अतिरिक्त आय

अतिरिक्त आय के लिए - Meaning in English
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प्रतिव्यक्ति, आय के, अतिरिक्त आय के, अन्य कौन से, लक्षण हैं, जो दो या, दो से, अधिक देशों, की, तुलना के, लिए, क्या महत्व रखते हैं?
प्रति व्यक्ति आय उस आय को कहा जाता है जब किसी देश के कुल राष्ट्रीय आय (NNP on factor cost) को जब उस देश की उस वर्ष की मध्यावधि तिथि (१ जुलाई) की जनसंख्या से विभाजित किया जाता है। यह हमें उस देश के निवासियों को प्राप्त होने वाली औसत आय की मौद्रिक जानकारी देता है। अर्थात यह बताता है कि उस देश में उत्पन्न होने वाली धनराशि को यदि बाँटा जाए तो सबके भाग में कितनी आएगी और इसका उपयोग किसी देश के भीतर भी विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों, नगरों, या राज्यों इत्यादि के जीवन स्तर का अनुमान लगाने के लिए भी किया जाता है। उदाहरण के लिए २००९ में दिल्ली की प्रति व्यक्ति आय सबसे अधिक है, २००९ की डालर विनिमय दर के अनुसार लगभग १,२०० $।
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जल के विभिन्न प्रयोग से पूर्वी भारत के चौर में आय का सृजन
बाढ़ से प्रभावित समतल नम क्षेत्र चौर में पानी का विभिन्न तरीके से उपयोग कर एकीकृत खेती के हस्तक्षेप से धान, मछली तथा अन्य खाद्यान्न जैसे गेहूं, सरसों तथा तम्बाकू की पैदावार बढ़ाई गई । यह प्रयोग वर्ष 2008-10 में बिहार के वैशाली जिले के जनाधा ब्लॉक में छोटे किसानों की आजीविका को बेहतर करने के उद्देश्य से एफपीएआरपी के अंतर्गत जल संसाधन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा प्रायोजित किया गया। इस प्रयोग के अंतर्गत जितनी भी तकनीकों को अपनाया गया उसमें प्रमुख तकनीक एक्वाकल्चर है। इस तकनीक के माध्यम से बाढ़ के अतिरिक्त पानी का खेतों में विभिन्न प्रकार से उपयोग कर उत्पादकता बढ़ाने, खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने, स्वास्थ्य तथा पर्यावरण में सुधार लाने की दिशा में उपयोग किया गया, जिससे गरीब किसानों की आजीविका में सुधार किया जा सके।
इस प्रयोग से पूर्व यहां के किसान परम्परागत तरीके से मुख्यतः धान (औसतन 2.0 टन/हैक्टर), गेहूं (औसतन 2.5 टन/ हैक्टर) तथा मक्का ( औसतन 3.0 टन/हैक्टर) की पैदावार करते थे। इस कारण यहां के किसानों के अतिरिक्त आय का स्रोत अत्यंत सीमित था। चैर का एक कमजोर पक्ष यह भी था कि यहां के अधिकांश क्षेत्र में सामान्यतः वर्षा ऋतु में एक फसल की पैदावार की जाती थी जबकि सूखे की स्थिति में एक से अधिक फसलें उगायी जाती थीं। इन सारी बातों को देखते हुए तथा यहां के किसानों को लाभान्वित करने व बाढ़ के पानी का समुचित उपयोग के लिए पांच वैकल्पिक खेती की योजना बनाई गई जो कि पिंजड़ों में मछली पालन, पेन कल्चर के माध्यम से तराई क्षेत्रों में मछली पालन, जल भराव क्षेत्रों में धान व मछली की संयुक्त पैदावार, बागवानी के अंतर्गत तालाब में सब्जियों और पशुओं का संयुक्त उत्पादन और कम लागत वाली इको-हैचरी से मछली दाना उत्पादन हैं ताकि यहां के गरीब किसानों के सामाजिक-आर्थिक जीवन को सुधारा जा सके।
धान-मत्स्य उत्पादन में धान की उत्पादकता परम्परागत तरीके से की गई खेती की तुलना में दोगुनी हो गई, जो औसत रूप से होने वाली पैदावार 2.0 टन/हैक्टर से बढ़कर 4.0 टन/हैक्टर दर्ज की गई। इसी प्रकार तालाब में लौकी की पैदावार के माध्यम से किसानों ने 20.0 टन/हैक्टर अतिरिक्त सब्जी का उत्पादन कर 1,00,000 रु./हैक्टर की आय प्राप्त की। इसके अलावा परम्परागत तरीके से की जा रही मछली की पैदावार 2.0 टन/हैक्टर की तुलना में तालाब के माध्यम से 3.6 टन/हैक्टर की वृद्धि हुई, जिससे 1,50,000 रु./हैक्टर की अतिरिक्त आय प्राप्त हुई। इसी तरह से बत्तखों के एकीकरण के द्वारा उत्पादित अंडों से 2,62,800रु./हैक्टर की अतिरिक्त आय मिली।
इको-हैचरी के माध्यम से दस दिनों में हुए मत्स्य बीजों के उत्पादन ने न केवल किसानों को मत्स्य बीज की उपलब्धता सुनिश्चित की बल्कि इससे 80 लाख मत्स्य बीजों के लाभ के साथ-साथ 80000 रुपए की आय भी प्राप्त हुई। इन लाभों से किसान काफी उत्साहित हुए।
श्री त्रिपुरारि चौधरी एक स्नातक और प्रगतिशील किसान हैं और जो 12 एकड़ भूमि के मालिक हैं, की जमीन को वैज्ञानिकों की देख रेख में इस प्रयोग के लिए चुना गया। प्रयोग में श्री चौधरी के अलावा गांव के अन्य किसान भी शामिल हुए। श्री चौधरी को अपनी भूमि पर विभिन्न फसलों की पैदावार कर लगभग 2 लाख रुपए तथा मत्स्य पालन कर लगभग 50 हजार रुपए की वार्षिक आय प्राप्त होती थी, परंतु इस प्रयोग के बाद उन्हें अपनी आय में अतिरिक्त आय दो लाख रुपए/वर्ष की अतिरिक्त आय प्राप्त हुई। इस प्रयोग का सबसे बड़ा लाभ यह हुआ कि इसके खत्म होने तक किसानों ने एक व्यावसायिक फिश हैचरी स्थापित करने की दिशा में अग्रसर हुए, जिसके लिए तकनीकी जानकारी भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-अनुसंधान परिसर पूर्वी क्षेत्र, पटना के वैज्ञानिकों द्वारा प्रदान किया गया। इस कार्य में अन्य संस्थाओं जैसे केंद्रीय ताजा जल जीव पालन संस्थान, भुवनेश्वर, मत्स्य विभाग, बिहार और ओरिएंटल बैंक आफ कामर्स, हाजीपुर, वैशाली ने भी सहयोग प्रदान किया। अंततः वह मत्स्य बीज उत्पादन के लिए एक व्यावसायिक हैचरी विकसित करने में सफल रहे, जिसकी क्षमता जानधा, वैशाली, बिहार में 40 लाख अंडे का जन्म प्रति दिन है। इस सफलता से उत्साहित होकर अनेक किसानों द्वारा इस तकनीक को अपनाया जा रहा है। इसके माध्यम से वह जल का विभिन्न प्रयोग कर लाभ कमाने की दिशा में सदैव आगे की ओर बढ़ रहे हैं।
(स्रोत: एनएआईपी सब-प्रोजेक्ट मास मीडिया मोबिलाइजेशन, डीकेएमए और आईसीएआर अनुसंधान परिसर पूर्वी क्षेत्र, पटना)
पेट्रोल, डीजल पर बढ़े उत्पाद शुल्क से सरकार को हो सकती है 1.6 लाख करोड़ की अतिरिक्त आय
नयी दिल्ली, छह मई (भाषा) पेट्रोल-डीजल पर उत्पाद शुल्क में की गयी रिकॉर्ड बढ़ोत्तरी से चालू वित्त वर्ष में सरकार को 1.6 लाख करोड़ रुपये के अतिरिक्त राजस्व की प्राप्ति हो सकती है। उत्पाद शुल्क और दिल्ली में राज्य सरकार के वैट बढ़ोत्तरी के बाद पेट्रोल-डीजल पर कुल कर उनकी कीमत का 70 प्रतिशत हो गया। इससे सरकारों को कोरोना वायरस संकट के चलते लॉकडाउन (बंद) से हो रहे राजस्व नुकसान की भरपाई करने में मदद मिलने की उम्मीद है। मंगलवार देर रात सरकार ने पेट्रोल पर प्रति लीटर उत्पाद शुल्क 10 रुपये और डीजल पर 13 रुपये बढ़ा
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गाय के गोबर से दिये बनाकर किसान और स्व सहायता समूह कर रहे अतिरिक्त आय
सरकारें किसानों की आय बढ़ाने के लिए नई-नई योजनाएं चला रही है इन योजनाओं का लाभ किसानों को मिल सके इसके लिए भी सरकार प्रयासरत है | अभी छत्तीसगढ़ सरकर द्वारा नई पहल शुरू की गई है “नरवा,गरवा,घुरवा,बाड़ी“ | इस योजना के तहत सभी जिलों के विभन्न स्थानों पर पशुओं के लिए गोठानों का निर्माण किया गया है | सुराजी योजना के तहत संचालित “नरवा,गरवा,घुरवा,बाड़ी“ गोठानों में एकत्रित पशुओं से मिलने वाले गोबर का विविध उपयोग शुरू किया गया है। इसका एक उपयोग गोबर से बने दीपक भी है | आदर्श गौठान में उपलब्ध गोबरो से स्थानीय शीतला स्व-सहायता समूह की महिलाओं द्वारा दीयों का निर्माण किया जा रहा है और सबसे बड़ी बात तो यह है कि ये दीये पर्यावरण के दृष्टि से भी ‘इकोफ्रेंडली‘ है और इनसे किसी भी प्रकार का प्रदुषण नहीं होता।
गोठानों में अनेक स्व सहायता समूह की महिलाओं द्वारा गोबर से दीये बनाये जा रहे हैं । इन दीयों को बेचने के लिए विभिन्न स्थानों पर व्यवस्था की गई है। रायपुर शहर में तेलीबांधा तालाब (मरीन ड्राईव), कलेक्टोरेट, नालन्दा परिसर, मेग्नेटो माल, सिटी सेंटर मॉल, अम्बुजा मॉल, शिल्प सरोवर और रेल्वे स्टेशन में गोबर अतिरिक्त आय के बने दीए विक्रय के लिए उपलब्ध है।
गोबर के दिए खरीदने के लिए मुख्यमंत्री ने की अपील
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने गत दिवस स्वयं राजधानी रायपुर के तेलीबांधा तालाब पहुंच कर दीपावली के लिए मिट्टी और गौठानों के गोबर से बने दीये खरीदे थे। मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों से दीपावली सहित अन्य त्यौहारों के समय में छत्तीसगढ़ के कुम्हारों, हस्तशिल्पियों, बुनकरों एवं अन्य कारीगरों द्वारा बनाये गए दीये, वस्त्र, सजावट की वस्तुएं, उपहार एवं अन्य सामग्री की अधिकाधिक खरीदी करने की अपील की है। छत्तीसगढ़ के कुम्हारों, हस्तशिल्पियों, स्व सहायता समूह की महिलाओं एवं अन्य कारीगरों द्वारा बनाये गए दीये, सजावट की वस्तुएं, उपहार, छत्तीसगढ़ी व्यंजन सहित अन्य सामग्रियां प्रदर्शन और विक्रय के लिए रखी गयी हैं। आम लोग यह खरीद सकते हैं |