ETF का इतिहास

गोल्ड ईटीएफ सबसे तगड़ा निवेश फरवरी 2020 में हुआ
इस साल गोल्ड ईटीएफ में सबसे बड़ा निवेश फरवरी में दर्ज किया गया. निवेशकों ने फरवरी 2020 के दौरान गोल्ड ईटीएफ में 1,483 करोड़ रुपये लगाए. इससे पहले जनवरी में निवेशकों ने गोल्ड ईटीएफ में 2020 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया. वहीं, मार्च के दौरान लोगों ने मुनाफावसूली की और 195 करोड़ रुपये वापस खींच लिए. कोरोना वायरस संकट के बीच अप्रैल के दौरान गोल्ड ईटीएफ में 731 करोड़ रुपये का ETF का इतिहास निवेश हुआ. फिर मई में 815 करोड़ रुपये, जून में 494 करोड़, जुलाई में 921 करोड़, अगस्त ETF का इतिहास में 908 करोड़ और सितंबर में 597 करोड़ रुपये का निवेश हुआ.
डेली न्यूज़
भारत बॉण्ड ETF का का भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव, CPSEs, CPSUs ,CPFIs तथा अन्य सरकारी संगठनों के लिये पूंजी के अतिरिक्त स्रोत के तौर पर ETF कितना प्रभावी ETF का इतिहास है?
4 दिसंबर, 2019 को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) ने भारत बॉण्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF) को बनाने और लॉन्च करने की योजना को मंज़ूरी दे दी है।
कोरोना संकट के बीच गोल्ड ईटीएफ ने रचा इतिहास! सितंबर तिमाही में हुआ तगड़ा निवेश
- News18Hindi
- Last Updated : October 31, 2020, 17:00 IST
नई दिल्ली. कोरोना वायरस (Coronavirus Crisis) और अमेरिकी चुनावों (US Elections) के कारण अनिश्चितता से भरे आर्थिक माहौल में लोग जोखिम लेने से कतरा रहे हैं. ज्यादातर लोग निवेश के सुरक्षित विकल्पों की ओर ETF का इतिहास रुख कर रहे हैं. इसी कड़ी में सितंबर तिमाही के दौरान निवेशकों ने गोल्ड ईटीएफ (Gold ETF) में 2,426 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश (Net Inflow) किया है. एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) के आंकड़ों के मुताबिक, निवेशकों ने सितंबर 2019 तिमाही के दौरान गोल्ड ईटीएफ में 172 करोड़ रुपये लगाए थे.
गोल्ड ईटीएफ से निवेशकों का मोहभंग, पहली तिमाही में 150 करोड़ रुपये निकाले
गोल्ड एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ईटीएफ ETF) से निवेशकों का लगातार मोहभंग होता जा रहा है. चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में गोल्ड ईटीएफ से 150 करोड़ रुपये की निकासी की गई. निवेशकों के लिए शेयर बाजार पसंदीदा विकल्प बना हुआ है.
गोल्ड ईटीएफ प्रबंधन के तहत परिसंपत्तियां (एयूएम) जून अंत में 12 प्रतिशत गिरकर 4,567 करोड़ रुपये रह गयी , जो कि एक वर्ष पहले 5,174 करोड़ रुपये थी.
यह भी पढ़ें
पिछले पांच वित्त वर्षों से गोल्ड ईटीएफ में लगातार गिरावट आ रही है. वित्त वर्ष 2017-18 में गोल्ड ईटीएफ से 835 करोड़ रुपये , 2016-17 में 775 करोड़ रुपये , 2015-16 में 903 करोड़ रूपये , 2014-15 में 1,475 करोड़ और 2013-14 में 2,293 करोड़ रुपये की निकासी की गई.
मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट एडवाइजर (भारत) निदेशक, प्रबंधक (शोध) कौस्तुभ बेलापुरकर ने कहा , " गोल्ड ईटीएफ में पिछले पांच वर्ष से निकासी जारी है. वर्ष 2005 के बाद से कई वर्ष तक सोने की कीमतों में तेजी रही और 2011-12 में यह बढ़कर नई ऊंचाई पर पहुंच गया और फिर इसमें तेजी से गिरावट आई. तब से सोना 1,100-1,400 डॉलर प्रति औंस के दायरे में है. "
उन्होंने कहा कि इसकी तुलना में शेयर बाजार में 2014 के बाद से तेजी जारी है , जिससे परिसंपत्ति वर्ग में निवेशक शेयरों का रुख कर रहे हैं. चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में इक्विटी योजनाओं में 33,000 करोड़ रुपये का निवेश हुआ.
सस्ता होता है निवेश
निफ्टी 50 ईटीएफ में निवेश अपेक्षाकृत सस्ता पड़ता है. चूंकि ईटीएफ निफ्टी 50 इंडेक्स को निष्क्रिय रूप से (passively) ट्रैक करता है और इंडेक्स घटकों (constituents) में सीमित ETF का इतिहास ETF का इतिहास या कोई मंथन नहीं होता है, इसलिए लागत कम होती है. खर्च अनुपात या दूसरे शब्दों में, जो फंड चार्ज करते हैं, वह सिर्फ 2 से 5 आधार अंक (0.02-0.05%) है. एक आधार अंक प्रतिशत का सौवां हिस्सा होता है.
निफ्टी 50 ईटीएफ में निवेश करके आप बहुत अधिक जोखिम उठाए बिना वर्षों तक बाजार की गतिशीलता ( market dynamics) को समझना शुरू कर सकते हैं. जब आप बाजारों को चलाने वाले विभिन्न कारकों से खुद से परिचय कराते हैं तो आप अपनी जोखिम लेने की क्षमता (risk appetite), लक्ष्य, समय ETF का इतिहास सीमा और निवेश करने योग्य सरप्लस के आधार पर छोटे और मिडकैप शेयरों या म्यूचुअल फंड का पता लगा सकते हैं. इस प्रकार आप निफ्टी-50 ईटीएफ के जरिये बाजार में निवेश की यात्रा शुरू कर सकते हैं.
ये भी पढ़ें
निवेशकों को ले डूबा ये क्रिप्टो एक्सचेंज, एक झटके में गायब हुए 8054 करोड़ रुपये!
PNB लाया बंपर ऑफर, इस स्पेशल FD स्कीम पर मिल रहा 7.85% ब्याज
पर्सनल फाइनेंस: आर्थिकमंदी के इस दौर में 3 से 5 साल के लिए सोने में करें निवेश, मिल सकता है बड़ा लाभ
इतिहास गवाह है कि जब भी शेयर बाजार में नुकसान की आशंका हो, डॉलर की तुलना में अन्य मुद्रा कमजोर पड़ने की नौबत हो तो सोने के भाव में उछाल देखा जाता है। भारत में सोने का दाम 1965 की तुलना में अभी 746 गुना ज्यादा है। कोरोना संक्रमण के बाद दुनिया में सोने की मांग बढ़ी है और जब भी सोने का दाम पिछले उच्च स्तर के ऊपर गया है, उसकी गति में अप्रत्याशित तेजी आई है। इतना तय है कि 3 से 5 साल कि अवधि ETF का इतिहास के लिए सोने में निवेश अप्रत्याशित लाभ दे सकता है।