संकेतकों को फिर से निकालने का खतरा क्या है

डायबिटीज के मरीज नेचुरल तरीके से इंसुलिन का उत्पादन करने वाले फूड्स का सेवन करें।photo-freepik
खुली पड़ी नालियों में गिरने की आशंका
शहर में कई जगह अधूरी नालियां बनी हुई हैं। कई जगह नालियां बना दीं तो ये खुली ही पड़ी हैं। ऊपर से इन्हें कवर नहीं करने के कारण यहां पर हादसों का खतरा बना रहता है। खुली नालियों में गिरने के अलावा दिनभर आसपास की पॉलिथिन भी उड़कर इनमें गिर जाती हैं इससे समस्या और बढ़ जाती है।
कटनी (नईदुनिया प्रतिनिधि)। शहर में कई जगह अधूरी नालियां बनी हुई हैं। कई जगह नालियां बना दीं तो ये खुली ही पड़ी हैं। ऊपर से इन्हें कवर नहीं करने के कारण यहां पर हादसों का खतरा बना रहता है। खुली नालियों में गिरने के अलावा दिनभर आसपास की पॉलिथिन भी उड़कर इनमें गिर जाती हैं इससे समस्या और बढ़ जाती है। इसी तरह सड़कों पर जो गड्ढे हो रहे हैं उनसे भी लोगों को दिक्कतें हो रही हैं। ये समस्याएं काफी बड़ी है लेकिन इसकी तरफ ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
क्या टाइप 1 डायबिटीज मरीजों में इंसुलिन से बढ़ सकता है कैंसर का खतरा? जानिये
डायबिटीज के मरीज नेचुरल तरीके से इंसुलिन का उत्पादन करने वाले फूड्स का सेवन करें।photo-freepik
डायबिटीज एक क्रोनिक स्थिति है। यानी एक बार अगर किसी को हो जाए तो यह आमतौर पर हमेशा उसके साथ रहती है। डायबिटीज बेहद खतरनाक बीमारी है जिसमें कई अन्य बीमारियों के होने का जोखिम बढ़ जाता है। डायबिटीज में पैनक्रियाज से निकलने वाला हार्मोन इंसुलिन बहुत कम बनाता है या फिर बनाता ही नहीं है। इंसुलिन नहीं संकेतकों को फिर से निकालने का खतरा क्या है होने के कारण खून में ब्लड शुगर जमा होने लगती है जिसके कारण किडनी, हार्ट, नसें और आंखों से संबंधित बीमारियों होती है। चूंकि टाइप 1 डायबिटीज में इंसुलिन बनता ही नहीं है, इसलिए इस बीमारी से पीड़ित लोगों को इंसुलिन का इंजेक्शन लेना पड़ता है। अब सवाल यह है कि क्या इंसुलिन लेने से कैंसर का संकेतकों को फिर से निकालने का खतरा क्या है जोखिम बढ़ जाता है।
इंसुलिन लेने वालों में कैंसर का जोखिम बढ़ा:
हाल ही में जामा स्टडी में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक टाइप 1 डायबिटीज के मरीजों में इंसुलिन का इंजेक्शन लेने के बाद कैंसर के जोखिम को देखा गया है, जो चिंता का विषय है। दरअसल, स्टडी में डायबिटीज मरीजों के पुराने रिकॉर्ड को खंगाला गया। इसमें टाइप 1 डायबिटीज के मरीजों में कैंसर के साथ संबंधों की पड़ताल की गई। अध्ययन में टाइप 1 डायबिटीज से पीड़ित 1303 लोगों के रिकॉर्ड से 28 साल का लेखा जोखा निकाला गया।
अध्ययन में देखा गया कि 28 सालों के दौरान इन मरीजों को किन-किन परेशानियों से गुजरना पड़ा। इसमें स्मोकिंग, अल्कोहल, दवाई, पारिवारिक इतिहास जैसे 150 जोखिमों पर भी बारीक नजर डाली गई। अध्ययन के नतीजे चौंकाने वाले थे। अध्ययन में पाया गया कि 1303 मरीजों में से 93 ने कैंसर का इलाज किया। इसका मतलब यह हुआ कि टाइप 1 मरीजों में से प्रत्येक एक हजार में प्रत्येक साल 2.8 प्रतिशत को कैंसर हुआ। इन 93 मरीजों में 57 महिलाएं थीं और 36 पुरुष थे। इनमें से 8 लोगों को टाइप 1 डायबिटीज के होने के 10 साल के अंदर कैंसर हुआ। इसके बाद 31 लोगों को 11 से 20 साल के अंदर और 54 लोगों को 21 से 28साल के अंदर कैंसर हुआ।
अभी इसे मानना जल्दबाजी:
तो क्या यह मान लिया जाए कि टाइप 1 डायबिटीज मरीजों को कैंसर होने का जोखिम ज्यादा है। वोकहार्ट्ड अस्पताल मीरा रोड के इंटरनल मेडिसीन के डॉ. अनिकेत मुले कहते हैं, डायबिटीज और कैंसर क्रोनिक स्थिति है। पिछले कुछ सालों से इन दोनों बीमारियों का बोझ भारत में बढ़ा है। उन्होंने कहा कि मोटापा डायबिटीज और कैंसर के प्रमुख कारकों में से एक है।
इसके कारण आज दुनिया में अधिकांश लोगों की मौत होती है। हालांकि यह बात सही है कि डायबिटीज कैंसर के होने का प्रमुख संकेतक है। इसके कारण मेटोबोलिज्म में परिवर्तन होता है जिससे कई सारी शरीर में जटिलताएं आती हैं। लेकिन जैसा कि स्टडी में कहा गया कि इंसुलिन इंजेक्शन के कारण कैंसर का जोखिम बढ़ा है, इसे पूरी तरह से सच मान लेना जल्दबाजी होगी।
क्या टाइप 1 डायबिटीज मरीजों में इंसुलिन से बढ़ सकता है कैंसर का खतरा? जानिये
डायबिटीज के मरीज नेचुरल तरीके से इंसुलिन का उत्पादन करने वाले फूड्स का सेवन करें।photo-freepik
डायबिटीज एक क्रोनिक स्थिति है। यानी एक बार अगर किसी को हो जाए तो यह आमतौर पर हमेशा उसके साथ रहती है। डायबिटीज बेहद खतरनाक बीमारी है जिसमें कई अन्य बीमारियों के होने का जोखिम बढ़ जाता है। डायबिटीज में पैनक्रियाज से निकलने वाला हार्मोन इंसुलिन बहुत कम बनाता है या फिर बनाता ही नहीं है। इंसुलिन नहीं होने के कारण खून में ब्लड शुगर जमा होने लगती है जिसके कारण किडनी, हार्ट, नसें और आंखों से संबंधित बीमारियों होती है। चूंकि टाइप 1 डायबिटीज में इंसुलिन बनता ही नहीं है, इसलिए इस बीमारी से पीड़ित लोगों को इंसुलिन का इंजेक्शन लेना पड़ता है। अब सवाल यह है कि क्या इंसुलिन लेने से कैंसर का जोखिम बढ़ जाता है।
इंसुलिन लेने वालों में कैंसर का जोखिम बढ़ा:
हाल ही में जामा स्टडी में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक टाइप 1 डायबिटीज के मरीजों में इंसुलिन का इंजेक्शन लेने के बाद कैंसर के जोखिम को देखा गया है, जो चिंता का विषय है। दरअसल, स्टडी में डायबिटीज मरीजों के पुराने रिकॉर्ड को खंगाला गया। इसमें टाइप 1 डायबिटीज के मरीजों में कैंसर के साथ संबंधों की पड़ताल की गई। अध्ययन में टाइप 1 डायबिटीज से पीड़ित 1303 लोगों के रिकॉर्ड से 28 साल का लेखा जोखा निकाला गया।
अध्ययन में देखा गया कि 28 सालों के दौरान इन मरीजों को किन-किन परेशानियों से गुजरना पड़ा। इसमें स्मोकिंग, अल्कोहल, दवाई, पारिवारिक इतिहास जैसे 150 जोखिमों पर भी बारीक नजर डाली गई। अध्ययन के नतीजे चौंकाने वाले थे। अध्ययन में पाया गया कि 1303 मरीजों में से 93 ने कैंसर का इलाज किया। इसका मतलब यह हुआ कि टाइप 1 मरीजों में से प्रत्येक एक हजार में प्रत्येक साल 2.8 प्रतिशत को कैंसर हुआ। इन 93 मरीजों में 57 महिलाएं थीं और 36 पुरुष थे। इनमें से 8 लोगों को टाइप 1 डायबिटीज के होने के 10 साल के अंदर कैंसर हुआ। इसके बाद 31 लोगों को 11 से 20 साल के अंदर और 54 लोगों को 21 से 28साल के अंदर कैंसर हुआ।
अभी इसे मानना जल्दबाजी:
तो क्या यह मान लिया जाए कि टाइप 1 डायबिटीज मरीजों को कैंसर होने का जोखिम ज्यादा है। वोकहार्ट्ड अस्पताल मीरा रोड के इंटरनल मेडिसीन के डॉ. अनिकेत मुले कहते हैं, डायबिटीज और कैंसर क्रोनिक स्थिति है। पिछले कुछ सालों से इन दोनों बीमारियों का बोझ भारत में बढ़ा है। उन्होंने कहा कि मोटापा डायबिटीज और कैंसर के प्रमुख कारकों में से एक है।
इसके कारण आज दुनिया में अधिकांश लोगों की मौत होती है। हालांकि यह बात सही है कि डायबिटीज कैंसर के होने का प्रमुख संकेतक है। इसके कारण मेटोबोलिज्म में परिवर्तन होता है जिससे कई सारी शरीर में जटिलताएं आती हैं। लेकिन जैसा कि स्टडी में कहा गया कि इंसुलिन इंजेक्शन के कारण कैंसर का जोखिम बढ़ा है, इसे पूरी तरह से सच मान लेना जल्दबाजी होगी।
छात्रा की हत्या के विरोध में निकाला कैडिल मार्च
लालगंज।छात्रा अंकिता की हत्या एवम गिरती विधि व्यवस्था के विरोध में स्थानीय लोगो ने "कैंडल मार्च" निकाल कर प्रशासन के खिलाफ में नारे लगाते हुए आक्रोश व्यक्त किया। कैंडल मार्च लालगंज बरवन्ना पोस्ट ऑफिस चौक, गांधी चौक, नगर पालिका मार्केट,थाना रोड होते हुए शहीद स्मारक स्थल पर जाकर सभा में तब्दील हो गया।जहा मृतक को श्रद्धांजलि दी।
कैंडल मार्च में शामिल लोगों ने कहा सरकार बेटी पढ़ाओ- बेटी बचाओ का नारा देती हैं। और यहां आये दिन दहेज हत्या, हत्या,बला त्कार जैसी आपराधिक घटनाएं घट रही है।अपराधी बेखौफ है।
लोगों ने सरकार से मृतक अंकिता कुमारी के हत्यारों की अविलंब गिरफ्तारी,25 लाख रुपया मुआवजा राशि,आश्रितों को सरकारी नौकरी सहित सुरक्षा मुहैया कराने की मांग की।
मच्छर अपने शिकार को कैसे पहचानता है?
मच्छर अपने शिकार को खोजने के लिए कार्बन डाइऑक्साइड, दृष्टि, तापमान और आर्द्रता जैसे कई संकेतकों का उपयोग करते हैं. कार्डे द्वारा हाल के अध्ययनों से संकेत मिलता है कि काटने के स्थान की पहचान करने के लिए त्वचा की गंध महत्वपूर्ण है.
मच्छरों की मनुष्यों पर सफलतापूर्वक फीड करने की क्षमता में गंध के महत्व को देखते हुए, कार्डे ने सटीक यौगिकों की पहचान करने के लिए निर्धारित किया जो मनुष्यों की सुगंध कीड़ों को ऐसी शक्ति प्रदान करते हैं. समीकरण के एक घटक लैक्टिक एसिड को 1968 की शुरुआत में गंध कॉकटेल के रासायनिक घटकों में से एक के रूप में मान्यता दी गई थी.
तब से कई अध्ययनों में पाया गया है कि मानव-निर्मित यौगिक, जैसे कि अमोनिया और कार्बन डाइऑक्साइड, भी इन कीड़ों को आकर्षित करते हैं. कार्डे, जिन्होंने मच्छरों का अध्ययन करते हुए संकेतकों को फिर से निकालने का खतरा क्या है संकेतकों को फिर से निकालने का खतरा क्या है 26 साल बिताए हैं, ने निष्कर्ष निकाला कि ये अतिरिक्त यौगिक शक्तिशाली आकर्षण नहीं थे.