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डिजिटल मुद्रा

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क्रिप्टो करेंसी और डिजिटल रुपए में क्या है फर्क?
क्रिप्टो करेंसी भी एक डिजिटल मुद्रा है, जिसे क्रिप्टोग्राफी के जरिए सिक्योर किया जाता है। क्रिप्टो करेंसी नेटवर्क बेस्ड डिजिटल मुद्रा है, जो ब्लॉकचेन पर बेस्ड है। इसका डिस्ट्रीब्यूशन कम्प्यूटरों के एक विशाल नेटवर्क के जरिए किया जाता है। वैसे तो दुनिया की सभी करेंसी किसी न किसी देश की ओर से जारी की जाती हैं, लेकिन क्रिप्टो करेंसी पर किसी एक देश या सरकार का कोई कंट्रोल नहीं होता है। क्रिप्टो करेंसी को लेकर एक्सपर्ट्स का मानना है कि ब्लॉकचेन की वजह से इस करंसी को लेकर डिजिटल मुद्रा कई तरह की दिक्कतें आती हैं।

e-rupee Digital Currency: RBI ई-रुपये पर डिजिटल मुद्रा जल्द करेगा पायलट प्रोजेक्ट लॉन्च, देखें क्या है नया अपडेट

By: ABP Live | Updated at : 07 Oct 2022 05:41 PM (IST)

ई रुपया डिजिटल मुद्रा

E-Rupee Digital Currency In India: भारत में केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (Digital Currency) को लेकर परीक्षण में जुटा हुआ है. आपको बता दे कि भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) ने 7 अक्टूबर शुक्रवार को डिजिटल रुपये (Digital Rupee) पर कॉन्सेप्ट नोट जारी कर दिया है. बैंक पिछले कई महीनों से केंद्रीय बैंक की ओर से डिजिटल करेंसी (Digital Currency) की तर्ज पर डिजिटल रुपये- Central Bank Digital Currency (CBDC) को लेकर परीक्षण कर रहा है. इस बारे में सेंट्रल बैंक (Central Bank) का कहना है कि वह जल्द ही ई-रुपये पर पायलट प्रोजेक्ट लॉन्च करने वाला है. यह पायलट प्रोजेक्ट इस डिजिटल रुपये के कुछ खास इस्तेमाल के लिए शुरू होगा.

डिजिटल रुपया क्या है, क्रिप्टो करेंसी से किस तरह और क्यों अलग है भारत की डिजिटल मुद्रा

डिजिटल क्रांति के दौर में अब रुपया भी डिजिटल हो चुका है। रिजर्व बैंक (RBI) ने हाल ही में 1 नवंबर से डिजिटल करंसी (Digital Currency) यानी ई-रुपया की शुरुआत की। शुरुआती दौर में इस डिजिटल करंसी (Central Bank Digital Currency) का उपयोग पायलट प्रोजेक्ट के तहत केवल होलसेल ट्रांजेक्शन के लिए किया जाएगा।

Digital Currency: डिजिटल क्रांति के दौर में अब रुपया भी डिजिटल हो चुका है। रिजर्व बैंक (RBI) ने हाल ही में 1 नवंबर से डिजिटल करंसी (Digital Currency) यानी ई-रुपया की शुरुआत की। शुरुआती दौर में इस डिजिटल करंसी (Central Bank Digital Currency) का उपयोग पायलट प्रोजेक्ट के तहत केवल होलसेल ट्रांजेक्शन के लिए किया जाएगा। बाद में इसे रिटेल सेगमेंट के लिए भी इस्तेमाल किया जाएगा। कुछ समय तक रिजर्व बैंक इसमें आने वाली चुनौतियों को समझेगा और इसके बाद ही इसे आगे बढ़ाया जाएगा। आखिर क्या है डिजिटल रुपया और ये किस तरह क्रिप्टो करंसी से अलग है, आइए जानते हैं।

बिना इंटरनेट यूज करें डिजिटल करेंसी, कैश रखने से मिलेगी पूरी आजादी

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा - डिजिटल रुपया (थोक खंड) का पहला पायलट परीक्षण मंगलवार यानी एक नवंबर को शुरू किया जा रहा है. यह डिजिटल मुद्रा परीक्षण सरकारी प्रतिभूतियों में लेनदेन के लिए किया जाएगा. आरबीआई ने कहा कि पायलट परीक्षण के तहत सरकारी प्रतिभूतियों में द्वितीयक बाजार लेनदेन का निपटान किया जाएगा. ब्लॉकचेन आधारित Digital Rupee को दो तरह से लॉन्च डिजिटल मुद्रा किया जाना है. पहला होलसेल ट्रांजैक्शन और दूसरा रिटेल में आम पब्लिक के डिजिटल मुद्रा लिए.

हैदराबाद : अब वॉलेट में फिजिकल कैश ले जाने की जरूरत नहीं है. इसके बजाय, आप डिजिटल रूप में मुद्रा ले जा सकते हैं - अपने फोन में बिल्कुल सुरक्षित तरीके से. वह दिन दूर नहीं जब लोगों का अधिकांश वर्ग डिजिटल मुद्रा में स्थानांतरित हो जाएगा. यह सब भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की नई पहलों के साथ संभव होने के लिए तैयार है, जिसमें पहले चरण में और बाद में खुदरा क्षेत्र में थोक खंड में पायलट आधार पर सेंट्रल बैंक डिजिटल मुद्रा (CBDC) शामिल है.

क्या है 'डिजिटल रुपया और इससे लोगों को कितना होगा फायदा? क्या ई-रुपया पर ब्याज भी मिलेगा?

क्या है 'डिजिटल रुपया और इससे लोगों को कितना होगा फायदा? क्या ई-रुपया पर ब्याज भी मिलेगा?

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) केंद्रीय बैंक खुदरा ग्राहकों के लिए डिजिटल मुद्रा 'डिजिटल रुपया' का पायलट परीक्षण एक माह के भीतर शुरू कर सकता है। आरबीआई ने एक बयान में इस बात की जानकारी दी है। आइए जानते हैं डिजिटल रुपया क्या है और इससे ग्राहकों को क्या-क्या फायदा मिलेगा.

  • एक केंद्रीय बैंक की डिजिटल मुद्रा देश की मुख्य मुद्रा का डिजिटल रूप है
  • इसे केंद्रीय बैंक द्वारा जारी और विनियमित किया जाता है
  • सीबीडीसी से वित्तीय समावेशन के साथ भुगतान दक्षता बढ़ती है
  • आपराधिक गतिविधि रोकती है, अंतरराष्ट्रीय भुगतान विकल्पों में सुधार करती है
  • संभावित रूप से शुद्ध लेनदेन
  • लागत को कम करती है

आखिर क्या है डिजिटल रुपया उर्फ CBDC

डिजिटल करेंसी का पूरा नाम सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (Central Bank Digital Currency or CBDC) है. सरकार ने वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में डिजिटल रुपया लाने की घोषणा की थी. 30 मार्च 2022 को सीबीडीसी जारी करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 में संशोधनों को सरकार ने राजपत्र अधिसूचना के माध्यम से अधिसूचित किया था. सीबीडीसी किसी केंद्रीय बैंक की तरफ से जारी होने वाले मौद्रिक नोटों का डिजिटल स्वरूप है. इससे यूजर्स को मौजूदा भुगतान प्रणालियों के साथ अतिरिक्त भुगतान विकल्प मिल पाएंगे. डिजिटल रुपया, डिजिटल रूप में नकद रुपए-पैसे की ही तरह है. इसका उपयोग संपत्ति जमा करने के साधन के बजाय डिजिटल मुद्रा लेनदेन की मुद्रा के रूप में किया जाएगा. CBDC को फिजिकल तौर पर नष्ट, जलाया या फाड़ा नहीं जा सकता है.

जिस देश का केंद्रीय बैंक डिजिटल करेंसी को जारी करता है, उस देश की सरकार की मान्यता इसे हासिल होती है. यह उस देश की केंद्रीय बैंक की बैलेंसशीट में भी शामिल होती है. इसकी खासियत यह है कि इसे देश की सॉवरेन करेंसी में बदला जा सकता है.

लीगल टेंडर है डिजिटल रुपया

भारतीय रिजर्व बैंक का CBDC एक लीगल टेंडर है. CBDC के पीछे भारत के केंद्रीय बैंक RBI का बैकअप रहेगा. यह आम मुद्रा यानी फिएट मुद्रा की तरह ही होगा, लेकिन डिजिटल फॉर्मेट में होगा. फिएट मुद्रा, सरकार द्वारा जारी की जाने वाली करेंसी को कहा जाता है. इसलिए एक प्रकार से कह सकते हैं कि डिजिटल रुपया, सरकारी गारंटी वाला डिजिटल वॉलेट होगा. डिजिटल मुद्रा के रूप में जारी इकाइयों को चलन में मौजूद मुद्रा में शामिल किया जाएगा. जैसे लोग सामान या सेवाओं के बदले करेंसी देते हैं, उसी तरह CBDC से भी आप लेनदेन कर सकेंगे. सरल शब्दों में डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल हम अपने सामान्य रुपये-पैसे के रूप में कर सकेंगे, बस रुपये-पैसे डिजिटल फॉर्म में होंगे.

रिटेल (CBDC-R): रिटेल CBDC संभवतः सभी को इस्तेमाल के लिए उपलब्ध होगी

होलसेल (CBDC-W): इसे सिर्फ चुनिंदा फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस के लिए डिजाइन किया गया है.

क्रिप्टोकरेंसी से कैसे अलग

डिजिटल करेंसी (Digital Currency) और क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) में काफी अंतर है. इसलिए दोनों में कन्फ्यूज न हों. सबसे बड़ा अंतर यह है कि डिजिटल करेंसी को उस देश की सरकार की मान्यता हासिल होती है, जिस देश का केंद्रीय बैंक इसे जारी करता है. डिजिटल रुपये को केंद्रीय बैंक द्वारा विनियमित किया जाता है. इसलिए इसमें जोखिम नहीं होता है. वहीं क्रिप्टोकरेंसी एक मुक्त डिजिटल एसेट या वर्चुअल एसेट है. यह किसी देश या क्षेत्र की सरकार के अधिकार क्षेत्र या कंट्रोल में नहीं है. बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी डिसेंट्रलाइज्ड है और किसी सरकार या सरकारी संस्था से संबंध नहीं है.

RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि डिजिटल रुपये (खुदरा खंड) (e₹-R) का पहला पायलट परीक्षण नवंबर माह के आखिर में शुरू करने की योजना है. आरबीआई की डिजिटल मुद्रा में सौदों का निपटान करने से निपटान लागत में कमी आने की संभावना है. डिजिटल रुपये (थोक खंड) के पहले पायलट परीक्षण में हिस्सा लेने के लिए SBI, बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, HDFC बैंक, ICICI बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, यस बैंक, IDFC फर्स्ट बैंक और HSBC को चुना गया है.

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