिकारी से जवाब तलब कर कार्यवाही की जाएगी।
ये है फाइल ट्रेकिंग सिस्टम के फायदे
- कोई भी फाइल अब नहीं गुमेगी
- एक क्लिक पर मिलेगी फाइल की जानकारी
- सार्वजनिक रहेगी फाइल से जुड़ी जानकारी
- फाइल पर कार्यवाही का विवरण लगातार होगा अपडेट
- भ्रष्टाचार की शिकायतों पर लगेगी लगाम
- फाइल रोकने वालों पर गिरेगी गाज
- फास्ट हो जाएगी फाइलों की स्पीड
टुकड़ों में बांटकर सरकारी राशि के दुरूपयोग का ये गंभीर मामला है। मैं खुद फाइलों की जांच कर रहा हूं। जल्द ही दोषियों के खिलाफ कार्यवाही होगी। अब निगम एक लाख से ज्यादा के काम तो ई टेंडर के जरिए ही कराएगा। पारदर्शी और स्वच्छ प्रशासन के लिए निगम में फाइल ट्रेकिंग सिस्टम शुरू करेंगे।
भारत के स्टार्ट-अपस के लिए पहले से बढ़ा प्रोत्साहन
भारत को 2017 में पीई निवेश में रिकॉर्ड 24.4 अरब अमेरिकी डॉलर प्राप्त हुए, जो 2015 के पिछले अधिकतम स्तर 19.3 अरब अमेरिकी डॉलर की तुलना में 26% अधिक है, और 2016 में प्राप्त 15.4 अरब अमेरिकी डॉलर के मुक़ाबले 59% अधिक है
2015 से भारतीय और दक्षिणपूर्व एशियाई बाजारों में कुल पीई तथा वीसी तकनीक (VC tech) निवेश का 56 प्रतिशत हिस्सा (मूल्य के आधार पर) तेजी से विकसित होते प्रौद्योगिकी और नवाचार (इनोवेशन) क्षेत्र को मिला है
भारतीय रिजर्व बैंक ने भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) के नेतृत्व में फंड ऑफ फंड्स स्थापित करने के लिए डील ट्रैकिंग 1.5 अरब अमेरिकी डॉलर आवंटित किए हैं
भारत में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र है, जिसके प्रति वर्ष 10-12 फीसदी बढ़ने की उम्मीद है, और जहाँ हर साल 1000 से अधिक नए स्टार्टअप जन्म लेते हैं
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हाल ही में वॉलमार्ट-फ्लिपकार्ट के बीच हुए 16 अरब अमेरिकी डॉलर के समझौते ने भारतीय स्टार्ट-अप निवेश जगत में नई जान फूंक दी है। इसने विदेशी के साथ-साथ उभरते घरेलू निवेशकों – वेंचर कैपिटल (वीसी) और प्राइवेट इक्विटी (पीई) – को वित्त पोषण के नए दौर को प्रेरित किया है। 2017 में भारत में पीई / वीसी में डील ट्रैकिंग हुआ कुल निवेश अभी तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया, और यह गति 2018 में भी जारी रहने की उम्मीद है। इस क्षेत्र के विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में पनपे उद्यमियों और स्टार्टअप्स ने वैश्विक दिग्गजों के खिलाफ अच्छी प्रतिस्पर्धा पेश की है और अपने निवेशकों को फायदा पहुंचा रहे हैं। यही कारण है कि देश में अधिक से अधिक पूंजी निवेश हो रहा है।
यूएसए की ग्लोबल रिस्क मैनेजमेंट फर्म क्रॉल एवं डील ट्रैकिंग फर्म मर्जरमार्केट (एक्यूरिस) की रिपोर्ट के मुताबिक, 2015 के बाद से भारतीय और दक्षिणपूर्व एशियाई बाजारों में कुल पीई तथा वीसी तकनीक (VC Tech) निवेश का 56 प्रतिशत हिस्सा (मूल्य के आधार पर) तेजी से विकसित होते प्रौद्योगिकी और नवाचार (इनोवेशन) क्षेत्र को मिला है। यूएसए स्थित वेंचर कैपिटल एंड स्टार्टअप डेटाबेस सीबी इनसाइट्स की एक रिपोर्ट के अनुसार 2014 के बाद से भारत के मुख्य आर्थिक केंद्रों में, नई दिल्ली और बेंगलुरु में सबसे ज्यादा स्टार्टअप निवेश हुए, जो 10 करोड़ अमरीकी डॉलर से भी अधिक हैं। बेंगलुरू में 21 निवेश हुए, जबकि नई दिल्ली में इनकी संख्या 18 रही।
निवेश के ये “मेगा” दौर भारतीय स्टार्टअप क्षेत्र में विशाल अवसर को प्रतिबिंबित करते हैं। भारत में कुछ बड़े विदेशी निवेशों में ऑनलाइन मार्केट प्लेस फ्लिपकार्ट और पेटीएम, सवारी-टैक्सी सेवा ओला के साथ-साथ ऑनलाइन ग्रॉसर बिगबास्केट और स्विगीज शामिल हैं। भारतीय कंपनियों में निवेश का यह तेजी का दौर मुख्यतः जापानी इंटरनेट कंपनी सॉफ्टबैंक समूह के कारण आया, जिसने फ्लिपकार्ट और ओला समेत भारतीय पारिस्थितिकी तंत्र में 7 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक का निवेश किया है। अब, दुनिया के कुछ सबसे बड़े फंड्स ने भारत में निवेश के लिए अरबों डॉलर जुटा लिए हैं या जुटा रहे हैं, जिनके निवेश समझौते स्टार्ट-अप्स के शुरुआती चरण से लेकर विकसित चरण तक विस्तृत हैं।
सरकार अपनी भूमिका निभा रही है
इस बीच, भारत सरकार स्टार्टअप इंडिया पहल के माध्यम से एक उद्यमशील पारिस्थितिक तंत्र के निर्माण की दिशा में अपना काम कर रही है। 2015 में प्रारंभ किया गया स्टार्ट-अप्स पर केंद्रित यह कार्यक्रम रोजगार बढ़ाने और अर्थव्यवस्था के विकास की रणनीति की आधारशिला के रूप में स्टार्ट-अप्स को प्रोत्साहित करता है। भारतीय रिजर्व बैंक ने भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) द्वारा संचालित ‘फंड ऑफ फंड्स’ की स्थापना के लिए 1.5 अरब अमरीकी डालर आवंटित किए हैं। सिड्बी इस फंड में 15 प्रतिशत योगदान के लिए प्रतिबद्ध है। भारत कुल 11,000 से अधिक मान्यता प्राप्त स्टार्ट-अप्स हैं, और स्टार्टअप इंडिया पहल के तहत अभी तक 129 को वित्त पोषित किया गया है।
वैश्विक अर्थव्यवस्था में वित्तीय अनिश्चितताओं ने हतोत्साहित करने के बजाय, वास्तव में निवेशकों को भारत के विशाल, सुरक्षित और तेजी से बढ़ते बाजार की ओर आकर्षित कर दिया है। 2018 की पहली छमाही में, वेंचर कैपिटल निवेश में पहली बार आने वाले लगभग आधा दर्जन निवेशकों ने भारत में अपनी शुरुआत की है। इन निवेशकों के भारत समर्पित फंड्स शुरुआती से लेकर मध्य-चरण के स्टार्ट-अप्स में निवेश करेंगे । इस दौर की एक उत्साहजनक विशेषता यह है कि इनमें से कई फंड्स में मुख्य निवेशक भारतीय कंपनियाँ हैं। इसके अतिरिक्त, कुछ वैश्विक फंड्स के भारत कार्यालयों में कार्यरत वरिष्ठ अधिकारी उनसे अलग हो कर, अपने स्वयं के फंड्स स्थापित कर रहे हैं।
कार्य संबंधी अनुभव और ज्ञान के अलावा, इन अधिकारियों का दावा है कि वैश्विक परिचालक की तुलना में भारत में वे स्वयं पूंजी को बेहतर विस्तारित कर सकते हैं। भारतीय निवेशकों के साथ-साथ यूएसए, जापान, चीन, रूस व अन्य देशों के फंड्स की भारत में सहभागिता को निवेशकों के बढ़ते विश्वास की पुष्टि के रूप में देखा जा रहा है, कि स्थानीय स्टार्ट-अप्स भी वैल्यू सृजन कर सकते हैं, भले ही उन्हें विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धा करनी पड़े। इस बीच, पीई निवेशक इंटरनेट और सॉफ्टवेयर क्षेत्र की परिपक्व स्टार्ट-अप्स के लिए भी पूंजी के महत्वपूर्ण स्रोत के रूप में उभर रहे हैं। उल्लेखनीय है की अब तक इस क्षेत्र में लगभग पूरी तरह से सॉफ्टबैंक, नास्पर्स लिमिटेड और चीनी इंटरनेट दिग्गजों टेन्सेंट
होल्डिंग्स और अलीबाबा समूह का प्रभुत्व था।
साथ ही कई हेज फंड्स, जिन्होंने 2014-2015 में आई तेज़ी के दौरान परिपक्व स्टार्ट-अप्स में निवेश किया था, वे अब या तो भारत में काम नहीं कर रहे हैं या निवेश में भारी कटौती कर चुके हैं। इस सन्दर्भ में, एक वैकल्पिक स्रोत के रूप में, पीई निवेशकों की परिपक्व स्टार्टअप्स में दिलचस्पी काफ़ी महत्वपूर्ण है। गौर तलब है कि पीई फर्म्स चयनशील निवेशक रहे हैं, जो अपेक्षाकृत सुरक्षित स्टार्ट-अप्स को ही चुनते हैं, जो न सिर्फ़ परिपक्व हैं बल्कि अपने संबंधित क्षेत्रों में नंबर 1 या 2 तक भी पहुंच चुके हैं, या पहुँचने की क्षमता रखते है।
सुधरते भारतीय बाजार
वेंचर इंटेलिजेंस द्वारा संकलित आंकड़ों के मुताबिक भारत को 2017 में पीई निवेश में रिकॉर्ड 24.4 अरब अमेरिकी डॉलर प्राप्त हुए, जो 2015 के पिछले अधिकतम स्तर 19.3 अरब अमेरिकी डॉलर की तुलना में 26% अधिक है, और 2016 में प्राप्त 15.4 अरब अमेरिकी डॉलर के मुक़ाबले 59% अधिक है । विशेशग्योन का मानना है कि कुछ आखिरी शेष बाधाओं के हटने पर वास्तव में भारत में निवेश का बांध खुल सकता है। इन शेष बाधाओं में से एक है, लिक्विडिटी और निकासी के आयाम। मैक्रो स्तर पर देखें तो, वैकल्पिक संपत्ति वर्ग में भारत में अब तक 100 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक का निवेश हुआ है, लेकिन अब तक 40 अरब अमेरिकी डॉलर से कम निवेशकों को वापस मिल पाया है।
विदेशी निवेशक / सीमित साझेदार (एलपी) आम तौर पर भारत में आंकलन योग्य निकासियाँ देखते हैं, जो संख्या में बहुत कम हैं। इसकी तुलना में, सीबी इनसाइट्स रिपोर्ट के अनुसार, बीजिंग और शंघाई ने 2012 से अब तक 50 से अधिक बड़ी निकासियाँ (10 करोड़ अमेरिकी डॉलर से अधिक) देखी हैं। भारत में हालिया फ्लिपकार्ट-वॉलमार्ट मेगा डील इस परिप्रेक्ष्य से एक बहुत ही सकारात्मक संकेत है, जहां रणनीतिक निवेशक ने फ्लिपकार्ट के मौजूदा निवेशकों को बहुत आकर्षक निकासी दी है। उद्योग विशेषज्ञों का अनुमान है कि आने वाले महीनों में ऐसी और भी डील्स भारतीय स्टार्टअप निवेश जगत में विस्तारित गतिविधि शुरू करने के लिए निवेशकों का विश्वास बढ़ाएंगी।
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अनुसार, भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र है, जिसके प्रति वर्ष 10-12 फीसदी बढ़ने की उम्मीद है, और जहाँ हर साल 1000 से अधिक नए स्टार्टअप जन्म लेते हैं। स्टार्टअप इंडिया पहल के अलावा, भारतीय सरकार की डिजिटाईजेशन (डिजिटल इंडिया), निवेश (मेक इन इंडिया), कौशल विकास (कौशल भारत), ई-गवर्नेंस जैसी अन्य योजनाएँ स्टार्ट-अपस के लिए विशाल अवसर प्रदान करती हैं। इनके तहत स्टार्ट-अपस रोजगार, इनोवेशन और औद्योगिकीकरण के स्रोत के रूप में भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।