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रिटेल और ई

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Adani Group का प्‍लान अब ई-कॉमर्स में कदम रखने की है। (फाइल फोटो)

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सैमसंग ने उन्‍नत उपभोक्‍ता अनुभव के लिए पेश किया इंटरेक्टिव ई-कैटलॉग,टिकाऊ पर्यावरण की दिशा में उठाया एक और कदम

एक हरित पहल, जिसका लक्ष्‍य रिटेल के माध्‍यम से उपभोक्‍ता सुरक्षा को बढ़ाना, खरीद अनुभव को बेहतर बनाना और कार्बन फुटप्रिंट को कम करना है

अपने नजदीकी रिटेल स्‍टोर पर जाने से पहले उत्‍पाद के बारे में सही निर्णय लेने में उपभोक्‍ताओं की करेगा मदद

भारत के सबसे बड़े और भरोसेमंद इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स ब्रांड सैमसंग ने आज उपभोक्‍ताओं के लिए एक सुरक्षित और उन्‍नत खरीद अनुभव उपलब्‍ध कराने के उद्देश्‍य से अपने विविध पोर्टफोलियो के लिए एक इंटरेक्टिव ईकैटलॉग को लॉन्‍च करने की घोषणा की है। प्रिंटेड ब्रोशर्स के उपयोग को कम करके पर्यावरण में योगदान देने की दिशा में यह कंपनी द्वारा बढ़ाया गया एक और कदम है।

ई-कैटलॉग के माध्‍यम से, उपभोक्‍ता स्‍मार्टफोन , वियरेबल्‍स , टेलीविजन और अन्‍य डिजिटल एप्‍लाएंसेस जैसे रेफ्रीजरेटर्स , वॉशिंग मशीन , एयर कंडीशनर्स , एयर प्‍यूरीफायर्स , स्‍मार्ट ओवंस और साउंड डिवाइसेस की संपूर्ण रेंज को देख पाएंगे।

ई-कैटलॉग प्रोडक्‍ट बेनेफि‍ट्स, हाई-रेजोल्‍यूशन पिक्‍चर्स और अनबॉक्सिंग वीडियो दिखाकर उपभोक्‍ताओं को प्रोडक्‍ट फीचर्स के बारे में पूरी जानकारी व समझ प्रदान करता है। उपभोक्‍ता प्रत्‍येक प्रोडक्‍ट कैटेगरी में प्रमुख स्‍पेसिफि‍केशंस के साथ मॉडल्‍स की तुलना और उनका चयन कर सकते हैं। ई-कैटलॉग एकसमान अनुभव के लिए सभी प्रोडक्‍ट कैटेगरी में समान लुक और फील की पेशकश करता है।

आशीष बंसल, वाइस प्रेसिडेंट , कॉरपोरेट मार्केटिंग , सैमसंग इंडिया ने कहा, सैमसंग में, हम जो भी करते हैं उसके केंद्र में उपभोक्‍ता होता है और उपभोक्‍ता सुरक्षा हमारे लिए अत्‍यंत महत्‍वपूर्ण है। हम अपने उपभोक्‍ताओं को विशिष्‍ट अनुभव उपलब्‍ध कराने के लिए भी प्रतिबद्ध हैं। अपने नई ई-कैटलॉग के साथ हम अपने उपभोक्‍ताओं को एक उन्‍नत खरीद अनुभव की पेशकश और अपने रिटेल पार्टनर्स की मदद करना चाहते हैं। ई-कैटलॉग सैमसंग स्‍मार्टफोंस और कंज्‍यूमर ड्यूरेबल्‍स के बारे में विस्‍तृत जानकारी प्रदान करता है, जिससे उपभोक्‍ता अपने घर पर ही आराम व सुरक्षा के साथ खरीद निर्णय लेने और रिटेल स्‍टोर्स पर कम समय बिताने की सुविधा मिलती है।

ई-कैटलॉग ब्रांड के रिटेल पार्टनर्स को भी अपने उपभोक्‍ताओं के साथ निर्बाध तरीके से जोड़ने में मदद करता है, विशेषकर आगामी फेस्टिव सीजन से पहले। रिटेल पार्टनर्स अब ईमेल्‍स, व्‍हाट्सएप मैसेज और टेक्‍स्‍ट के जरिये उपभोक्‍ताओं के साथ प्रोडक्‍ट संबंधी जानकारी को आसानी से साझा कर सकते हैं।

मौजूदा परिस्थितियों में, उपभोक्‍ता कल्‍याण और सुरक्षा सबसे महत्‍वपूर्ण होने के साथ, ई-कैटलॉग का उद्देश्‍य अपने नजदीकी रिटेल स्‍टोर पर जाने से पहले उपभोक्‍ताओं को उनके घर के सुरक्षित वातावरण में ही प्रोडक्‍ट के बारे में सही निर्णय लेने में मदद करना है।

ई-कैटलॉग, जो ब्रांड की हरित पर्यावरण के प्रति प्रतिबद्धता को दोहराता है, को मोबाइल पर देखने के लिए भी अनुकूलित किया गया है। उपभोक्‍ताओं को बैंडविथ की चिंता किए बिना ई-कैटलॉग को लो-रेजोल्‍यूशन या हाई-रेजोल्‍यूशन में डाउनलोड करने का विकल्‍प मिलता है। सैमसंग ने नए प्रोडक्‍ट्स की जानकारी के साथ ई-कैटलॉग को नियमित रूप से अपडेट करने की भी योजना बनाई है।

अब ई-कॉमर्स कंपनियों को टक्‍कर देगा Adani Group, जानें- गौतम अडानी का क्‍या है प्‍लान

भारत के दूसरे नंबर के सबसे अमीर व्‍यक्ति गौतम अडानी अब ई- कॉमर्स में अपना कारोबार बढ़ाने को विचार कर रहे हैं। अडानी ग्रुप और अमेरिका की दिग्‍गज रिटेल कंपनी वॉलमार्ट इंक की फ्लिपकार्ट के बीच साझेदारी की बातचीत चल रही है।

अब ई-कॉमर्स कंपनियों को टक्‍कर देगा Adani Group, जानें- गौतम अडानी का क्‍या है प्‍लान

Adani Group का प्‍लान अब ई-कॉमर्स में कदम रखने की है। (फाइल फोटो)

भारत के दूसरे नंबर के सबसे अमीर व्‍यक्ति गौतम अडानी अब ई- कॉमर्स में अपना कारोबार बढ़ाने को विचार कर रहे हैं। अडानी ग्रुप और अमेरिका की दिग्‍गज रिटेल कंपनी वॉलमार्ट इंक की फ्लिपकार्ट के बीच साझेदारी की बातचीत चल रही है। इन दोनों के बीच थोक ई-कॉमर्स और किराने का सामान, घरेलू सामान की सोर्सिंग को लेकर समझौता होगा।

अभी अडानी ग्रुप और फ्लिपकार्ट के बीच वेयरहाउसिंग और डेटा सेंटर में पार्टनरशिप चल रही है। हालाकि अब होलसेल ई-कॉमर्स और किराने तथा घरेलू सामान की सोर्सिंग तक व्‍यापार करने की योजना बनाई गई है। अगर ऐसा होता है तो आने वाले समय में मुकेश अंबानी की कंपनी (जियो मार्ट) और अमेजन जैसे ई-कॉमर्स कंपनियों को कड़ी टक्‍कर मिल सकती है।

जुड़ेंगे नए और पुराने थोक ग्राहक
रिपोर्ट के अनुसार, अडानी ग्रुप एक रणनीतिक साझेदारी के लिए वॉलमार्ट के साथ एक नया समझौता कर सकता है, जिसके तहत फ्लिपकार्ट को अपने प्रोडक्‍ट की एक सीरीज बेच सकता है। इसके बाद दोनों इसे बेचकर लाभ उठा सकते हैं। मिंट की एक रिपोर्ट के अनुसार, सूत्रों ने बताया कि इस साझेदारी से उत्पादों को बेचने के साथ ही खुदरा विक्रेता और नए थोक ग्राहक भी जुड़ेंगे।

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अडानी और फ्लिपकार्ट दोनों एक साथ दुकानों और व्‍याप‍ारियों को थोक थोक में सामान की सप्‍लाई करेगी। बता दें कि वॉलमार्ट भारत में फ्लिपकार्ट ग्रुप की बिजनेस-टू-बिजनेस आर्म फ्लिपकार्ट होलसेल के जरिए अपना ऑनलाइन होलसेल बिजनेस करती है। फ्लिपकार्ट होलसेल का वित्त वर्ष 2011 का राजस्व पिछले वर्ष से 25% बढ़कर 42,941 करोड़ हो गया जबकि घाटा 22% घटकर 42,445 करोड़ हो चुका है।

फ्लिपकार्ट रिटेल और ई को क्‍या होगा लाभ
यह साझेदारी फ्लिपकार्ट को अमेज़ॅन और JioMart जैसे कम्‍पीट करने वाले कंपनियों के खिलाफ मजबूत कर सकती है। वहीं मौजूदा चर्चाओं के अनुसार, अडानी ग्रुप फ्लिपकार्ट को कई नई भंडारण सुविधाएं वाहन और जनशक्ति प्रदान करेगा ताकि फ्लिपकार्ट अपने थोक व्यापार को बढ़ा सके और दुकानों, खुदरा विक्रेताओं और डिपार्टमेंट स्टोरों को बड़ी छूट के साथ ऑनलाइन उत्पाद पेश कर सके। फ्लिपकार्ट होलसेल के देश में 28 बेस्ट प्राइस स्टोर हैं।

देश के रिटेल कारोबार को बर्बाद कर देगी वालमार्ट

देश के रिटेल कारोबार को बर्बाद कर देगी वालमार्ट

दुनिया की सबसे बड़ी रिटेल कंपनी कंपनी वालमार्ट ने हाल ही में भारतीय ऑनलाइन परिचालक फ्लिपकार्ट की 77 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने का एलान किया है। यह सौदा 16 अरब डालर यानी करीब 1Û05 लाख करोड़ रुपए में हुआ है। वालमार्ट का यह अब तक का सबसे बड़ा अधिग्रहण होने के साथ-साथ ई-कामर्स क्षेत्र का सबसे बड़ा सौदा है। इस सौदे से वालमार्ट को भारत के ई-कॉमर्स बाजार में प्रवेश मिलेगा। 130 करोड़ की आबादी वाले भारत में अमेरिकी कंपनी वालमार्ट कई साल से पैर पसारने की कोशिशें कर रही थी, जो कि अब कामयाब हुई है। अलबत्ता वॉलमार्ट चार साल पहले भारतीय बाजार में उतरी थी, लेकिन तब उसने खुद को सिर्फ कैश एंड कैरी थोक कारोबार तक ही सीमित रखा था। ऐसा उसने अपनी मर्जी से नहीं किया था, बल्कि विदेशी निवेश को लेकर सरकार की पाबंदियां इसकी वजह थी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विपक्ष के जबर्दस्त विरोध के चलते भले ही खुदरा व्यापार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को मंजूरी नहीं दी, लेकिन खुदरा ई- कॉमर्स में उन्होंने अमेरिका के आगे घुटने टेक दिए। मोदी सरकार ने इस क्षेत्र में 100 फीसदी विदेशी निवेश की इजाजत दे दी। ई- कॉमर्स में विदेशी निवेश की इजाजत के बाद, अमेजन और वालमार्ट जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए देश में अप्रत्यक्ष तौर पर व्यापार करने के लिए रास्ता खुल गया।

ई-कॉमर्स में विदेशी निवेश की इजाजत के अपने फैसले के पक्ष में सरकार की ओर से अब कई दलीलें दी जा रही हैं। मसलन ई-कॉमर्स में 100 फीसदी रिटेल और ई विदेशी निवेश से इस क्षेत्र में नई तकनीक आएगी और सप्लाई चेन में सुधार होगा। अमेजन और वालमार्ट जैसी कंपनियों की आपसी प्रतिस्पर्धा से भारतीय ग्राहकों को फायदा होगा। ग्राहकों को डिस्काउंट और नए-नए ऑफर्स मिलेंगे। 5 अरब डॉलर के भारतीय ई-कॉमर्स मार्केट की ग्रोथ में तेजी आएगी और सर्विस में सुधार होगा। ई-काॅमर्स कंपनियों की स्टॉक क्वालिटी और डिलीवरी सर्विसेज में भी सुधार होगा। हजारों नौजवानों को रोजगार मिलेगा। एक तरफ ई-कॉमर्स में विदेशी निवेश को लेकर सरकार के ये बड़े-बड़े दावे हैं, तो दूसरी ओर भारतीय कंपनियों को चिंता है कि उनका धंधा अब चैपट हो जाएगा। यही वजह है कि घरेलू व्यापारी सरकार की इस नीति का शुरू से ही हर मोर्चे पर विरोध कर रहे हैं। विरोध की वजह भी है। सरकार के इस अकेले फैसले से देश के व्यापारी और खासकर छोटे व्यापारी बुरी तरह से प्रभावित होंगे। लघु और मध्यम उद्योगों से जुड़े हुए लोग, जिनकी तादाद इस वक्त देश में 4 करोड़ 25 लाख होगी और जिनसे 10 करोड़ 5 लाख लोगों को रोजगार मिला हुआ है, वे बर्बाद हो जाएंगे। ट्रेडर्स का कहना है कि वालमार्ट ऑनलाइन मार्केट के जरिए देश के ऑफलाइन बाजार में उतरेगी, जिससे छोटे रिटेलर्स का धंधा चैपट हो जाएगा। यह बहुराष्ट्रीय कंपनियां दुनिया में कहीं से भी सामान लाएंगी और देश को डंपिंग ग्राउंड बना देंगी। ऐसे में भारतीय कंपनियां, प्रतिस्पर्धा में पिछड़ जाएंगी। उनके धंधे-कारोबार बर्बाद हो जाएंगे।

भारत दुनिया का सबसे आकर्षक खुदरा बाजार है। इसका आकार और वृद्धि दर दुनिया भर की बड़ी कंपनियों को हमेशा आकर्षित करती रहती हैं। भारतीय उपभोक्ता तेजी से ऑनलाइन कॉमर्स पर शिफ्ट हो रहे हैं। अमेरिका और चीन के बाद भारतीय ई-कामर्स मार्केट ही ऐसा मार्केट है, जहां पर ग्रोथ की सबसे अधिक संभावना है। भारत में ऑनलाइन शॉपिंग का कारोबार तेजी से फैल रहा है और मार्केट रिसर्च फर्मों का दावा है कि पिछले साल ये कारोबार 2100 करोड़ डॉलर था। मॉर्गन स्टैनली की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक भारत में साल 2026 तक ऑनलाइन कारोबार 200 अरब डॉलर तक पहुँच जाएगा। यानी अगले आठ साल में इसमें 9 से 10 गुना तक बढ़ोतरी होगी। जाहिर है कि यही आंकड़े बहुराष्ट्रीय कंपनियों को लुभा रहे हैं। मौका मिलते ही इन कंपनियों ने भारत में प्रवेश कर लिया। वालमार्ट अमेरिका का सबसे बड़ा काॅरपोरेशन है। साल 2017 में इसकी विश्व स्तर पर कुल बिक्री 495 अरब डाॅलर थी। इसमें से 317 अरब डाॅलर की अकेले बिक्री अमेरिका में है। अमेरिका में वालमार्ट 70 से 80 फीसदी सामान चीन का बना बेचता है। जबकि वालमार्ट के संस्थापक सैम वाल्टन का कहना था कि जहां तक मुमकिन होगा, उनकी कंपनी अमेरिका में बने माल को ही खरीदने के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन आज स्थिति यह है कि वह चीनी सामान का मुख्य विक्रेता है। लिहाजा मुनाफा अमेरिकी कंपनी के हिस्से, तो रोजगार चीनियों को मिल रहा है।

विकसित और विकासशील देशों में हुए अनेक अध्ययन यह बतलाते हैं कि खुदरा व्यापार की बड़ी कंपनियां रोजगार पैदा नहीं करतीं, बल्कि खत्म कर देती हैं। थोक खरीद से उत्पादक को मिलने वाली कीमत कम होती जाती है और लाभ उपभोक्ताओं को होता है। सबसे ज्यादा नुकसान किसानों को होता है। मसलन 30 अरब डॉलर से ज्यादा के विश्व बाजार में कॉफी उत्पादकों को पहले 10 अरब डाॅलर रिटेल और ई की कमाई होती थी, लेकिन अब विश्व बाजार का आकार 60 अरब डॉलर से ज्यादा हो गया है, पर उनकी कमाई 6 अरब डॉलर से कम हो गई है। ई-काॅमर्स में सौ फीसदी विदेशी निवेश फैसले का असर भारत में यह होगा कि वालमार्ट के जरिए चीन से सारा माल देश में आएगा और यह कारोबार देश के छोटे कारोबारियों, खास तौर पर लघु और मध्यम उद्योगों को निपटा देगा। वालमार्ट के आने से पहले ही चीन से होने वाले सस्ते निर्यात से इन उद्योगों की हालत खराब है। वालमार्ट के आने के बाद हालत और खराब हो जाएंगे। देश में इस वक्त लगभग 7 करोड़ रिटेलर्स हैं, जिनमें से लगभग 3 करोड़ रिटेलर्स को वालमार्ट-फ्लिपकार्ट की डील से सीधे तौर पर नुकसान होने की संभावना है। भारत के ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों सेगमेंट के रिटेलर्स को मिलाकर कुल 40 लाख करोड़ रुपए सालाना का रिटेल कारोबार होता है, जिसमें कम से कम 20 लाख करोड़ के बिजनेस को नुकसान होगा। जहां तक नए रोजगार पैदा होने की बात है, तो कुछ लोगों को जरूर रोजगार मिलेगा, लेकिन ज्यादातर लोग बेरोजगार हो जाएंगे। रिटेलर्स कां धंधा गिरने से वे अपने यहां काम करने वाले लोगों को निकालेंगे, इससे 5 लाख लोगों की नौकरियों पर संकट आ सकता है। यही नहीं भारतीय रिटेलर्स प्रतिस्पर्धा में पिछड़ जाएंगे। ऑनलाइन वेंडर्स को भी इस डील से नुकसान होगा। देश में ऑनलाइन वेंडर्स की तादाद अभी 8 से 10 हजार है, उनके लिए भी ये डील परेशानी का सबब बनेगी।

एक तरफ मोदी सरकार ‘मेक इन इंडिया’ और ‘स्किल इंडिया’ जैसे नारे देती है, तो दूसरी ओर वॉलमार्ट जैसी कंपनियों को भारत में आने दिया जा रहा है, जो मनी पावर से व्यापारियों को खत्म करने के लिए कुख्यात हैं। दावा किया जा रहा है कि ई-काॅमर्स में विदेशी निवेश से नए रोजगार पैदा होंगे। यहां पर सवाल उठना लाजिमी है कि कुछ हजार रोजगार के बदले, लाखों लोगों का उनकी आजीविका से विस्थापन क्या वास्तव में सही नीति है ? सरकार इस संबंध में शुरू से ही एक और दलील देती आई है कि ई- कॉमर्स में विदेशी निवेश से किसानों का भला होगा, उन्हें अपनी उपज के वाजिब दाम मिलेंगे। सरकार की इस दलील के जवाब में उससे यह सवाल पूछा जा सकता है कि यदि वास्तव में ऐसा है, तो किराना कारोबार में लगी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के अपने देशों में वहां की सरकारंे, किसानों को खेती में भारी सबसिडी क्यों दे रहीं है ? देश में जब भी कहीं ई- कॉमर्स में विदेशी निवेश फैसले का विरोध होता है, तो केन्द्र सरकार के साथ-साथ उद्योग जगत यह राग अलापने लगता है कि इस तरह के फैसलों से देश में विदेशी निवेश लाने के प्रयासों को झटका लगेगा। नए रोजगार की संभावनाओं को धक्का लगेगा। पर इन बातों में पूरी सच्चाई नहीं। दुनिया में शायद ही कोई ऐसा देश हो, जहां रिटेल सेक्टर में एफडीआई से रोजगार बढ़ा रिटेल और ई हो। जब भी बड़े कारोबारी इस क्षेत्र में आए हैं, बेरोजगारी और ज्यादा बढ़ी है। स्थिति सुधरने की बजाय और ज्यादा बिगड़ी हैं।

वॉलमार्ट का इतिहास रहा है कि वो बहुत कम कीमत पर सामान बेचकर छोटे-मोटे कारोबारियों को अपने रास्ते से हटा देती है। उसके पास पैसे की कमी नहीं है, दुनिया भर के बाजारों में उसकी पहुँच है। ऐसे में वो दूसरे देशों का सस्ता सामान भारत में डंप कर देगी और खामियाजा देशी उद्योगों, किसानों को भुगतना पड़ेगा। ई-काॅमर्स में विदेशी निवेश, घरेलू कारोबार को पूंजीवाद के कड़े शिकंजे में लेने का ही एक जरिया है। इस फैसले से देशी कारोबारियों के अस्तित्व पर ही संकट खड़ा हो जाएगा। यह फैसला न सिर्फ हमारे छोटे कारोबारियों को नुकसान पहुंचाएगा, बल्कि किसानों, ट्रांसपोर्टर, कामगारों और खुदरा कारोबार से जुड़े कई अन्य पक्षों के लिए भी घातक साबित होगा। बहुराष्ट्रीय कंपनियों का मकसद, बाजार में उतरते ही ज्यादा से ज्यादा बाजार हिस्सेदारी हासिल करना होगा। उनकी आउटसोर्सिंग क्षमताओं, संसाधनों और सरकारों के साथ संबंध बनाने के ‘हुनर’ को देखते हुए उनके लिए ऐसा करना बिलकुल भी मुश्किल रिटेल और ई नहीं होगा और जब एक बार वे बाजार पर काबिज हो जाएंगे, तो फिर मनमाने तरीके से बाजार को चलाएंगे और लोगों से उलूल-जुलूल दाम वसूलेंगे। जो कि न तो अंत में उपभोक्ताओं के हित में होगा और न ही देश के।

रिटेल मार्केट से आई गुड न्यूज़! नवंबर में रिटेल बिक्री प्री-कोविड स्तर के मुकाबले 9% बढ़ी, देखें

कोरोना का खतरा अभी पूरी तरह भले ही न टला हो लेकिन नवंबर महीने के बिक्री के आंकड़े कारोबारियों के चेहरे पर मुस्कान जरूर ला रहे हैं. दिवाली के महीने यानी नवंबर में भारतीयों ने जमकर खरीदारी की. इसी खरीदारी के दम पर अर्थव्यवस्था ने नवंबर में जबरदस्त छलांग लगाई थी. नवंबर के ये आंकड़े आर्थिक रिकवरी की तस्वीर पेश कर रहे हैं. रिटेल सेक्टर के संगठन रिटेलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया यानी RAI ने कहा है कि घरेलू बाजार में नवंबर में रिटेल बिक्री प्री-कोविड स्तर यानी नवंबर 2019 के मुकाबले नौ फीसदी बढ़ गई है. देखें पूरी खबर.

According to the Retailers Association of India (RAI) survey, the retail sales grew 9% in November compared to pre-covid (November 2019). Watch this video to know more about this story.

अब घर बैठे ऑनलाइन खरीदें अपनी मनपसंद ऑडी कार, कंपनी ने ई-रिटेल प्लेटफार्म किया लॉन्च

ऑडी ने अपना ऑनलाइन रिटेल सेल्स प्लेटफार्म लॉन्च किया है, जिसके चलते अब ग्राहक घर बैठे अपनी मनपसंद ऑडी कार को ऑनलाइन बुक कर सकते हैं। कंपनी ने कोरोना वायरस और लॉकडाउन के चलते अपने ग्राहकों को सहूलियत देने के लिए यह सर्विस शुरू की है।

ऑडी इंडिया के हेड बलबीर सिंह ने कहा कि "हम डिजिटल भविष्य में पहले से ही विश्वास रखते हैं, कोविड-19 ने इस विश्वास को और अधिक मजबूत कर दिया है।"

कंपनी के अनुसार अब ग्राहक अपनी मनपसंद ऑडी कार को ऑनलाइन ही बुक कर सकेगा, इसके लिए उसे डीलरशिप पर आने की जरूरत नहीं होगी। इसके लिए उसे यहां जरूरी चीजें जैसे फाइनेंस आदि की भी सुविधा दी जा रही है। यदि आप ऑडी के पुराने ग्राहक हैं और अपनी कार की सर्विस के लिए अपॉइंटमेंट लेना चाहते हैं तो इसे भी आप ऑडी इंडिया की वेबसाइट से ऑनलाइन ही बुक कर सकते हैं। ऑडी वेबसाइट पर आप अपने हिसाब से पिक-अप और ड्रॉप टाइमिंग सेट कर सकते हैं। कंपनी की योजना अब ग्राहकों को ऑनलाइन ही रियल टाइम सर्विस स्टेटस की जानकारी को भी अपडेट करने की है। पिछले साल ऑडी ने अपनी कई कारों में कनेक्टेड कार टेक्नोलॉजी देना शुरू किया था, जो गाड़ी से जुड़ी कई जानकारियां प्रोवाइड करवाता है।

ऑडी अपने ग्राहकों को ऑगमेंटेड रियल्टी के माध्यम से मौजूदा मॉडल्स ए6, ए8एल और क्यू8 को डिजीटली फील कराता है। इसके लिए आप मोबाइल डिवाइस के जरिए ऑडी इंडिया की वेबसाइट पर दिए गए क्यूआर कोड को स्कैन करें और अपनी स्क्रीन पर ऑडी कार का डिजिटल वर्जन देखें।

ऑडी के अन्य मॉडल ए4, ए3, क्यू3 और क्यू5 को लॉकडाउन खत्म होने के बाद फिर से जरूरी अपडेट देकर पेश किया जा सकता है। कंपनी इस साल और भी नई कारें और कुछ मौजूदा मॉडल के फेसलिफ्ट वर्जन लाने की योजना पर भी काम कर रही है।

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