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विदेशी मुद्रा क्यों?

विदेशी मुद्रा क्यों?
यह सच है कि सुझाई गई नीति के साथ आरबीआई के भंडार में भी अ​धिक कमी आती। परंतु विदेशी मुद्रा भंडार की बुनियादी भूमिका भी तो यही है कि वह इनका इस्तेमाल उस समय किया जाए जब रुपये की कीमतों में गिरावट आ रही हो। चाहे जो भी हो अभी भी हमारा विदेशी मुद्रा भंडार इतना तो है कि संभावित चालू खाते के घाटे की 65 माह तक भरपाई कर सके। इसके नौ महीने के आयात के बराबर होने का जो वैक​ल्पिक मॉडल पेश किया गया है वह भ्रामक है।

रुपये का मूल्य और विदेशी मुद्रा भंडार

एक डॉलर का मूल्य करीब 82 रुपये हो चुका है। ऐसा इस वर्ष अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व की उस नीति के पश्चात हुआ है जिसमें उसने फेडरल फंड्स की दरों में तेज इजाफा किया था और उन्हें मार्च के 0.25 फीसदी से बढ़ाकर सितंबर में 3.25 फीसदी कर दिया था। अन्य कारकों मसलन तेल कीमतों आदि ने भी मदद नहीं की है।

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने भी हस्तक्षेप नहीं किया और विदेशी मुद्रा भंडार भी 3 सितंबर, 2021 के विदेशी मुद्रा क्यों? 642.45 अरब डॉलर के उच्चतम स्तर से 23 सितंबर, 2022 तक करीब 104.93 अरब डॉलर घट गया। परंतु ये आंकड़े जितना बताते हैं उससे अ​धिक छिपाते हैं। हमें तीन पहलुओं पर विचार करना होगा।

पहली बात, डॉलर वाली परिसंप​त्तियों के अलावा कुछ विदेशी मुद्रा भंडार यूरो, येन विदेशी मुद्रा क्यों? आदि विदेशी मुद्राओं में भी रहता है। विविधता की यह नीति अच्छी है। परंतु हुआ यह कि इन सभी मुद्राओं में काफी अधिक गिरावट आई और इसके चलते रिजर्व बैंक को विदेशी मुद्रा की हानि हुई। बहरहाल, अगर इन अन्य मुद्राओं का अवमूल्यन स्थायी न हो तो उस ​स्थिति में अभी जो नुकसान दिख रहा है वह आगे चलकर नहीं दिखेगा।

दो सालों के निचले स्तर पर फिसला विदेशी मुद्रा भंडार, इस साल विदेशी मुद्रा क्यों? रुपए में आई 7% की गिरावट, अब आगे क्या?

Foreign Exchange Reserves: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने कहा कि देश के विदेशी मुद्रा भंडार में 8 बिलियन डॉलर की गिरावट आई और यह दो सालों के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया है. डॉलर के मुकाबले गिरते रुपए को संभालने के लिए RBI फॉरन रिजर्व का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल कर रहा है.

Foreign Exchange Reserves: देश के विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार गिरावट आ रही है. अब तो यह फिसलकर 2 साल के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया है. 2 सितंबर को समाप्त हुए सप्ताह में देश के विदेशी मुद्रा भंडार में करीब 8 बिलियन डॉलर की गिरावट आई और यह फिसल कर 553 बिलियन डॉलर के स्तर पर पहुंच गया. रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) ने कहा कि यह 9 अक्टूबर 2020 के बाद सबसे न्यूनतम स्तर है. पिछले पांच सप्ताह से लगातार फॉरेक्स रिजर्व में गिरावट देखी जा रही है.

109 पर डॉलर इंडेक्स बंद

इस साल अब तक रुपए में 7 फीसदी की गिरावट आ चुकी है. डॉलर के मुकाबले रुपया इस समय 80 के करीब है. डॉलर इंडेक्स इस सप्ताह 109 के स्तर पर बंद हुआ. फेडरल रिजर्व की तरफ से इंट्रेस्ट रेट में बढ़ोतरी के कारण डॉलर को मजबूती मिल रही है. ऐसे में इमर्जिंग मार्केट्स की करेंसी पर दबाव बहुत ज्यादा है. हालांकि, तुलनात्मक आधार पर रुपए का प्रदर्शन ज्यादा मजबूत है.

जानकारों का कहना है कि डॉलर के मुकाबले फिसलते रुपए को संभालने के लिए रिजर्व बैंक ने लगातार फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व का इस्तेमाल किया. उसने बड़े पैमाने पर डॉलर रिजर्व बेचे, जिससे रुपए को मजबूती मिली है. पिछले कुछ महीनों में रुपए ने कई बार 80 के स्तर को पार किया है, लेकिन उसमें रिकवरी आई है.

करेंसी असेट्स में सबसे ज्यादा गिरावट

विदेशी मुद्रा भंडार में 8 बिलियन डॉलर की गिरावट में सबसे बड़ा योगदान फॉरन करेंसी असेट्स का रहा. यह 498.65 बिलियन डॉलर से फिसल कर 492.12 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया. गोल्ड रिजर्व 39.64 बिलियन डॉलर से फिसलकर 38.30 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया है.

इधर रुपए के प्रदर्शन को लेकर IIFL सिक्यॉरिटीज के अनुज गुप्ता ने कहा कि आने वाले सप्ताह में रुपए में मजबूती आ सकती है. डॉलर के मुकाबले रुपया 79.20 से 80 के दायरे में ट्रेड कर सकता है. ग्लोबल मार्केट में तेजी और कच्चे तेल के दाम में गिरावट के कारण रुपए को मजबूती मिलेगी. इंटरनेशनल मार्केट में ब्रेंट क्रूड इस सप्ताह 93 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर और WTI क्रूड 87 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर बंद हुआ. डॉलर इंडेक्स इस सप्ताह 109 के स्तर पर बंद हुआ जो ओवरबाउट जोन में है. इसमें करेक्शन आएगा, जिससे रुपए को मजबूती मिलेगी.

Forex Reserves: विदेशी मुद्रा भंडार ने बढ़ाई टेंशन, लगातार 8वें हफ्ते आई गिरावट

Forex Reserves: विदेशी मुद्रा भंडार ने बढ़ाई टेंशन, लगातार 8वें हफ्ते आई गिरावट

देश के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का सिलसिला जारी है। बीते 23 सितंबर को समाप्त सप्ताह में यह 8.134 अरब डॉलर घटकर 537.518 अरब डॉलर रह गया। इससे पिछले सप्ताह 5.2 अरब डॉलर से अधिक घटकर 545.54 अरब डॉलर रह गया था। यह लगातार आठवां सप्ताह है जब विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट आई है।

वजह क्या है: विदेशी मुद्रा आस्तियों (एफसीए) में गिरावट के विदेशी मुद्रा क्यों? कारण 23 सितंबर को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार में कमी आई है। एफसीए समग्र भंडार का एक प्रमुख हिस्सा होता है। आरबीआई विदेशी मुद्रा क्यों? के मुताबिक इस दौरान एफसीए 7.688 अरब डॉलर घटकर 477.212 अरब डॉलर रह गया।

जानिए क्यों है ये चिंता का कारण? भारत का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार घट रहा

भारतीय रिजर्व बैंक के ताजा आंकड़ों के अनुसार भारत का विदेशी मुद्रा भंडार आठ जुलाई को समाप्त हुए सप्ताह विदेशी मुद्रा क्यों? में 8.062 अरब डॉलर घटकर 15 महीनों के सबसे निचले विदेशी मुद्रा क्यों? स्तर 580.252 अरब डॉलर पर आ गया है। आरबीआई की ओर से जारी साप्ताहिक आंकड़ों से पता चलता है कि फॉरेन करेंसी असेट्स (एफसीए) में गिरावट के कारण विदेशी मुद्रा भंडार में कमी आई है। एफसीए, स्वर्ण भंडार और पूरे विदेशी मुद्रा भंडार का प्रमुख हिस्सा है।

बीते हफ्ते में एफसीए 6.656 अरब डॉलर घटकर 518.09 अरब डॉलर रह गया है। एफसीए में विदेशी मुद्रा भंडार में रखे गए यूरो, पाउंड और येन जैसी गैर अमेरिकी करेंसी का बढ़ना या गिराना दोनों का असर शामिल है। वहीं इस दौरान सोने का भंडार 1.236 अरब डॉलर गिरकर 39.186 अरब डॉलर पर आ गया है। वहीं बीते हफ्ते में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के साथ स्पेशल ड्राइंग राइट्स (SDR) 122 मिलियन डॉलर घटकर 18.012 बिलियन डॉलर रह गया है।

Forex Reserves: 7 हफ्तों से घटता जा रहा देश का विदेशी मुद्रा भंडार, जानिए क्यों आ रही इसमें गिरावट

देश के विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserves) में लगातार सातवें हफ्ते गिरावट दर्ज की गई। RBI के आंकड़ों के मुताबिक, 16 सितंबर को खत्म हुए सप्ताह में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 5.219 अरब डॉलर घटकर 545.652 अरब डॉलर रह गया। यह पिछले 2 सालों (2 अक्टूबर 2020 के बाद) का इसका सबसे निचला स्तर है। RBI ने शुक्रवार 23 सितंबर को यह जानकारी दी।

इससे पिछले सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 2.23 अरब डॉलर घटकर 550.87 अरब डॉलर रहा था।

16 सितंबर को खत्म हुए सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार में कमी के पीछे सबसे मुख्य वजह फॉरेन करेंसी एसेट्स (FCA) में 4.7 अरब डॉलर की गिरावट रही, जो अब घटकर 484.90 अरब डॉलर पर आ गया। फॉरेन करेंसी एसेट्स (FCA), विदेशी मुद्रा क्यों? दरअसल कुल विदेशी मुद्रा भंडार का सबसे बड़ा और प्रमुख हिस्सा होता है।

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