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बाजार विश्लेषण

बाजार विश्लेषण
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज रिटेल रिसर्च हेड सिद्धार्थ खेमका कि कंपनियों के बेहतर वित्तीय नतीजों व सकारात्मक वैश्विक संकेतों से घरेलू शेयर बाजारों में लगातार तेजी है। कमोडिटी की कीमतों में नरमी और एफआइआइ की बिक्री में कमी का भी लाभ मिल रहा है।

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विदेशी मुद्रा कारोबार की अवधारणा बहुत आसान है, एक बार यह सिद्ध हो जाए कि मुद्रा एक कमोडिटी है जिसका मान किसी दूसरी मुद्रा के मुकाबले बदलता रहता है। कोई मुद्रा खरीद कर (या बेच कर), विदेशी मुद्रा ट्रेडर विदेशी मुद्रा दर में परिवर्तनों से लाभ कमाने का लक्ष्य रखते हैं। विदेशी मुद्रा बाजार की खूबसूरती है कि इसमें ट्रेडिंग की लागत बहुत कम है। इसका अर्थ है कि ट्रेडिंग लेनदेन बहुत ही छोटे समय, वस्तुतः सेकेंडों में, साथ ही साथ लंबी अवधि के लिए निष्पादित हो सकते हैं।

तकनीकी मामले में क्या देखना चाहिए

तकनीकी विश्लेषण में जो चीज आप सबसे पहले सुनेंगे वह निम्न कहावत है: 'रूझान आपका दोस्त है'। प्रचलित रूझान की खोज आपको समग्र बाजार दिशा के बारे में जागरूक होने में मदद करेगी - विशेषकर जब अल्पकालिक गतिविधि माहौल में कोलाहल उत्पन्न कर देती है। साप्ताहिक और मासिक चार्ट दीर्घकालिक रूझानों की पहचान करने के लिए आदर्श रूप से उपयुक्त हैं। एक बार आपने समग्र रूझान को पा लिया हो, फिर आप उस समयावधि के रूझान को चुन सकते हैं जिसमें आप ट्रेड करना चाहते हैं। इस प्रकार, आप उठते रूझान के दौरान प्रभावी ढंग से डिप्स पर खरीद सकते हैं, और गिरते रूझानों के दौरान रैली पर बेच सकते हैं।

सहायता एवं प्रतिरोध

सहायता एवं प्रतिरोध वे बिंदुएँ हैं बाजार विश्लेषण जहाँ चार्ट आवर्ती बढ़ते या घटते दबाव का अनुभव करता है। सहायता स्तर आमतौर पर किसी चार्ट पैटर्न (घंटेवार, साप्ताहिक या वार्षिक) का निम्न बिंदु होता है, जबकि प्रतिरोध स्तर पैटर्न का उच्च, या शीर्ष बिंदु होता है। इन बिंदुओं की पहचान सहायता और प्रतिरोध के रूप में होती है जब वे दोबारा प्रकट होने की प्रवृत्ति दिखाते हैं। उन सहायता/प्रतिरोध स्तरों के निकट बेचना सबसे बढ़िया होता है जिनके खंडित होने की संभावना नहीं होती है।

एक बार ये स्तर खंडित हो जाते हैं, वे विपरीत अवरोध बन जाते हैं। इस तरह, एक उठते बाजार में, खंडित प्रतिरोध स्तर उठते रूझान के लिए सहायक हो सकता है; जबकि गिरते बाजार में, सहायता स्तर के खंडित होने पर, यह प्रतिरोध में बदल सकता है।

रूझान की लाइनें आसान हैं, फिर भी बाजार के रूझानों की दिशा की पुष्टि करने के लिए मददगार टूल हैं। कम से कम दो लगातार निम्न बिंदुओं को जोड़ कर एक सीधी लाइन खींची जाती है। स्वाभाविक रूप से, दूसरा बिंदु पहले से ऊँचा होना चाहिए। लाइन की निरंतरता उस पथ के निर्धारण में मदद करती है जिस पर बाजार बढ़ेगा। ऊपर की ओर रूझान सहायता लाइनें/स्तरों की पहचान का एक ठोस तरीका है। इसके विपरीत, नीचे जाने वाली लाइनें दो या अधिक बिंदुओं को जोड़ कर बनाई जाती हैं। किसी ट्रेडिंग लाइन की वैधता जुड़ने वाली बिंदुओं की संख्या से आंशिक रूप से संबंधित होती हैं। फिर भी यह बताना महत्वपूर्ण है कि बिंदुएं एक दूसरे के काफी नजदीक नहीं होनी चाहिए। चैनल दो समानांतर रूझान लाइनों द्वारा खींचे गए मूल्य पथ के रूप में परिभाषित है। लाइनें मूल्य के लिए ऊपर जाने वाली, नीचे जाने वाली या सीधी कॉरिडोर के रूप में काम करती है। किसी रूझान लाइन की बिंदु को कनेक्ट करने वाले किसी बाजार विश्लेषण चैनल का चिरपरिचित गुण इसकी विरोधी लाइनों के बीच कनेक्ट करने वाली बिंदुओं के बीच होना है।

तकनीकी विश्लेषण में मुख्यतः तीन प्रकार के चार्ट का उपयोग होता है:

लाइन चार्ट:
लाइन चार्ट बाजार विश्लेषण किसी मुद्रा जोड़ी का किसी अवधि के दौरान मुद्रा विनिमय दर इतिहास का चित्रात्मक वर्णन है। लाइन दैनिक बंद भावों को जोड़ कर बनाई जाती है।

बार चार्ट:
बार चार्ट किसी मुद्रा जोड़ी के मूल्य प्रदर्शन का वर्णन होता है, यह तय इंट्रा-डे समय अंतराल (उदाहरण के लिए हर 30 मिनट) पर लंबवत बार से बने होते हैं। प्रत्येक बार में 4 'हुक' होते हैं, बाजार विश्लेषण जो खुला, बंद, उच्च और निम्न (OCHL) विनिमय दरों का प्रतिनिधित्व करता है।

कैंडलस्टीक चार्ट:
कैंडलस्टीक चार्ट बार चार्ट का एक भिन्न रूप है, सिवाय इसके कि कैंडलस्टीक चार्ट OCHL मूल्यों का वर्णन एक 'कैंडलस्टीक' के रूप में करता है जिसके प्रत्येक छोर पर एक 'पलीता' होता है। जब खुला भाव बंद भाव से अधिक होता है तो कैंडलस्टीक 'ठोस' होता है। जब बंद भाव खुला भाव से अधिक होता है तो कैंडलस्टीक 'खोखला' होता है।

सहायता एवं प्रतिरोध स्तर

तकनीकी विश्लेषण का एक उपयोग 'सहायता' और 'प्रतिरोध' स्तरों को संचालित करता है। अंतर्निहित विचार यह है कि बाजार अपनी सहायता स्तरों के ऊपर और अपने प्रतिरोध स्तरों के नीचे ट्रेड करेगा। सहायता स्तर एक विशिष्ट मूल्य स्तर को दिखाता है जिसके नीचे जाने में मुद्रा को कठिनाईयाँ होंगी। यदि मूल्य लगातार इस विशिष्ट बिंदु के नीचे जाने में विफल रहता है, तो एक सीधी-लाइन पैटर्न प्रकट होगा।

दूसरी ओर, प्रतिरोध स्तर एक विशिष्ट मूल्य स्तर को दिखाते हैं जिसके ऊपर जाने में मुद्रा को कठिनाईयाँ होंगी। इस बिंदु से ऊपर जाने में मूल्य के बार-बार विफल होने पर एक सीधी-लाइन पैटर्न बन जाएगा।

यदि सहायता या प्रतिरोध स्तर खंडित होता है, तो बाजार से उसी दिशा में बढ़ने की अपेक्षा की जाती है। ये स्तर, चार्ट विश्लेषण के माध्यम से और बाजार द्वारा पूर्व में अखंडित सहायता या प्रतिरोध का सामना करने के स्थान के मूल्यांकन द्वारा निर्धारित होते हैं।

चल औसत मूल्य रूझानों पर नज़र रखने के लिए एक और टूल प्रदान करता है। चल औसत, अपने सरलतम स्वरूप में, किसी समयावधि में रॉल होने वाले मूल्यों का औसत है। 10-दिन चल औसत की गणना पिछले 10 दिनों का बंद भाव जोड़ कर और उन्हें 10 से भाग देकर की जाती है। अगले दिन, सबसे पुराना मूल्य हटा दिया जाता है और उसके बजाय नए दिन का बंद भाव जोड़ दिया जाता है; अब इन 10 मूल्यों को 10 से भाग कर दिया जाता है। इस प्रकार, औसत हर दिन 'आगे बढ़ता' है।

चल औसत बाजार बाजार विश्लेषण में प्रवेश करने या बाहर निकलने का अधिक यांत्रिक पद्धति प्रदान करता है। प्रवेश और निकास बिंदुओं की पहचान करने में मदद करने के लिए, अक्सर चल औसत को बार चार्ट के ऊपर रख दिया जाता है। जब बाजार चल औसत के ऊपर बंद होता है, इसे सामान्यतः खरीद संकेत के रूप में देखा जाता है। उसी प्रकार, जब बाजार चल औसत के नीचे बंद होता है तो उसे बिक्री संकेत माना जाता है। कुछ कारोबारी इसे खरीद या बिक्री संकेत के रूप मे स्वीकार करने से पहले चल औसत को असल में दिशा बदलते देखना चाहते हैं।

चल औसत लाइन की संवेदनशीलता और इसके द्वारा उत्पन्न खरीद और बिक्री संकेतों की संख्या चल औसत के लिए चुनी गई समयावधि के साथ सीधे संबद्ध है। 5-दिन चल औसत और अधिक संवेदनशील होगा और 20-दिन चल औसत के मुकाबले अधिक खरीद और बिक्री संकेत प्रॉम्प्ट करेगा। यदि औसत बहुत संवेदनशील रहता है, कारोबारी अक्सर स्वयं को बाजार में प्रवेश करते और निकलते पाएँगे। दूसरी ओर, यदि चल औसत बहुत अधिक संवेदनशील नहीं होता है, तो खरीद और बिक्री संकेतों की पहचान में बहुत देरी के कारण कारोबारियों के लिए अवसर खोने का जोखिम होगा।

चल औसत तकनीकी कारोबारियों के लिए अत्यंत उपयोगी हो सकते हैं।

रूझान लाइन रूझान, और साथ ही साथ सहायता और प्रतिरोध के संभावित क्षेत्रों की पहचान करने में मदद करती है। रूझान लाइन एक सीधी रेखा होती है जो किसी अंतर्निहित ट्रेडिंग प्रक्रिया के मूल्य में कम से दो महत्वपूर्ण शिखर या गर्त को जोड़ती है। किसी भी दूसरी मूल्य क्रिया को दो बिंदुओं के बीच रूझान बाजार विश्लेषण लाइन को खंडित नहीं करना चाहिए। इस प्रकार, रूझान लाइन एक सहायता या प्रतिरोध क्षेत्र चिह्नित करती है जहाँ मूल्य मुड़ गया हो (शिखर और गर्त) और उल्लंघन नहीं हुआ हो। रूझान लाइन जितनी लंबी होती है, यह उतनी ही मान्य होती है, विशेषकर जब मूल्य ने लाइन को बगैर काटे कई बार छुआ हो।

दीर्घकालिक रूझान लाइन को काटना एक संकेत हो सकता है कि रूझान पलटने वाला है। हालाँकि, इसकी कोई गारंटी नहीं कि ऐसा होगा। जैसा कि सभी मूल्य रूझान उलटाव के सभी संकतों के साथ है, ऐसी कोई प्रमाणित पद्धति नहीं है जो मूल्य की दिशा पूर्वनिर्धारित कर सके।

डबल (ट्रिपल) बॉटम और डबल (ट्रिपल) टॉप

डबल या ट्रिपल बॉटम बनावट भी तकनीकी बिक्री-रोक ऑर्डर के लिए अच्छा स्तर प्रदान करता है। ऐसा बिक्री-रोक ऑर्डर सामान्यतः पूर्व निम्न के ठीक नीचे दिया जाएगा। उसी प्रकार, डबल या ट्रिपल टॉप बनावट पूर्व उच्च के ठीक ऊपर तकनीकी खरीद-रोक ऑर्डर के लिए अच्छा स्तर प्रदान करता है।

जब बाजार एक दिशा में तेज़ी से बढ़ रहा होता है, यह कभी-कभी पीछे हट सकता है जब प्रतिभागी अपने लाभ लेते हैं। इस घटना को रिट्रेसमेंट कहा जाता है। यह अधिक आकर्षक स्तरों पर बाजार में पुनः प्रवेश करना का एक अच्छा अवसर प्रदान करता है इससे पहले कि अंतर्निहित रूझान फिर से प्रारंभ हो जाए।

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Share Market Analysis: तीन महीने बाद 57,000 के पार पहुंचा सेंसेक्स, यहां देखें बीते महीनों में बाजार का हाल

रिकॉर्ड गिरावट के बाद पिछले कुछ कारोबारी सत्रों से बाजार में तेजी देखी जा रही है। आंकड़ों के मुताबिक यह सप्ताह शेयर बाजार के लिए बहुत ही बढ़िया रहा। तीन महीने बाद सेंसेक्स 57000 के पार पहुंच गया। आइए विस्तार से बीते महीनों में बाजार का हाल जानते हैं।

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। मंदी की आशंकाओं के बीच बीते कुछ महीनों में शेयर बाजार में रिकॉर्ड गिरावट दर्ज की गई थी। हालांकि, पिछले कुछ कारोबारी सत्रों से शेयर बाजार गुजलार हो गया है। बीते शुक्रवार को कारोबारी सत्र के दौरान सेंसेक्स पिछले तीन महीने के रिकॉर्ड को तोड़ता हुआ 57 हजार के पार हो गया। आर्थिक आंकड़ों में सुधार व विदेशी संस्थागत निवेशकों (Foreign Institutional Investor) की खरीदारी से शेयर बाजारों में कई दिनों से तेजी बनी हुई है।

इसके चलते बीएसई सेंसेक्स तीन माह बाद शुक्रवार बाजार विश्लेषण को 57 हजार के पार जाकर 712.46 अंकों की बढ़त के साथ 57,570.25 अंक पर बंद होने में कामयाब रहा। इससे पहले सेंसेक्स 29 अप्रैल को 57,060.87 अंक पर बंद हुआ था। वहीं, एनएसई निफ्टी भी करीब तीन माह बाद 17 हजार अंकों के स्तर को पार करते हुए 17,158.25 अंक पर बंद हुआ है। निफ्टी में शुक्रवार को 228.65 अंकों की तेजी रही है। इससे पहले निफ्टी दो मई को 17,069.10 अंकों पर बंद हुआ था।

जुलाई में ही सेंसेक्स में 4,551.31 अंकों की तेजी रही है। वहीं, 30 जून को सेंसेक्स 53,018.94 अंकों पर बंद हुआ था, जो 29 जुलाई को 57,570.25 पर पहुंच गया है। निफ्टी भी 30 जून के 15,780.25 अंकों के स्तर से 1,748 अंक बढ़कर 17,158.15 अंक पर पहुंच गया है।

21 कारोबारी सत्रों में 22 लाख करोड़ बढ़ा पूंजीकरण

जुलाई में अब तक 21 कारोबारी सत्रों में सेंसेक्स के बाजार पूंजीकरण में 22.84 लाख करोड़ की वृद्धि हुई है। 30 जून को सेंसेक्स का पूंजीकरण 243.73 लाख करोड़ था, जो 29 जुलाई को बढ़कर 266.58 लाख करोड़ पर पहुंच गया है। शेयर बाजारों में बीते 10 महीनों में पहली बार विदेशी निवेश शुद्ध खरीदार रहे हैं। एनएसडीएल के डाटा के अनुसार, जुलाई में विदेशी निवेशकों ने 4,989 करोड़ रुपये की शुद्ध खरीदारी की है।

मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज रिटेल रिसर्च हेड सिद्धार्थ खेमका कि कंपनियों के बेहतर वित्तीय नतीजों व सकारात्मक वैश्विक संकेतों से घरेलू शेयर बाजारों में लगातार तेजी है। कमोडिटी की कीमतों में नरमी और एफआइआइ की बिक्री में कमी का भी लाभ मिल रहा है।

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निवेश की पाठशाला: स्टॉक खरीदने से पहले कैसे करें होमवर्क, किन बातों का रखें ध्यान? जानिए जरूरी बातें

शेयर बाजार में पैसा लगाने से पहले निवेश की रणनीति बनाएं

Share Market: जब भी आप कोई बाजार विश्लेषण स्टॉक खरीदते हैं तो आप उस कंपनी के शेयरधारक बन जाते हैं, इसलिए जरूरी है कि एक निवेशक के रूप में आपको उचित विश्लेषण करना चाहिए. किसी भी शेयर को खरीदने से बाजार विश्लेषण आपको कुछ अहम बातों को ध्यान में रखना चाहिए.

  • News18Hindi
  • Last Updated : October 15, 2022, 11:55 IST

हाइलाइट्स

स्टॉक खरीदने से पहले फंडामेंटल और टेक्निकल एनालिसिस जरूर करें.
विभिन्न लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए निवेश की अवधि तय करें.
बीते सालों में स्टॉक का प्रदर्शन और बड़े निवेशकों की हिस्सेदारी के बारे में पता लगाएं.

मुंबई. शेयर बाजार में पैसा बनाना बाजार विश्लेषण आसान है लेकिन बिना जानकारी के भारी आर्थिक नुकसान का सामना भी करना पड़ सकता है. जब भी आप निवेश के उद्देश्य से स्टॉक खरीदने का निर्णय लेते हैं, तो इससे पहले होमवर्क जरूर करें. क्योंकि आप अपनी मेहनत की कमाई को बाजार में निवेश कर रहे हैं. किसी भी कंपनी का स्टॉक खरीदने के लिए दो तरह के एनालिसिस करने होते हैं. पहला फंडामेंटल और दूसरा टेक्निकल एनालिसिस होता है. फंडामेंटल में कंपनी के बिजनेस और प्रॉफिट समेत कई पहलुओं का अध्ययन किया जाता है. वहीं, टेक्निकल एनालिसिस में स्टॉक के प्राइस को देखकर बाय और सेल की रणनीति बनाई जाती है.

जब भी आप कोई स्टॉक खरीदते हैं तो आप उस कंपनी के शेयरधारक बन जाते हैं, इसलिए जरूरी है कि एक निवेशक के रूप में आपको उचित विश्लेषण करना चाहिए. किसी भी शेयर को खरीदने से आपको कुछ अहम बातों को ध्यान में रखना चाहिए.

निवेश की अवधि
शेयर बाजार में इन्वेस्ट करने से पहले आपको अपने निवेश बाजार विश्लेषण की अवधि तय करनी होगी. आप कम, मध्यम और लंबी अवधि के लिए किसी भी स्टॉक में निवेश कर सकते हैं. हालांकि, यह अवधि आपके आर्थिक लक्ष्यों पर निर्भर करती है. ज्यादातर लंबी अवधि का निवेश स्टॉक मार्केट में बेहतर रिटर्न देता है. यह अवधि 5 से 10 साल तक हो सकती है.

कंपनी के फंडामेंटल चेक करें
हर निवेशक को शेयर खरीदने से पहले फंडामेंटल चेक कर लेना चाहिए. इसमें कंपनी का कारोबार और उसकी ग्रोथ के बारे में जानें. आखिर कंपनी क्या बिजनेस करती है और भविष्य में इस बिजनेस को लेकर क्या संभवानाएं हैं. वहीं, कंपनी इस सेक्टर में अपनी समकक्ष कंपनियों के मुकाबले कहां खड़ी है.

कंपनी के प्रोमोटर कौन हैं और उन्हें कंपनी के बिजनेस मॉडल को लेकर कितना अनुभव है. इसके अलावा कंपनी का शेयर होल्डिंग पैटर्न का अध्ययन भी करना चाहिए कि आखिर कंपनी में प्रोमोटर, रिटेल निवेशक और घरेलू व विदेशी संस्थागत निवेशकों की कितनी हिस्सेदारी है. माना जाता है कि कंपनी के शेयर होल्डिंग पैटर्न में विभिन्नता होनी चाहिए और ऐसे ही कंपनी के शेयर खरीदना चाहिए.

बीते सालों में स्टॉक का प्रदर्शन
किसी भी शेयर को खरीदने से पहले निवेशक को यह भी देखना चाहिए कि समकक्ष कंपनियों के शेयर की तुलना में कैसा प्रदर्शन किया है. इंटरनेट पर उपलब्ध विभिन्न प्लेटफॉर्म की मदद से आप यह तुलना कर सकते हैं. इसके लिए टेक्निकल एनालिसिस बाजार विश्लेषण बहुत करना जरूरी हो जाता है.

टेक्निकल एनालिसिस में शेयर के चार्ट की स्टडी करके हर रोज, साप्ताहिक और मासिक अवधि में स्टॉक के भाव में होने वाले उतार-चढ़ाव के बारे में पता लगाया जाता है. इसके जरिए आप शेयर के भाव की एक रेंज के बारे में जान सकते हैं कि विभिन्न अवधि में यह शेयर किसी भाव के आसपास रहता है. स्टॉक का प्राइस कहां सपोर्ट बनाता है और कहां रजिस्टेंस बनाता है. इस आधार पर किसी भी शेयर को सही कीमत पर खरीद सकते हैं और अच्छा रिटर्न मिलने पर बेच सकते हैं.

म्यूचुअल फंड और अन्य बड़े निवेशकों की खरीदी
हर रिटेल इन्वेस्टर किसी भी शेयर में निवेश करने से पहले यह जानना चाहता है कि बड़े निवेशक जैसे- म्यूचुअल फंड हाउस, विदेशी संस्थागत निवेशकों की हिस्सेदारी कितनी है. दरअसल बड़े निवेशक किसी भी कंपनी में निवेश करने से पहले बहुत अध्ययन करते हैं इसलिए आम निवेशक को लगता है कि म्यूचुअल फंड द्वारा खरीदे गए शेयर निवेश के लिए ज्यादा सही और बेहतर होते हैं.

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