बेनीपट्टी के करहारा सोहरौल में धौंस नदी उफनायी
गांव की ओर फैलने लगा बाढ़ का पानी
टापू में तब्दील हुआ विरदीपुर गांव, आवागमन ठप
अधवारा समूह की सभी सहायक नदियों के जल स्तर में वृद्धि जारी
बेनीपट्टी : अनुमंडल क्षेत्र में लगातार हो रही बारिश से न केवल जनजीवन अस्त व्यस्त हो चुका है बल्कि अब बाढ़ जैसी आपदा का भी सामना करने की नौबत आ गयी है. अधवारा समूह की सभी सहायक नदियों क्रमशः धौंस, बछराजा, खिरोई, थुमहानी और कोकराझाड़ सहित बुढ़नद व बुढ़िया माई आदि अन्य नदियों का जलस्तर में वृद्धि लगातार जारी है. धौंस नदी के ध्वस्त हुए तटबंध की ससमय मरम्मति नही किये जाने का खामियाजा अब लोगों को भुगतनी पड़ रही है. बताते चलें कि करहारा पंचायत के सोहरौल सहित तीन जगहों पर नदी के तटबंध पिछले ही बाढ़ में टूट चुका था.
सोहरौल में धौंस नदी के तटबंध पर ध्वस्त हुए सुरक्षा दीवार की मरम्मति कराने के लिये लोग पिछले एक साल से प्रशासन से आरजू बिनती करते रहे लेकिन प्रशासन ने इसकी अनदेखी की और जब मानसून का आगमन हो गया तो प्रशासन तटबंध मरम्मति की असफल खानापूरी करने में जुट गया. लेकिन लगातार हो रही बारिश ने प्रशासन को मौका नही दी और उसके लचर रवैये की पोल आखिर खोल ही दी. अब इन तीनों टुटान स्थल से नदी का पानी गांव की ओर फैलने लगा है. यही स्थिति करहारा पंचायत के बिरदीपुर गांव की है
जहां लचका पानी में डूब चुका है. दूसरी वैकल्पिक सड़क सोहरौल से डीहटोल के समीप होते हुए बिरदीपुर जानेवाली सड़क कट चुकी है. चारों ओर से बिरदीपुर गांव पानी से घिरकर टापू में ताब्दिल हो चुका है और आवागमन ठप हो गया है. आवाजाही के लिये लोग प्रशासन से नाव उपलब्ध कराने की गुहार तीन दिनों से कर रहे हैं लेकिन केवल आश्वासन ही मिल रहा है. सोहरौल गांव के पूरब बेतौना के समीप से बहनेवाली थुम्हानी नदी का उपधारा भी उफन कर घेर ली है. कुल मिलाकर सोहरौल हर तरफ से पानी से घिर गया है. बेतौना के मैदानी इलाके जलमग्न हो चुके हैं. सभी चिमनियों में घुटने भर पानी भर चुका है.
इधर धौंस व सीतामढ़ी के चौरौत की ओर से त्रिमुहान होकर कोकराझाड़ नामक नदी का मिलान बर्री पंचायत के धनुषी गांव के समीप होता है. इन दोनों नदियों के बढ़ते जलस्तर ने धनुषी को भी चारों ओर से घेरकर टापू में बदल दिया है. जहां आवागमन ठप है और अब तक प्रशासन द्वारा एक अदद नाव भी नही उपलब्ध कराया जा सका है. लोग खुद केले के पौधे को जोड़कर या ड्राम को काटकर और ट्यूब में हवा भरकर वैकल्पिक नाव बनाकर मुख्य सड़क तक पहुंच पा रहे हैं. कमोबेश यही स्थिति अन्य बाढ़ प्रभावित इलाकों की भी है.