प्रखंड मुख्यालय उमगांव की सभी दिशाओं की सड़कों पर भारी जलजमाव
सड़क के गड्ढों में महिला व बच्चें समेत बाइक सवार गिरकर हो रहे जख्मी
दशकों से बदहाल है सड़क
हर रोज हो रही है दुर्घटना
जलनिकासी व जर्जर सड़क के गड्ढों को भरने की नहीं की जा रही पहल
हरलाखी : प्रखंड मुख्यालय उमगांव की सभी दिशाओं की सड़क कई दशकों से बदहाल है। सड़क में बड़े बड़े खतरनाक गड्ढें हो चुके हैं। सड़क के गड्ढों में करीब 3 फुट वर्षा का पानी जमा है। वर्षा के बाद महीनों तक सड़क पर जलजमाव रहता है। जिससे राहगीरों को जान जोखिम में डालकर यात्रा करनी पड़ रही है। हर रोज बाइक सवार महिला व बच्चों समेत सड़क पानी भरे गड्ढों में गिरकर घायल हो जाते हैं। उमगांव से बासोपट्टी जाने वाली सड़क, उमगांव से हरलाखी जाने वाली सड़क, उमगांव से सोठगांव जाने वाली सड़क व उमगांव बाजार चौक से अम्बेदकर चौक तक जाने वाली सड़क करीब 20 सालों से जर्जर है। जिसमें हमेशा जलजमाव बना रहता है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि इन दो दशकों में इस सड़क के निर्माण की दिशा में किसी पार्टी के नेताओं द्वारा पहल नहीं की गई है। चुनाव जीतने के बाद स्थानीय जनप्रतिनिधि कभी यहां के लोगों का हाल जानने तक नहीं आते। जिससे यहां के स्थानीय लोग काफी आक्रोशित भी हैं।
40 सालों बाद उमगांव बेनीपट्टी सड़क बनकर भी रह गई अधूरी:
40 सालों तक दंश झेलने के बाद जब उमगांव बेनीपट्टी मुख्य सड़क का निर्माण शुरू हुआ तो लोगों में काफी खुशी थी कि अब उमगांव से बेनीपट्टी तक यात्रा सुखद होगा, लेकिन जब सड़क बनकर तैयार हो गई तो अधूरी ही बन सकी। बेनीपट्टी से मधुबनी टोल तक ही सड़क बनी, जबकि सोठगांव से उमगांव तक करीब 2 किलोमीटर तक सड़क अब भी जर्जर ही है और उसमें भारी जलजमाव भी है। जिससे लोगों को काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है।
जर्जर सड़क के कारण हो चुके हैं कई हादसे
इन जर्जर सड़कों पर कई हादसे हो जाने के बावजूद भी प्रशासन की आंखें नहीं खुली। उमगांव बाजार चौक के निकट हरलाखी रोड में करीब पांच वर्ष पूर्व जर्जर सड़क पर जलजमाव के कारण एक टेम्पो पलटने से हरिने गांव के 30 वर्षीय शम्भू साह की मौत हो गई थी। उस समय प्रशासन ने तुरंत सड़क निर्माण हेतु विभागीय पहल करने का वादा भी किया था। लेकिन जब मामला ठंडा हुआ तो वादे भी भुला दिए गए। वहीं हरलाखी थाना गेट के सामने एक बस की ठोकर से वर्ष 2016 में कान्हरपट्टी गांव निवासी 27 वर्षीय सदरे आलम की मौत हो गई। इसके अलावा कई और भी हादसे हुए। वर्षों बीत जाने के बावजूद विभागीय पदाधिकारी कुम्भकर्णीय निंद्रा में है।