विदेशी निवेश

'प्रत्यक्ष विदेशी निवेश'
सरकार अब एलआईसी में अपने 3.5 फीसदी शेयरों को 21,000 करोड़ रुपये में बेचेगी, हालांकि ये नियामकीय मंजूरी के तहत होगा. मसौदा में कहा गया था कि सरकार एलआईसी की पांच फीसदी इक्विटी बेचेगी.
उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (डीपीआईआईटी) ने एलआईसी के ‘बड़े’ विदेशी निवेश सार्वजनिक निर्गम से पहले कंपनी में विदेशी निवेश लाने के लिए 14 मार्च को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नियमों में संशोधन किया था. एफडीआई नीति में बदलाव के साथ डीपीआईआईटी के प्रावधानों को लागू करने के लिए फेमा अधिसूचना जरूरी थी.
सीबीडीटी ने कहा, ‘‘कंपनी विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) के रास्ते भारत में बहुत कम शुरुआती पूंजी लाई लेकिन भारतीय बैंकों से उसने बड़ी मात्रा में कार्यशील पूंजी कर्ज लिया.
पाकिस्तान (Pakistan) वर्ष 2023 से पांचवीं पीढ़ी की मोबाइल प्रौद्योगिकी यानी 5जी (5G)को लाने की तैयारी कर रहा है. मंगलवार को मीडिया की एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई. पिछले तीन साल के दौरान पाकिस्तान के दूरसंचार उद्योग को 1.2 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) मिला है.
केंद्रीय मंत्रिमडल ने बुधवार को बीमा कानून में संशोधन को मंजूरी दे दी. इससे क्षेत्र में 74 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) का रास्ता साफ हो गया है. फिलहाल, जीवन और साधारण बीमा क्षेत्र में मालिकाना हक और प्रबंधन नियंत्रण भारतीय के पास होने के साथ स्वीकार्य एफडीआई सीमा 49 प्रतिशत है. सूत्रों के अनुसार मंत्रिमंडल ने बैठक में बीमा कानून, 1938 में संशोधन को मंजूरी दे दी.
India | Reported by: अरविंद गुणशेखर, Sakshi Bajaj, Edited by: प्रमोद कुमार प्रवीण |गुरुवार जनवरी 28, 2021 03:38 PM IST
पिछले महीने दिल्ली हाईकोर्ट ने टिप्पणी की थी कि ई-कॉमर्स की दिग्गज कंपनी अमेजन ने तीन समझौतों के माध्यम से अप्रत्यक्ष रूप से बिग बाजार के स्वामित्व वाली फ्यूचर रिटेल पर सरकार की मंजूरी के बिना नियंत्रण हासिल कर लिया था, जो कि FEMA के तहत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) नियमों का उल्लंघन प्रतीत होता है.
सूत्रों ने यह जानकारी दी. गौरतलब है कि भारत में अप्रैल 2020 से पड़ोसी देशों की कंपनियों के लिए सरकार की मंजूरी के बाद ही किसी भी क्षेत्र में निवेश करने का नियम लागू किया गया था. इस फैसले के अनुसार भारत में किसी भी क्षेत्र में निवेश के लिए चीन के FDI प्रस्तावों को पहले सरकारी मंजूरी की आवश्यकता है. सूत्रों ने कहा कि इन प्रस्तावों की जांच के लिए सरकार ने एक अंतर-मंत्रालयीय समिति का गठन किया है और निवेश प्रस्तावों में अधिकांश भारत में पहले से मौजूद कंपनियों के हैं.
भारतीय हितों को प्राथमिकता मिलेगी. सस्ता इंटरनेट डेटा और इंटरनेट का बहुत ज्यादा इस्तेमाल हो रहा है. फेक न्यूज और सूचना युद्ध का वास्तविक खतरा है. खासतौर से पड़ोसी देशों से. अमेरिका विदेशी निवेश में चुनावों को प्रभावित करने का आरोप लग रहा है. इन नीतिगत फैसलों से इस तरह के खतरों को दूर करने में मदद मिलेगी.
सरकार ने रक्षा क्षेत्र में स्वत: मंजूरी मार्ग से 74 प्रतिशत तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की मंजूरी दे दी है. विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने के इरादे से यह कदम उठाया गया है
एफडीआई (FDI) क्या होता है
किसी भी देश की विकास की स्थिति उस देश की अर्थव्यवस्था पर निर्भर करती है | इसके लिए उस देश को अन्य देशों का विश्वास जीतना जरूरी होता है | ज्यादातर देशों कानून सरल और लचीला बनाया जाता है, जिससे विदेशी निवेशक उस देश में निवेश के लिए आकर्षित हो सके और अपना निवेश उस देश ज्यादा से ज्यादा करे | सभी देशों में निवेश करने के लिए कानून भी बनाया जाता है, जिससे देश की आर्थिक स्थिति मजबूत हो सके और निवेशक भी लाभ प्राप्त कर सके |
इसके लिए भारत में भी एक संस्था एफडीआई (FDI) की शुरुआत की गयी है, जिससे की देश में विदेशी निवेश में बढ़ावा मिले और देश को आर्थिक स्थिति को मजबूती मिल सके | एफडीआई (FDI) क्या होता है, एफडीआई का फुल फॉर्म क्या है, FDI के फायदे और नुकसान क्या है इसके बारे में जानना चाहते है तो विदेशी निवेश यहां पर इसकी जानकारी उपलब्ध कराई गई |
एफडीआई (FDI) का फुल फॉर्म
Table of Contents
एफडीआई (FDI) का फुल फॉर्म “Foreign Direct Investment” होता है, इसका उच्चारण ‘फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट’ होता है, तथा हिंदी में इसे “प्रत्यक्ष विदेशी निवेश” कहा जाता है | इस संस्था द्वारा भारत विदेशी निवेश विदेशी निवेश को सहमति प्रदान की जाती है | इस संस्था के द्वारा बनाये हुए नियमों को किसी भी विदेशी निवेशक के द्वारा पालन करने पर ही उसे देश में व्यापार करने या किसी संस्था को खोलने की अनुमति प्राप्त होती है |
एफडीआई (FDI) के प्रकार
एफडीआई (FDI) मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं-
- ग्रीन फील्ड निवेश
- पोर्टफोलियो निवेश
ग्रीन फील्ड निवेश
इसके नियम के तहत दूसरे देश में एक नई कम्पनी की स्थापना की जा सकती है |
पोर्टफोलियो निवेश
पोर्टफोलियो निवेश के अन्तर्गत किसी भी विदेशी कंपनी के शेयर खरीदे जाते हैं या फिर उसके स्वामित्व वाले विदेशी कंपनी का अधिग्रहण भी किया जा सकता है।
एफडीआई (FDI) के नियम
- चिंताजनक उद्द्यमों के प्रबंधन में शामिल होने के लिए आदेश में मौजूदा विदेशी उद्यमों के शेयरों का अधिग्रहण हो सकता है।
- मौजूदा उद्यम और कारखानों पर प्रत्यक्ष विदेशी निवेश किया जा सकता है।
- 100% स्वामित्व के साथ एक नई सहायक कंपनी विदेशों में स्थापित की जा सकती है।
- यह शेयर धारिता के माध्यम से एक संयुक्त उद्यम में शामिल हो सकते है।
- नई विदेशी शाखाओं, कार्यालयों और कारखानों को भी स्थापित किया जा सकता है।
- वर्तमान में उपलब्ध विदेशी शाखाओं और कारखानों को विस्तारित किया जा सकता है।
- अल्पसंख्यक शेयर अधिग्रहण,उद्देश्य उद्यम के प्रबंधन में शामिल किये जाने का प्रावधान है।
FDI के फायदे
- विदेशी निवेश वांछित निवेश और स्थानीय स्तर पर एकत्रित की गई बचत के बीच भरा जा सकता हैं।
- प्रोद्योगिकी के अपग्रेडेशन का लाभ: विकासशील देशों हेतु मशीनरी और उपकरण स्थानांतरित करने में विदेशी निवेश के कारण तकनीकी का आदान प्रदान होता है।
- निर्यात प्रतिस्पर्धा में विदेशी निवेश सुधार : एफडीआई (FDI) मेजबान देशों में निर्यात के प्रदर्शन में सुधार होगा |
- रोज़गार सृजन: विदेशी निवेश विकासशील देशों में आधुनिक क्षेत्रों में रोज़गार का सृजन करता हैं।
- उपभोक्ताओं को लाभ: FDI विकासशील देशों में उपभोक्ताओं को नए उत्पादों के द्वारा से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश फायदा होता है, और प्रतिस्पर्धी कीमतों पर माल की गुणवत्ता में भी अधिक सुधार देखने को मिलता है |
एफडीआई (FDI) के नुकसान
- विदेशी निवेश के कारण देश के निवेश के साथ प्रतियोगिता विदेशी निवेश बढ़ती हैं, जिससे घरेलू उद्योगों के लाभ में भारी गिरावट होती है, इसके अलावा प्रमुख घरेलू बचत में गिरावट आती है।
- कॉर्पोरेट करों के द्वारा सार्वजनिक राजस्व हेतु विदेशी कंपनियों का भी योगदान होता है और सरकार को विदेशी निवेशकों को, निवेश भत्ते, प्रच्छन्न सार्वजनिक सब्सिडी और टैरिफ सुरक्षा प्रदान करने की जिम्मेदारी भी लेनी पड़ती है, जिससे सरकार पर भार पड़ता है |
यहाँ पर आपको एफडीआई (FDI) के विषय में जानकारी प्रदान की गई | यदि इस जानकारी से संतुष्ट है, या फिर इससे समबन्धित अन्य जानकारी प्राप्त करना चाहते है तो कमेंट करे और अपना सुझाव प्रकट करे, आपकी प्रतिक्रिया का निवारण किया जायेगा | अधिक जानकारी के लिए hindiraj.com पोर्टल पर विजिट करते रहे|
विदेशी निवेश
वैश्विक विदेशी निवेश 2021 में पहुँचा महामारी के पूर्व स्तर पर, मगर अनिश्चितता बरक़रार
संयुक्त राष्ट्र की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (Foreign Direct Investment) का प्रवाह, वर्ष 2021 में वैश्विक महामारी से पूर्व के स्तर पर लौटा आया, और इसने एक हज़ार 580 अरब डॉलर के आँकड़े को छुआ है, जोकि 2020 की तुलना में 64 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है. मगर, विश्व निवेश रिपोर्ट में 2022 के लिये सम्भावनाओं को निराशाजनक बताया गया है.
वैश्विक विदेशी निवेश 2021 में पहुँचा महामारी के पूर्व स्तर पर, मगर अनिश्चितता बरक़रार
संयुक्त राष्ट्र की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (Foreign Direct Investment) का प्रवाह, वर्ष 2021 में वैश्विक महामारी से पूर्व के स्तर पर लौटा आया, और इसने एक हज़ार 580 अरब डॉलर के आँकड़े को छुआ है, जोकि 2020 की तुलना में 64 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है. मगर, विश्व निवेश रिपोर्ट में 2022 के लिये सम्भावनाओं को निराशाजनक बताया गया है.
व्यापार एवं विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (UNCTAD) की रिपोर्ट, "International tax reforms and sustainable investment”, दर्शाती है कि अनिश्चितता व जोखिम से बचने के मौजूदा माहौल में, अन्तरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा विकासशील देशों को ठोस सहायता दी जानी होगी.
यूएन एजेंसी की महासचिव रेबेका ग्रीनस्पैन ने ध्यान दिलाया कि कार्बन उत्सर्जन में कटौती, जलवायु अनुकूलन और टिकाऊ विकास लक्ष्यों में निवेश की विशाल आवश्यकता है.
Foreign direct investment worldwide rebounded 64% to $1.58tn in 2021, according to new @UNCTAD data.The FDI recovery was driven by booming merger & acquisition markets & fast growth in international project finance.https://t.co/OJGOpuHaPa | #UNCTADWIR pic.twitter.com/faUY1jViOL
“इन क्षेत्रों में मौजूदा निवेश रुझान पूरी तरह से सकारात्मक नहीं हैं.”
“यह महत्वपूर्ण है कि हम अभी कार्रवाई करें. वैसे तो देशों को गुज़र-बसर की क़ीमतों के संकट से उपजी चिन्ताजनक तात्कालिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, यह अहम है कि हम दीर्घकाल में निवेश कर पाने में सक्षम हों.”
वर्ष 2020 के अपने निचले स्तर से शुरुआत करते हुए, पिछले साल वैश्विक एफ़डीआई में उछाल आया, जिसकी प्रमुख वजह विलयन एवं अधिग्रहण (merger and acquisition) गतिविधियों और अन्तरराष्ट्रीय परियोजना वित्त पोषण में तेज़ वृद्धि बताई गई है, चूँकि बुनियादी ढाँचों को प्रोत्साहन देने के इरादे से पैकेज पेश किये गए.
इस पुनर्बहाली का लाभ सभी क्षेत्रों को हुआ है, लेकिन प्रगति का तीन-चौथाई विकसित देशों की अर्थव्यवस्था पर केन्द्रित रहा है, जहाँ एफ़डीआई प्रवाह में 134 प्रतिशत की वृद्धि हुई.
विकासशील देशों की ओर विदेशी निवेश के प्रवाह में 30 प्रतिशत की वृद्धि हुई और यह 837 अरब डॉलर तक पहुँच गया, जोकि अब तक का उच्चतम स्तर है.
इसकी एक बड़ी वजह, एशिया में मज़बूत आर्थिक प्रगति, लातिन अमेरिका व कैरीबियाई क्षेत्र में आंशिक सुधार और अफ़्रीका में हालात में बेहतरी है.विदेशी निवेश
विदेशी प्रत्यक्ष निवेश के वैश्विक प्रवाह में विकासशील देशो का हिस्सा 50 फ़ीसदी से कुछ ही ऊपर है.
एफ़डीआई प्रवाह की दृष्टि से, वर्ष 2021 के लिये शीर्ष 10 अर्थव्यवस्थाएँ निम्न प्रकार से हैं: अमेरिका, चीन, हांगकांग (चीन), सिन्गापुर, कैनेडा, ब्राज़ील, भारत, दक्षिण अफ़्रीका, रूस और मैक्सिको.
क्षेत्रवार भिन्नताएँ
एशिया क्षेत्र को वैश्विक एफ़डीआई का 40 फ़ीसदी हिस्सा प्राप्त होता है, और 2021 में लगातार तीसरे साल इसमें बढ़ोत्तरी दर्ज की गई और यह अपने उच्चतम स्तर, 619 अरब डॉलर पर पहुँच गया.
चीन में विदेशी निवेश 21 फ़ीसदी और दक्षिणपूर्व एशिया में 44 प्रतिशत की रफ़्तार से बढ़ा, लेकिन दक्षिण एशिया में परिस्थितियाँ उलट रहीं, और इसमें 26 फ़ीसदी की गिरावट दर्ज की गई.
भारत में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश 45 अरब डॉलर तक सिकुड़ गया.
अफ़्रीका में एफ़डीआई ने पिछले साल 83 अरब डॉलर के रिकॉर्ड आँकड़े को छुआ, और दक्षिणी अफ़्रीका, पूर्वी अफ़्रीका और पश्चिमी अफ़्रीका में प्रवाह में वृद्धि हुई है, मध्य अफ़्रीका में यह उसी स्तर पर रहा है, जबकि उत्तर अफ़्रीका में गिरावट दर्ज की गई.
2022 के लिये अनुमान
इस वर्ष, यूक्रेन में युद्ध की वजह से व्यवसाय और निवेश के लिये परिस्थितियों में नाटकीय रूप से बदलाव आया है, और भोजन, ईंधन की ऊँची क़ीमतों व वित्त पोषण के लिये सीमित उपलब्धता के कारण, एक तिहरा संकट उत्पन्न हुआ है.
एफ़डीआई के प्रवाह के लिये जिन अन्य वजहों से कठिनाई पैदा हो रही है, उनमें नए सिरे से वैश्विक महामारी का असर, बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में ब्याज़ दरों में वृद्धि की सम्भावनाएँ, वित्तीय बाज़ारों में नकारात्मक माहौल, और मन्दी की आशंका है.
ऊँचे मुनाफ़ों के बावजूद, विदेशों में नई परियोजनाओं के लिये बहुराष्ट्रीय कम्पनियों द्वारा निवेश, पिछले साल महामारी से पहले के स्तर की तुलना में 20 फ़ीसदी कम रहा.
रिपोर्ट में अनुमान व्यक्त किया गया है कि वर्ष 2021 में दर्ज की गई प्रगति के इस रुझान को बरक़रार रख पाना सम्भव नहीं है और 2022 में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश में या तो गिरावट आने की सम्भावना है, या फिर यह पहले के स्तर तक सीमित रह सकता है.
'बीमा में विदेशी निवेश'
विदेशी निवेशक इस मेगा आईपीओ में भाग लेने के इच्छुक हो सकते हैं, हालांकि मौजूदा एफडीआई नीति के तहत एलआईसी में विदेशी निवेश का कोई विशेष प्रावधान नहीं है, जो एलआईसी अधिनियम, 1956 के तहत गठित एक सांविधिक निगम है.
मौजूदा एफडीआई नीति के मुताबिक बीमा क्षेत्र में स्वत: मार्ग के तहत 74 प्रतिशत विदेशी निवेश की अनुमति है. हालांकि, यह नियम भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC IPO) पर लागू नहीं होता है.
सूत्र बताते हैं कि विदेशी निवेश सरकार जहां देश के इस सबसे बड़े आईपीओ में विदेशी निवेशकों को निवेश में हिस्सा लेने की योजना बना रही है, वहीं चीनी निवेशकों को भी उसने निगाह जमा रखी है. इस आईपीओ की संभावित कीमत $12.2 अरब डॉलर है. सरकार के एक अधिकारी ने कहा, 'चीन के साथ संघर्ष के बाद इसके साथ हमेशा की तरह व्यापार नहीं हो सकता. आपसी विश्वास की कमी काफी बढ़ गइ है और एलआईसी जैसी कंपनी में चीनी निवेश खतरा बढ़ा सकता है.
केंद्रीय मंत्रिमडल ने बुधवार को बीमा कानून में संशोधन को मंजूरी दे दी. इससे क्षेत्र में 74 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) का रास्ता साफ हो गया है. फिलहाल, जीवन और साधारण बीमा क्षेत्र में मालिकाना हक और प्रबंधन नियंत्रण भारतीय के पास होने के साथ स्वीकार्य एफडीआई सीमा 49 प्रतिशत है. सूत्रों के अनुसार मंत्रिमंडल ने बैठक में बीमा कानून, 1938 में संशोधन को मंजूरी दे दी.
दूसरे कार्यकाल के पहले आम बजट में अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए मीडिया, विमानन, बीमा और एकल ब्रांड खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के नियमों को उदार करने का प्रस्ताव किया गया है. बजट में बुनियादी आर्थिक और सामाजिक ढांचा के विस्तार, पेंशन और बीमा योजनाओं को आम लोगों की पहुंच के दायरे में ले जाने के विभिन्न प्रस्ताव किए गए हैं.
'गांव, गरीब और किसान' तथा प्रत्येक नागरिक के जीवन को ‘‘अधिक सरल’’ बनाने के लक्ष्य के साथ पेश किए गये नरेन्द्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के पहले आम बजट में अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए मीडिया, विमानन, बीमा और एकल ब्रांड खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के नियमों को उदार करने का प्रस्ताव किया गया है. बजट में बुनियादी आर्थिक और सामाजिक ढांच के विस्तार, पेंशन और वीमा योजाओं को आम लोगों की पहुंच के दायरे में ले जाने के विभिन्न प्रस्ताव किए गए है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा शुक्रवार को लोकसभा में पेश किए गए वित्त वर्ष 2019-20 के अपने बजट भाषण में कहा कि हालिया चुनाव में एक आकर्षक और मजबूत भारत की उम्मीदें लहरा रही थीं और लोगों ने एक ऐसी सरकार को चुना जिसने काम कर के दिखाया. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने अपने पहले कार्यकाल में ‘न्यू इंडिया’ के लिए काम शुरू कर दिया था. अब इन कार्यों की रफ्तार बढ़ाई जाएगी और आगे चलकर लालफीताशाही को और कम किया जाएगा. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने पहले कार्यकाल में काम को पूरा कर के दिखाया. आम चुनाव में मतदाताओं ने काम करने वाली सरकार के पक्ष में मत दिया.
‘गांव, गरीब और किसान’ तथा प्रत्येक नागरिक के जीवन को ‘अधिक सरल’ बनाने के लक्ष्य के साथ पेश किए गये नरेन्द्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के पहले आम बजट में अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए मीडिया, विमानन, बीमा और एकल ब्रांड खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के नियमों को उदार करने का प्रस्ताव किया गया है. बजट में बुनियादी आर्थिक और सामाजिक ढांच के विस्तार, पेंशन और वीमा योजाओं को आम लोगों की पहुंच के दायरे में ले जाने के विभिन्न प्रस्ताव किए गए है.
FDI नीति में बड़े बदलावों को मंजूरी मिली है। रक्षा क्षेत्र, उड्डयन, पेंशन और विदेशी निवेश बीमा क्षेत्र में 100 फीसदी FDI को मंजूरी मिल गई है।
मोदी सरकार ने अपने पहले साल में रक्षा और बीमा सेक्टर में 49 प्रतिशत विदेशी निवेश का फैसला कर लिया, मामूली विरोध के अलावा बीजेपी या संघ परिवार को इससे कोई खास दिक्कत नहीं हुई। हुई भी तो सरकार पर कोई फर्क नहीं पड़ा।